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राहत कैंपों में बच गये महिलाएं और बच्चे

कम हो रही परेशानी. शिविरों में घट रही लोगों की संख्या, पुरुषों की संख्या हुई काफी कम नकटा व समनपुरा दियारे के लोग लौटने लगे घर, आज दीघा बालिका विद्यालय से चले जायेंगे अधिकतर परिवार पटना : पटना जिले में बाढ़ पीड़ितों के लिए 30 राहत कैंप बनाये गये थे. जिसमें लगभग 15 हजार लोगों […]

कम हो रही परेशानी. शिविरों में घट रही लोगों की संख्या, पुरुषों की संख्या हुई काफी कम
नकटा व समनपुरा दियारे के लोग लौटने लगे घर, आज दीघा बालिका विद्यालय से चले जायेंगे अधिकतर परिवार
पटना : पटना जिले में बाढ़ पीड़ितों के लिए 30 राहत कैंप बनाये गये थे. जिसमें लगभग 15 हजार लोगों ने शरण ली है. जिला प्रशासन की सूची के मुताबिक अभी पटना जिले के राहत शिविरों से परिवारों के जाने की संख्या कम हैं. लेकिन, बाढ़ का पानी घटने के बाद धीरे-धीरे लोग अपने घरों को लौट रहे हैं.
शिविरों में पुरुषों की संख्या कम, महिलाओं व बच्चों की संख्या अधिक दिख रही है. शुक्रवार को नकटा व समनपुरा दियारे के लोग अपने-अपने जानवरों को नावों के माध्यम से वापस गांव ले जा रहे हैं. लेकिन, इनके जाने को लेकर जिला प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था समाहरणालय में नहीं की गयी हैं. वहीं, बीएन कॉलेजिएट स्कूल व दीघा राहत कैंप में रहनेवाले परिवारों ने गुरुवार को जाकर पहले अपने गांव का मुआयना किया. उसके बाद राहत कैंप से जाने के लिए उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया और शुक्रवार को लगभग 300 से अधिक लोग घर वापस लौट गये. अधिकारियों के मुताबिक दीघा बालिका विद्यालय में 200 परिवार हैं. इसमें से अधिकांश परिवारों ने घर जाने की बात कहीं है. इसको लेकर देर शाम एसडीओ पटना सदर ने शिविरों का निरीक्षण किया हैं.
स्कूलों में लगे राहत कैंप की सफाई कराएं
जिन स्कूलों में राहत कैंप लगाया गया हैं. डीएम ने शुक्रवार को निर्देश दिया है कि उन स्कूलों को पूरी तरह से साफ कर प्राचार्य को सौंपे. परिसर में गोबर या कोई भी गंदगी नहीं हो और स्कूल को पढ़ने लायक बनाये. इसकी सफाई की जिम्मेवारी वहां पर तैनात अधिकारियों को दी गयी है, जब स्कूल की सफाई पूरी कर ली जायेगी, तो उसका निरीक्षण होगा. स्कूल में पाउडर का छिड़काव करने को कहा गया है.
जानवरों को उस पार कराने के लिए मदद
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से पटना में लाये गये जानवरों को अब वापस पहुंचाने के लिए जिला प्रशासन से कैंप में रहनेवाले लोग मदद मांग रहे हैं. इनमें से कई परिवार अपने जानवरों को निजी नाव पर पैसा देकर उसे पार करा रहे हैं. लेकिन, कई परिवार अब भी आस में हैं कि जिला प्रशासन उनके जानवरों को उस पार भेजने के लिए नाव का इंतजाम करें.
कैंपों में बन रहीं मछलियां
बिहार विद्यापीठ में रहनेवाले बाढ़ पीड़ित मछली पकड़ कर ला रहे हैं. इसमें बिंद टोली के परिवारों की संख्या काफी है. यह परिवार गंगा के पानी में हर दिन जाल लगा कर मछली पकड़ते हैं और वहीं राहत कैंप में मछली बना कर खाते हैं. कैंप में बने चावल व रोटी उनको साथ में मिल जाता है, जो कि उनको बनाना नहीं पड़ता है.
पटना : गंगा, सोन व पुनपुन में पानी कम हुआ है. पटना गांधी घाट का जल स्तर डेंजर जोन से नीचे 48.00 पर पहुंच गया है और कुर्जी व बिहार विद्यापीठ में जहां सिवरेज का पानी घुस गया था, वहां से भी पानी निगल गया है. लेकिन, आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली-पानी का संकट अब भी बरकरार हैं. मनेर, फतुहा दियारे के 30 से अधिक गांव ऐसे हैं, जहां पर बिजली का पोल गिरा हुआ है और तार टूटा हुआ है.
इसको ठीक करने के लिए डीएम ने बिजली विभाग के इंजीनियरों को निर्देश भी दिया है. लेकिन, पानी रहने से अभी काम पूरा नहीं हो पाया है, जहां से पानी की निकासी हुई हैं. वहां के चापाकल भी खराब हो गये है या उस पंप में खराबी आ गयी हैं. बख्तियारपुर, फतुहा के बीच कई जगहों पर सड़क का कटाव भी हुआ है, जिसके कारण यातायात व्यवस्था में अभी तक सुधार नहीं हो पायी है. फतुहा के सैदपुर, अखड़िया, रलिबक, डुमरी, सुल्तानपुर, नरायणा, बाकरचक, चमडिह, दौलतपुर, बिक्रमपुर में अभी भी बाढ़ का पानी है, जहां 20 हजार से अधिक की आबादी है. पानी रहने से इस इलाके के लोगों को आवागमन में काफी परेशानी होती है. मनेर में महावीर टोला व छिहत्तर में पानी से कटाव हुई है. वहीं, किला चौहत्तर, पूर्वी, पश्चिमी, मध्य और मघड़पाल, रामापुर तौसिर चार पंचायत में पानी घटा हैं. लेकिन, यहां गंदगी बहुत है. यहां पर पाउडर का छिड़काव तक नहीं हो पाया है. ऐसे में कई बीमारियों के फैलने का खतरा भी है.
जहां पर अभी है पानी, वहां पर अधिकारी करें कैंप : जहां से अभी तक पानी की निकासी नहीं हुई है. वहां, अधिकारी कैंप करें. डीएम के निर्देश पर अधिकारियों ने काम शुरू कर दिया है.
लेकिन, काम बीच में नहीं रुके और लगातार चले, इसको लेकर बीडीओ व सीओ को कैंप करने का निर्देश दिया गया है. जिस गांव में बिजली व पानी का संकट है, वहां जल्द-से-जल्द सुविधा बहाल करायी जाये. फतुहा के 11 गांव अब भी बाढ़ से प्रभावित हैं, जहां हजारों लोग रहते हैं, यहां पानी और बिजली का संकट अब भी बना हुआ है.
ब्लीचिंग पाउडर का नहीं होगा छिड़काव, तो होगी कार्रवाई : बाढ़ के पानी निकलने के बाद उन जगहों से बीमारियां नहीं फैले, इसको लेकर ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव करने का निर्देश दिया गया हैं.
लेकिन, ग्रामीण लोगों से डीएम तक पहुंची सूचना में यह कहा गया है कि गांव में छिड़काव नहीं हो रहा है. इसमें बाद शुक्रवार को डीएम के स्तर से सिविल सर्जन व मलेरिया पदाधिकारियों को इस काम में ईमानदारी से लगने को कहा गया है, जो अधिकारी काम नहीं करेंगे, उन पर कार्रवाई होगी.

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