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युद्ध की अपेक्षा जान को अधिक खतरा है वायु प्रदूषण से
सुरेंद्र किशोर राजनीतिक िवश्लेषक कबुद्धिजीवी ने अपने घर के पास की सड़क के किनारे इस बरसात में बारी-बारी से पीपल के दो पौधे लगाये. उस सड़क से गुजरने वाले स्कूली छात्रों ने बारी-बारी से उन पौधों को उखाड़ लिया. वह बुद्धिजीवी कोई और नहीं, इन पंक्तियों का लेखक ही है. इस घटना के साथ ही […]
सुरेंद्र किशोर
राजनीतिक िवश्लेषक
कबुद्धिजीवी ने अपने घर के पास की सड़क के किनारे इस बरसात में बारी-बारी से पीपल के दो पौधे लगाये. उस सड़क से गुजरने वाले स्कूली छात्रों ने बारी-बारी से उन पौधों को उखाड़ लिया. वह बुद्धिजीवी कोई और नहीं, इन पंक्तियों का लेखक ही है. इस घटना के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के एक जजमेंट की याद आयी. सन 1991 में ही सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि ‘प्राथमिक से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक अनिवार्य और अलग विषय के रूप में पर्यावरण की पढ़ाई शुरू करायी जाये. यदि उस आदेश का अब तक लगातार अक्षरश: पालन हुआ होता तो उन स्कूली छात्रों को पर्यावरण संतुलन के लिए पीपल के पेड़ के महत्व का पता चल गया होता.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की ताजा रपट के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण चीन के बाद भारत में ही सबसे अधिक जानें जाती हैं. 2004 में यह खबर आयी थी कि भारत में प्रति व्यक्ति उपलब्ध जल की मात्रा अगले 50 साल में एक तिहाई ही रह जायेगी. भूजल का हरित क्षेत्र के विस्तार से सीधा संबंध है. लेकिन वनरोपण के कार्यक्रम को जन आंदोलन का रूप दिये बिना वांछित उपलब्धि हासिल करना कठिन होगा. जदयू ने एक बार सदस्यता अभियान को पौधरोपण से जोड़ा था. पर, वह अभियान स्थायी नहीं रहा. न ही पौधरोपण जदयू कार्यकर्ताओं की आदत का हिस्सा बन सका.
अपवाद की बात और है. इस मामले में विषम होती परिस्थिति में चर्चित खगोल वैज्ञानिक स्टीफन हाकिंग की भविष्यवाणी याद आती है. कुछ साल पहले उन्होंने कहा था कि ‘जिन तीन प्रमुख कारणों से मनुष्य जाति के अस्तित्व पर हम खतरा देख रहे हैं, उनमें सबसे बड़ी समस्या पृथ्वी के तापमान में लगातार वृद्धि है. दूसरा कारण नाभकीय युद्ध का खतरा और तीसरा असाध्य रोगों का वायरस.
बिहार में बढ़ता हरित क्षेत्र
बिहार के कुल भूभाग में से हरित क्षेत्र अब बढ़कर 13 प्रतिशत हो गया है. सन 2000 में यह करीब 7 प्रतिशत ही था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि 13 से बढ़ाकर अब इसे 17 प्रतिशत करना है. पौधरोपण के क्षेत्र में बिहार की यह उपलब्धि मानी जायेगी. पर 17 प्रतिशत हरित क्षेत्र से ही संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता है.
एक अध्ययन के अनुसार पर्यावरण संतुलन के लिए पूरे भूभाग में से 33 प्रतिशत भूभाग हरा-भरा होना चाहिए. बगल के झारखंड में करीब 30 प्रतिशत हरित क्षेत्र है जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है. हरित क्षेत्र का राष्ट्रीय औसत करीब 24 प्रतिशत है. एक अन्य अध्ययन के अनुसार प्रत्येक मनुष्य पर 22 पेड़ चाहिए. तभी भरपूर ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रकृति कर सकेगी. 33 प्रतिशत का लक्ष्य तो थोड़ा अधिक लगता है. पर बिहार में 17 प्रतिशत हरित क्षेत्र से अधिक तो होना चाहिए.
अतिक्रमण तो वोट नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि जिन लोगों ने रक्षा मंत्रालय की जमीन पर अतिक्रमण कर रखा है, उन लोगों को छावनी पर्षद के चुनावों में वोट देने का अधिकार नहीं होगा. यह निर्णय भी अत्यंत सराहनीय है.
पर इसके साथ सवाल यह उठता है कि सरकार के अन्य महकमों की जमीनों पर कब्जा करने वालों को आम चुनाव में वोट देने का अधिकार अब क्यों रहना चाहिए? हाल में यह खबर आयी है कि गया के गांधी मैदान की जमीन के एक हिस्से पर भी अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर लिया है. यदि शासन ने कभी ढिलाई दिखायी पटना के गांधी मैदान पर कब्जा करने में कानून तोड़कों को कितनी देर लगेगी? पटना की मुख्य सड़कों पर तो फुटपाथ दुकानदारों तथा अन्य कानून तोड़कों का कब्जा रोज ब रोज बढ़ता ही जा रहा है. इस कब्जाकरण में स्थानीय पुलिस उनका खुलेआम साथ देती है.
