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प्राचीन विवि की तर्ज पर विकसित हो महाविहार

आयोजन. स्थापना दिवस पर बोले राज्यपाल नव नालंदा महाविहार का 65 वां स्थापना दिवस मनाया गया बिहारशरीफ/सिलाव : डीम्ड यूनिवर्सिटी नव नालंदा महाविहार में विपश्यना शिविर का आयोजन काफी दिनों से किया जा रहा है. प्रथम विपश्यना शिविर में मुझे शामिल होने का मौका मिला था. आधुनिक युग की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में विपश्यना करने […]

आयोजन. स्थापना दिवस पर बोले राज्यपाल
नव नालंदा महाविहार का 65 वां स्थापना दिवस मनाया गया
बिहारशरीफ/सिलाव : डीम्ड यूनिवर्सिटी नव नालंदा महाविहार में विपश्यना शिविर का आयोजन काफी दिनों से किया जा रहा है. प्रथम विपश्यना शिविर में मुझे शामिल होने का मौका मिला था. आधुनिक युग की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में विपश्यना करने से नयी ऊर्जा मिलने के साथ ही असीम मानसिक शांति मिलती है.
राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने ये बातें रविवार को डीम्ड यूनिवर्सिटी नव नालंदा महाविहार के 65 वें स्थापना दिवस समारोह में कहीं. नव नालंदा महाविहार के प्रांगण में आयोजित स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन राज्यपाल रामनाथ कोविंद, कुलपति एमएस श्रीवास्तव एवं प्रो. लोकेश चंद्र ने दीप प्रज्जवलित कर किया. कर्याक्रम की शुरूआत में बौद्ध भिझुओं के द्वारा मंगल पाठ व स्वागत गान से किया गया. राज्यपान ने महाविहार के प्रथम कुलपति को बधाई देते हुए उनके द्वारा नव नालंदा महाविहार में किये गये विकास कार्यों की सराहना की. राज्यपाल ने कहा कि बौद्ध धर्म जीवन की एक पद्धति है.
उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि जल्द ही हृवेनसांग की अस्थि कलश पटना से लाकर हृवेनसांग मेमोरियल हॉल में स्थापित किया जायेगा.
पुस्तकों का किया गया विमोचन : राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने नव नालंदा महाविहार के अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डा. श्रीकांत सिंह द्वारा लिखित पुस्तक ‘द इंटरफेस बीटवीन इंगलिश लिटरेचर एंड बुद्धिज्म’ एवं हिंदी विभागाध्यक्ष डा. हरे कृष्ण तिवारी द्वारा लिखित ‘नई कविता विविध परिदृश्य’ का भी विमोचन किया. विशिष्ट अतिथि प्रो. लोकेश चंद्र ने अपने व्याख्यान में कहा कि नालंदा ज्ञान का प्रतीक है. नालंदा के अनेक आचार्य विदेशों में भी काफी प्रसिद्ध हैं, यहां न केवल हृवेनसांग व इंग्लिश आये, बल्कि अनेक देशों के विद्वान भी ज्ञान की प्राप्ति के लिए नालंदा आये हैं. नालंदा का संबंध उत्तर-पि›मी देशों के अतिरिक्त ग्रीस सहित अनेक देशों से भी था.
नालंदा के उद्भव का उल्लेख करते हुए प्रो. लोकेश चंद्र ने कहा कि नालंदा में महाविहार की स्थापना करने के पीछे दो महत्वपूर्ण कारण थे. प्रथम कारण यह था कि पूर्वोत्तर भारत में हुनों द्वारा किये गये विध्वंस से विचलित होकर वहां से आये बोद्ध भिझुओं ने नालंदा में महाविहार की स्थापना का संकल्प लिया.
प्राचीन नालंदा को पुन: स्थापित करने का प्रयास
: कुलपति एमएस श्रीवास्तव ने अपने स्वागत भाष्ज्ञण में कहा कि नव नालंदा महाविहार की स्थापना प्राचीन नालंदा महाविहार को पुन: स्थापित करने के लिए हुए था. फिलहाल नव नालंदा महाविहार में नौ विषयों की पढ़ाई की जा रही है.
महाविहार ने संपूर्ण पालि त्रिपिटक का देवनागरी में प्रकाशन किया है. यह प्रकाशन इकसे संस्थापक निदेशक भिझु जगदीश कश्यप के प्रयास से हुआ है. महाविहार में विपश्यना शिविर का उल्लेख करते हुए कुलपति ने कहा कि महाविहार द्वारा जल्द ही इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कांफ्रेंस आयोजित किया जायेगा. इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं धर्म गुरु दलाई लामा के भी शामिल होने की संभावना है.
उन्होंने कहा कि जल्द ही महाविहार में लैंग्वेज लैब की स्थापना की जायेगी. इस अवसर पर प्रधान सचिव बाला प्रसाद, कुल सचिव डाॅ एसपी सिंहा, डीएम डाॅ त्यागराजन एसएम, एसपी कुमार आशीष, एसडीपीओ संजय कुमार, एसडीओ लाल ज्योति नाथ सहदेव, नव नालंदा महाविहार के डा. शिव बहादुर सिंह, डा. अशोक जी, डाॅ विनोद कुमार सिंहा, डाॅ उमाशंकर व्यास, डाॅ श्रीवास्तव, महाविहार के पदाधिकारी एवं विद्यार्थी मौजूद थे

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