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सीबीएसइ को ठेंगा : एनसीइआरटी नहीं, प्राइवेट पब्लिकेशन की बुक्स से हो रही पढ़ाई कक्षा एक से आठवीं तक में अनिवार्य हैं एनसीइआरटी की किताबें पटना : स्कूलों में एनसीइआरटी बुक से पढ़ाई होनी है. हर क्लास में एनसीइआरटी द्वारा तैयार सिलेबस को लागू किया गया है. उसी के अनुसार एग्जाम में प्रश्नपत्र भी तैयार […]

सीबीएसइ को ठेंगा : एनसीइआरटी नहीं, प्राइवेट पब्लिकेशन की बुक्स से हो रही पढ़ाई
कक्षा एक से आठवीं तक में अनिवार्य हैं एनसीइआरटी की किताबें
पटना : स्कूलों में एनसीइआरटी बुक से पढ़ाई होनी है. हर क्लास में एनसीइआरटी द्वारा तैयार सिलेबस को लागू किया गया है. उसी के अनुसार एग्जाम में प्रश्नपत्र भी तैयार किया जायेगा.
सीबीएसइ ने मार्च में तमाम स्कूलों को निर्देश जारी कर क्लास वन से आठवीं तकमें एनसीइआरटी बुक को लागू करने को कहा था. लेकिन, पटना के स्कूलों ने इस निर्देश को नहीं माना. पटना के अधिकतर स्कूलों में प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबें ही स्कूलों में अभी चल रही हैं. शायद ही कोई स्कूल है, जिसने सीबीएसइ की गाइड लाइन को माना हो.
कंप्लेन पर सीबीएसइ ने दिया रिमाइंडर
स्कूलों में एनसीइआरटी बुक नहीं चलाये जाने पर अभिभावकों ने सीबीएसइ से शिकायत की है. अभिभावकों ने लिखित शिकायत कर स्कूल में प्राइवेट पब्लिकेशन के किताबों से पढ़ाई होने की जानकारी दी है. अभिभावकों की शिकायत पर सीबीएसइ ने स्कूलों को दुबारा रिमाइंडर भेजा है. इसमें स्कूलों को एनसीइआरटी बुक लागू करने का निर्देश दिया गया है. सीबीएसइ के सेक्रेटरी ने तमाम स्कूलों से एनसीइआरटी की किताबों की लिस्ट भी मांगी है, जो स्कूलों में चलायी जा रही हैं.
दूसरे प्रकाशनों की किताबें जेब कर रहीं ढीली
प्राइवेट पब्लिकेशन की किताब खरीदने में अभिभावकों की जेबें ढीली हो रही हैं. जहां एनसीइआरटी की किताबों में लगभग एक हजार रुपये लगते हैं, वहीं प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबों में चार हजार से छह हजार रुपये तक लग जा रहे हैं. अभिभावक संजीव पाठक ने बताया कि हर स्कूल प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबें चला रहा है. एनसीइआरटी को ऑप्शनल बनाया हुआ है.
नहीं हुआ बसते का बोझ हल्का
सीबीएसइ ने बसता का बोझ कम करने के लिए एनसीइआरटी बुक लागू करने पर जोर दिया है.लेकिन, पटना के स्कूलों में इस पर कोई ध्यान नहीं है. प्राइवेट पब्लिकेशन में एक ही विषय की कई किताबों के होने से उसकी संख्या 12 से 15 तक हो जाती है. इससे स्टूडेंट्स की परेशानी बढ़ जाती है. क्लास वन में 12 से 15 किताबों की पढ़ाई हो रही है. अभिभावक राहुल सिंह ने बताया कि स्कूल वाले बुक तो खरीदवा लेते हैं, लेकिन कई किताबों की तो पढ़ाई भी नहीं होती है. बेवजह सालों भर बच्चे उन किताबों को अपने बैग में ढोते रहते हैं. किताबों के बोझ को लेकर बच्चे हमेशा परेशान रहते हैं.
अभिभावक की ये हैं परेशानियां
हर स्कूल की अपनी फिक्स दुकान है
अभिभावकों पर फिक्स दुकान से ही बुक लेने का रहता है प्रेशर
कई स्कूल अपने कैंपस में ही स्टॉल लगा कर बेचते हैं किताब
एक ही विषय में लेनी होती हैं कई किताबें
फिक्स दुकानों से किताबों में नहीं मिलती है कोई छूट
50 रुपये की किताब 200 से 250 रुपये में मिलती है
हर क्लास में एनसीइआरटी बुक से ही पढ़ाई होनी है. सत्र शुरू होने के समय ही गाइड लाइन जारी की गयी थी. प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबों को स्कूलों में नहीं चलाने का निर्देश है. यह नियम हर क्लास के लिए लागू है.
जोसफ इमैनुअल, सेक्रेटरी, सीबीएसइ

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