सांठगांठ का कारण सब जानते हैं. उन अतिक्रमणकारियों को समाजविरोधी ही तो कहा जा सकता है! क्योंकि समाज के कानूनप्रिय और नियम पसंद लोग सड़कों पर कैसे चलें, इसका कोई ध्यान उन्हें नहीं है. भारी अतिक्रमण से लगते जाम के कारण कई बार गंभीर अवस्था वाले मरीज अस्पताल के रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. उस मृत्यु के लिए जिम्मेदार को हत्यारा कहा जाये तो वह कोई गलत आरोप नहीं होगा.
दुर्गापूजा और कम्युनिस्ट
पश्चिम बंगाल के अधिकतर कम्युनिस्ट दुर्गा पूजा समारोहों से आम तौर पर खुद को अलग ही रखते रहे हैं. पर, इस बीच जनाधार खोते कम्युनिस्टों में से कुछ नेताओं की यह राय बनी है कि अब हमें दुर्गा पूजा में बढ़-चढ़कर शामिल होना चाहिए. इससे जनता के साथ पार्टी का संपर्क बढ़ेगा. इसका लाभ अगले चुनाव में भी मिल सकता है. पिछले विधानसभा चुनाव में कम्युनिस्टों ने कांग्रेस से समझौता किया था. पर उसका लाभ नहीं मिला. अब क्या कुछ कम्युनिस्ट दुर्गा माता की शरण में जाएंगे? समय के साथ खुद को बदलने में कोई हर्ज भी नहीं है.
सन सरसठ में बंगाल में जब कम्युनिस्ट सत्ता में आये तो उन्होंने वहां से पूंजीपतियों और कारखानेदारों को भगाना शुरू कर दिया. पर समय के साथ वे बदले. कोलकाता के ग्रेट इस्टर्न होटल के विनिवेश का प्रयास ज्योति बसु के शासन काल में ही शुरू हुआ था. बाद में सिंगूर में बड़े एक उद्योगपति के लिए किसानों की जमीन के अधिग्रहण का काम वाम मोरचा सरकार के कार्यकाल में ही हुआ. उस कारण भी वाम मोरचा को चुनाव में नुकसान उठाना पड़ा था.
एक विरल रोग की चपेट में भारत
इन दिनों इस देश के कुछ बच्चे एक विरल और जटिल आनुवांशिक रोग से पीड़ित हो रहे हैं. उस रोग का नाम है एमपीएस-2 हंटर सिन्ड्रोम. अब तक बिहार में एक और झारखंड में ऐसे 4 मरीजों का पता चला है.
देश में ऐसे मरीजों की कुल संख्या करीब चार सौ है. दो से चार साल के शिशु के शरीर को यह जानलेवा रोग अपनी गिरफ्त में ले लेता है. इस रोग से संबंधित सर्वाधिक दु:खदायी बात यह है कि इलाज अत्यंत महंगा है. यदि हर साल करीब 50 लाख रुपये खर्च किये जाएं तो कुछ समय में मरीज ठीक हो सकता है. यदि थोड़े से अपवादों को छोड़ दें तो किसी व्यक्ति के लिए यह खर्च उठाना संभव नहीं है. हाल ही में कर्नाटका सरकार ने नेशनल हेल्थ मिशन के फंड से एक मरीज के लिए एक करोड़ रुपये मंजूर किये हैं.
याद रहे कि इस संबंध में कर्नाटका हाइकोर्ट में एक याचिका दायर की गयी थी. इस काम के लिए अदालत में याचिका दायर करना सबके बूते की बात नहीं है. क्या इस देश की अन्य सरकारें कर्नाटका सरकार की तरह ही नेशनल हेल्थ मिशन के फंड से इस मर्ज के इलाज के लिए राशि खर्च करेगी? याद रहे कि नेशनल हेल्थ मिशन में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम भी शामिल है.
और अंत में
किसी व्यक्ति के जीवन में कोई संकट आ जाये तो उस दौरान उसके मित्रों की पहचान हो जाती है. कौन असली है और कौन नकली. यही हाल देश का भी है. अभी अपने देश खास कर कश्मीर पर पाकिस्तान की गिद्ध दृष्टि पड़ी हुई है.
इस संकट ने हमारे बाहरी और भीतरी दोस्तों और दुश्मनों की पहचान का अच्छा अवसर दे दिया है. एक बार फिर पता चल रहा है कि चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता. यह भी पता चल रहा है कि इस देश के कुछ नेता हमेशा ‘वोट भक्त’ ही बने रहेंगे. कभी देशभक्त नहीं बन सकते. ‘वोट भक्तों ’ और देश भक्तों की पहचान कर उनके प्रति यथायोग्य व्यवहार में ही इस देश की भलाई है.
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