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शराबबंदी कानून को ‘सरल” करने की बात नहीं हो रही, सिर्फ सुझाव मांगा हैं : नीतीश

पटना : बिहार उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग की ओर से शराबबंदी कानून पर आम राय मांगता हुआ विज्ञापन जारी किए जाने के बाद, कानून को लेकर प्रदेश सरकार के पीछे हटने की अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि यहां ‘सरल’ करने की बात नहीं हो रही, […]

पटना : बिहार उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग की ओर से शराबबंदी कानून पर आम राय मांगता हुआ विज्ञापन जारी किए जाने के बाद, कानून को लेकर प्रदेश सरकार के पीछे हटने की अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि यहां ‘सरल’ करने की बात नहीं हो रही, हम सिर्फ सुझाव मांग रहे हैं.

सचिवालय में एक कार्यक्रम के बाद पत्रकारों द्वारा शराबंबदी को लेकर पूछे गये एक प्रश्न के उत्तर में नीतीश ने कहा, ‘हमने पहले आबकारी कानून में संशोधन किया था. उसके बाद शराबबंदी लागू किया गया.” उन्होंने कहा, शराबबंदी पर पटना उच्च न्यायालय के फैसले को सरकार ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी. न्यायालय ने अदालत के फैसले को स्थगित कर दिया है. न्यायालय में बिहार सरकार का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रहमण्यम ने रखा था.

नीतीश ने कहा कि अधिवक्ता सुब्रहमण्यम ने शराबबंदी मुहिम का पूरे तौर पर समर्थन किया था. वह मात्र एक रुपये के टोकन फीस पर बिहार सरकार का पक्ष रख रहे हैं. उनसे हमारी फोन पर बातचीत हुयी थी, हमने तय किया था कि उनसे एक बार मिलेंगे.

उन्होंने कहा, ‘इसी मामले में कल मैं उनसे मिलने नयी दिल्ली गया था. बिहार के मुख्य सचिव, उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के प्रधान सचिव तथा मुख्यमंत्री कार्यालय के सचिव भी मेरे साथ थे. उनके साथ पूरी बातचीत हुयी. उच्चतम न्यायालय में लंबित मामले के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा हुयी.” मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोगों ने दो अक्तूबर से जिस शराबबंदी कानून लागू किया है, उसे बिहार विधानमंडल ने पारित किया है तथा राज्यपाल ने अपनी सहमति प्रदान की है. लेकिन आप जानते हैं कि जब कोई चीज लायी जाती है तो पक्ष में चाहे जितना बड़ा समूह हो उसकी मुखालफत करने वाले लोग भी होते हैं.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, ‘‘शुरू में मजाक बनाने वाले और बाद में विरोध करने वालों ने हमेशा इस बात को आधार बनाया कि कानून के प्रावधान ड्रैकोनियन हैं. कुछलोग इनकी आलोचना कर रहे हैं और करते रहेंगे. लेकिन मैंने उनसे अनुरोध किया है कि वे इसे बेहतर बनाने के लिए अपना सुझाव दें.” उन्होंने कहा, ‘‘यदि कानून ड्रैकोनियन या तालिबानी है तो इसको नन ड्रैकोनियन और गैर तालिबानी करने के लिये क्या करना चाहिये, यह सुझाव मैंने बार बार मांगा. लेकिन उनकी तरफ से कोई सुझाव नहीं आया. इसलिये उत्पाद विभाग ने विज्ञापन निकालकर लोगों का सुझाव मांगा है.” यहां कानून को सरल करने की बात नहीं है, सिर्फ बेहतरी के लिए सुझाव मांगा जा रहा है.

नीतीश ने कहा, ‘‘लोगोंं से 12 नवंबर तक सुझाव देने को कहा गया है. मेरी इच्छा है कि 14 नवंबर को सचिवालय पर संवाद आयोजित कर लोगों से सुझाव मांगा जाए. हम लोगों की भावना का आदर करते हैं यह बहुत बडा काम हो रहा है.” उन्होंने कहा, ‘‘मैं मानता हूं कि इस काम में सबका सहयोग मिलना चाहिये. मैं उनलोगों को भी अवसर देता हूं जो इसका विरोध कर रहे हैं. वे शराबंदी से समझौता किये बगैर अपने सुझाव दें कि किन बिन्दुओं पर उन्हें ऐतराज है. यह नहीं चलेगा कि आप शराबबंदी के खिलाफ हैं इसलिये किसी न किसी प्रकार से आप इसकी आलोचना करें.”

नीतीश ने कहा कि बिहार में शराबबंदी लागू हुआ है और पूरी मजबूती से रहेगा. शराबबंदी के सामाजिक एवं आर्थिक प्रभावों का हम अध्ययन भी करवा रहे हैं. उच्चतम न्यायालय में जो हमारी तरफ से पक्ष रखा जायेगा उसमें सभी अध्ययन और रिपोर्ट भी पेश किए जाएंगे.

उन्होंने कहा कि हम स्वामी विवेकानंद जी की कथनी में विश्वास करते हैं कि जब कोई अच्छा काम करेंगे तो लोग पहले मजाक उड़ायेंगे, फिर विरोध करेंगे और अंत में सब साथ आ जायेंगे. अब दो दौर गुजर चुके हैं अब हम तीसरे दौर में हैं.

नीतीश ने कहा कि जो लोग कहते हैं कि शराबबंदी के अलावा इनको कोई काम नहीं है तो आप देख रहे हैं कि कितना काम हो रहा है. लोक शिकायत निवारण कानून हो और सात निश्चय की योजनायें हों सब एक एक कर लागू कर रहे हैं. सब मिलाकर कुल 20 से 25 योजनायें हो जायेंगी. उन्होंने कहा कि आगामी 20 नवम्बर को जो रिपोर्ट कार्ड पेश किया जायेगा उससे पहले इन सभी का इम्पिलिमेंटशन शुरू हो जायेगा.

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