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जिउतिया पर माताओं ने रखा निर्जला उपवास

पटना : जिउतिया का पर्व शुक्रवार को आस्था के साथ मनाया गया. माताओं ने संतान के दीर्घ जीवन के लिए निर्जला उपवास रखा. शाम में माताएं स्वच्छ वस्त्र धारण कर विभिन्न मंदिरों में व घरों में पूजा-अर्चना कीं और ब्राह्मणों से जिउतिया की कथा सुनी. माताओं ने जिउतिया धागे की भी पूजा की. पूजित धागे […]

पटना : जिउतिया का पर्व शुक्रवार को आस्था के साथ मनाया गया. माताओं ने संतान के दीर्घ जीवन के लिए निर्जला उपवास रखा. शाम में माताएं स्वच्छ वस्त्र धारण कर विभिन्न मंदिरों में व घरों में पूजा-अर्चना कीं और ब्राह्मणों से जिउतिया की कथा सुनी. माताओं ने जिउतिया धागे की भी पूजा की. पूजित धागे को माताएं अपने पुत्रों के हाथ में बांध उनकी रक्षा की कामना करती हैं.
शनिवार को नवमी के दिन पारण के साथ तीन दिवसीय जिउतिया व्रत की समाप्ति हो जायेगी. पंडित राजकुमार पांडे ने जिउतिया पर्व की कथा सुनाते हुए कहा कि एक राज्य में गरुड़ वहां के बच्चों को अपना आहार बनाता था. राज्यवासियों ने प्रत्येक दिन एक घर से एक बच्चा देने का नियम बनाया था. इसी क्रम में एक बूढ़ी मां के बेटे की बारी आयी.
इस बात पर वह रोने लगी, तब राज्य के राजा जीमुतवाहन बूढ़ी मां के पुत्र की रक्षा करते हुए खुद गरुड़ का आहार बनने को तैयार हो गये. राजा का परिचय जानकर गरुड़ खुश हुआ और शिकार न करने का वचन देते हुए सभी मृत बालकों को जीवित कर दिया. यह दिन अश्विन कृष्णपक्ष की अष्टमी थी. इसी दिन से यह व्रत मनाया जाने लगा.

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