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साल में दो बार जल गुणवत्ता की होगी जांच

पानी की जांच के लिए प्रयोगशाला को एनएबीएल से दिलायी जायेगी मान्यता, ताकि नहीं हो कोई दिक्कत पटना : ग्रामीण इलाके में लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए पानी की जांच होगी. साल में दो बार पानी की गुणवत्ता की जांच करायी जायेगी. पानी की जांच जिला में स्थित जल जांच प्रयोगशाला में […]

पानी की जांच के लिए प्रयोगशाला को एनएबीएल से दिलायी जायेगी मान्यता, ताकि नहीं हो कोई दिक्कत
पटना : ग्रामीण इलाके में लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए पानी की जांच होगी. साल में दो बार पानी की गुणवत्ता की जांच करायी जायेगी. पानी की जांच जिला में स्थित जल जांच प्रयोगशाला में होगी. सार्वजनिक जगहों पर उपलब्ध कराये जानेवाले पानी की जांच माॅनसून शुरू होने से पहले होगा.
मानसून खत्म होने के बाद पुन: पानी की जांच होगी. पानी की जांच कर यह पता लगाया जायेगा कि जो पानी का उपयोग हो रहा है वह पीने के लायक है या नहीं. प्रयोगशाला में पानी की जांच के बाद आनेवाले परिणाम की जानकारी सार्वजनिक तौर पर लोगों को दी जायेगी. ताकि आम लोगों के लिए जलापूर्ति व्यवस्था की गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके. विकसित बिहार के लिए सात निश्चय के अंतर्गत फ्लोराइड, आर्सेनिक व आयरन से प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए जल गुणवत्ता की जांच होना है.
पीएचइडी चलायेगा अभियान : पीएचइडी विभाग समुदाय आधारित जल गुणवत्ता की देखरेख व निगरानी में सामुदायिक भागीदारी को सुनिश्चित कराने के लिए बिहार ग्राम स्वच्छ पेयजल निश्चय अभियान चलायेगी. विभाग के इस अभियान के कार्यान्वयन के लिए सरकार से स्वीकृति मिली है. अभियान का उद्देश्य जल गुणवत्ता से प्रभावित सभी ग्रामीण टेाले में स्वच्छ जलापूर्ति करना है. समुदाय आधारित जल गुणवत्ता की देखरेख व निगरानी सहित ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं के संचालन, रखरखाव में समुदाय की भागीदारी सुनिश्चत करना है.
जल जांच प्रयोगशाला की होगी स्थापना : विभाग पानी की गुणवत्ता की जांच के लिए लोक स्वास्थ्य अवर प्रमंडल में जल जांच प्रयोगशाला स्थापित करेगी. सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में सार्वजनिक पेयजल श्रोत की गुणवत्ता जांच के लिए चलंत जल जांच प्रयोगशाला सभी कार्य अंचलों में उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है. जिले में स्थापित जल जांच प्रयोगशाला को राष्ट्रीय स्तर की प्रयोगशाला एनएबीएल से मान्यता दिलाया जायेगा. अभी केवल पटना में एनएबीएल से मान्यता प्राप्त राज्य स्तरीय रेफरल लैब है. जांच के लिए ट्रेनिंग दी जायेगी.
22 हजार टोलों में पहुंचाना है स्वच्छ जल
फ्लोराइड ग्रस्त 500 व आर्सेनिक ग्रस्त 961 टोलों का हुआ है सर्वे
राज्य में 22 हजार प्रदूषित पानी वाले टोलोंे में 2020 तक घर-घर नल से स्वच्छ पेयजल पहुंचाना है. विभाग ने फ्लोराइड ग्रस्त 500 टोले, आर्सेनिक ग्रस्त 961 टोले का सर्वे किया है. फ्लोराइड प्रभावित 400 टोले में नल से जल पहुंचाने के लिए कांट्रैक्टर का चयन कर काम की प्रक्रिया शीघ्र शुरू होगी. आर्सेनिक प्रभावित सौ टोले के लिए प्रक्रिया शुरू की जा रही है.
राज्य के 13 जिले में आर्सेनिक, 11 जिले में फ्लोराइड व नौ जिले में आयरन की मात्रा अधिक पायी जाती है. आर्सेनिक प्रभावित सारण, वैशाली, समस्तीपुर, दरभंगा, बक्सर, भोजपुर, पटना, बेगूसराय, खगड़िया, लखीसराय, मुंगेर, भागलपुर, कटिहार शामिल है. फ्लोराइड प्रभावित कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद, गया, नालंदा, शेखपुरा, जमुई, बांका, मुंगेर, भागलपुर व नवादा शामिल है. आयरन प्रभावित सुपौल, अररिया, किशनगंज, सहरसा, पूर्णिया, कटिहार, मधेपुरा, बेगूसराय व खगड़िया है.

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