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33 करोड़ से अधिक बकाये की 20 संचिकाएं गायब

विज्ञापन घोटाला ! स्थानीय निधि अंकेक्षण निदेशालय की रिपोर्ट में हुआ खुलासा पटना : नगर निगम के चल रहे स्थानीय निधि अंकेक्षण निदेशालय की रिपोर्ट में कई खुलासे सामने आ रहे है. मौर्या लोक व शहर के अन्य जगहों पर निगम और पीआरडीए की दुकानदारों व फ्लैट से रख-रखाव शुल्क वसूली में भारी गड़बड़ी के […]

विज्ञापन घोटाला ! स्थानीय निधि अंकेक्षण निदेशालय की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
पटना : नगर निगम के चल रहे स्थानीय निधि अंकेक्षण निदेशालय की रिपोर्ट में कई खुलासे सामने आ रहे है. मौर्या लोक व शहर के अन्य जगहों पर निगम और पीआरडीए की दुकानदारों व फ्लैट से रख-रखाव शुल्क वसूली में भारी गड़बड़ी के बाद अब विज्ञापन होर्डिंग शुल्क वसूली में खामियां निकलकर सामने आयी है.
अंकेक्षण के जांच रिपोर्ट में अब तक 20 विज्ञापन की संचिका गायब होने पर भी सवाल उठाया गया है. रिपोर्ट में विज्ञापन होर्डिंग में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी बतायी गयी है. जिस पर नगर निगम के पास कोई जानकारी नहीं है. हालांकि विज्ञापन में शुल्क का मामला न्यायालय में चल रहा है. लेकिन फाइलें गायब होने की स्थिति में नगर निगम आदेश के बाद शुल्क की वसूली कैसे करेगा या इन विज्ञापन का रजिस्ट्रेशन व नवीनीकरण शुल्क कैसे वसूलेगा इस पर बड़ा सवाब खड़ा हो गया है. रिपोर्ट में कहा गया है निगम कर्मियों की मिली-भगत से फाइल गायब की गयी है. इससे नगर निगम के भारी राजस्व नुकसान होगा.
बीते वर्षों में 71 एजेंसियों को शहर में विभिन्न जगहों पर होर्डिंग लगाने की अनुमति दी गयी थी. इनको नगर निगम की ओर से रजिस्ट्रेशन कर लाइसेंस दिया गया था. हालांकि 2015 में स्वघोषित लिस्ट के अनुसार नगर निगम की ओर से पूरे शहर में 1491 होर्डिंग लगाने की बात कही गयी थी.
इसका निगम ने शुल्क वसूली का आकलन के अनुसार अब तक कुल 33 करोड़ 26 लाख 22 हजार 215 रुपये की राशि नगर निगम आैर विज्ञापन एजेंसियों पर बकाया है. वहीं निगम को लाइसेंस शुल्क और विज्ञापन नवीनिकरण शुल्क भी लेने का अधिकार है, जो अब तक नहीं लिया जा सका है.
निविदा प्रकाशन नहीं होने से करोड़ों का नुकसान : निगम की अोर से विज्ञापन की निविदा नहीं निकालने से नगर निगम को करोड़ों का नुकसान होने की बात कही गयी है. अंकेक्षण की रिपोर्ट में कहा गया है कि शहर के विभिन्न विज्ञापनों के एकरारनामा की अवधि 31 अक्तूबर 2008 तक समाप्त हो गयी थी. जबकि वर्ष 2013 में नगर आयुक्त स्तर पर आदेश निकाल कर एक बार फिर से विज्ञापन निकालने को कहा गया था. लेकिन आदेश के बावजूद निगम कर्मियों के द्वारा निविदा प्रकाशन नहीं किया गया. इससे निगम को करोड़ों का नुकसान हुआ है.
बगैर अनुमति के ही बढ़ा लिया वेतन : निगम कर्मियों के वेतन में भी भारी गड़बड़ी स्थानीय निधि अंकेक्षण निदेशालय की रिपोर्ट में सामने आ रही है. जांच कर्ता मेें अपने रिपोर्ट में कहा है कि नगर निगम में अपने स्तर से कई कर्मियों के वेतन बढ़ा लिया गया है. इससे नगर विकास व आवास विभाग के अलावा वित्त विभाग से नगर निगम ने कोई सहमति नहीं ली है. जांच में पाया गया है कि निगम के कर्मियों का पीआरडीए के कर्मियों के बराबर वेतन किया गया है. हालांकि पहले से इनका वेतन काफी कम था

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