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बच्चों के लिए मां के दूध का कोई विकल्प नहीं
पहल. प्रभात खबर और वीमेंस डेवलपमेंट काॅरपोरेशन की ओर से आयोजित काउंसेलिंग में पूछे सवाल पटना : इन दिनों पढ़ी-लिखी महिलाएं भी प्रसव के बाद शिशु को स्तनपान कराना मुनासिब नहीं समझती हैं. शिशु को उसके अधिकार से वंचित कर उसे संक्रमण जैसी बीमारियों के खतरे में डाल देती हैं. जबकि प्रसव के बाद शिशु […]
पहल. प्रभात खबर और वीमेंस डेवलपमेंट काॅरपोरेशन की ओर से आयोजित काउंसेलिंग में पूछे सवाल
पटना : इन दिनों पढ़ी-लिखी महिलाएं भी प्रसव के बाद शिशु को स्तनपान कराना मुनासिब नहीं समझती हैं. शिशु को उसके अधिकार से वंचित कर उसे संक्रमण जैसी बीमारियों के खतरे में डाल देती हैं.
जबकि प्रसव के बाद शिशु को मां का दूध काफी जरूरी है. यह कहना है यूनिसेफ की पोषण अधिकारी डॉ शिवानी दर का. स्तनपान जागरूकता सप्ताह के अवसर पर गुरुवार को प्रभात खबर और वीमेंस डेवलपमेंट काॅरपोरेशन की ओर से टेली काउंसेलिंग का आयोजन किया गया. इसमें पटना सहित पूरे बिहार के अलग-अलग जिलों से कई लोगों ने फोन किये और स्तनपान के महत्व और इससे जुड़े परेशानी को लेकर सवाल पूछे.
सबों का जवाब पोषण अधिकारी डॉ शिवानी ने दिया. वहीं जेंडर रिसोर्स सेंटर के प्रधान सलाहकार आनंद माधव ने बताया कि इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन होने से समाज में जागरूकता आती है. साथ ही जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ रहते हैं. उन्होंने बताया कि बहुत-सी ऐसी महिलाएं हैं, जो अपने दूध के महत्व को नहीं जानती हैं. ऐसे में इस तरह की जानकारी मिलने से उन्हें काफी फायदा होगा.
स्तनपान से बचा सकते हैं 19 प्रतिशत बच्चे को : स्तनपान के महत्व को बताते हुए डॉ शिवानी ने बताया कि जन्म से लेकर पांच साल के करीब 19 प्रतिशत बच्चों की मौत हो जाती है. इनमें स्तनपान नहीं कराने के कारण डायरिया, जांडिस व अन्य बीमारियों
से ग्रस्त बच्चे शामिल रहते हैं. डॉ शिवानी ने कहा कि अगर सही तरीके
से बच्चों में स्तनपान कराया जाये, तो
इन बच्चों को मौत से बचाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि प्रसव के बाद मां का दूध बच्चे के लिए काफी जरूरी होता है.
मां के दूध का कोई दूसरा विकल्प नहीं है. जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराना जरूरी होता है. उन्होंने बताया कि बच्चे को छह महीने बाद ही ऊपरी आहार देना चाहिए. मां के दूध से महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से भी बच सकती हैं. साथ ही एचआइवी पीड़ित महिलाएं भी स्तनपान छह महीने तक करासकती हैं.
प्राइवेट सेक्टर में लागू हो मैटरनिटी सेंटर : डॉ शिवानी ने बताया कि मां का दूध जीवन में एक बार ही मिलता है, इसलिए अपने
बच्चे को छह माह तक लगातार दूध का सेवन कराना चाहिए. उन्होंने
कहा कि प्राइवेट सेक्टर में भी महिलाओं की मैटरनिटी छुट्टी का दायरा छह
माह तक होना चाहिए. केंद्र सरकार ने इसको लागू किया है, लेकिन प्राइवेट सेक्टर में इसे लागू करने की जरूरत है, ताकि जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ रह सके.
– मुझे ब्रेस्ट कैंसर है, अगले महीने डिलेवरी है, क्या मैं अपने बच्चे को दूध पिला सकती हूं?
पारुल प्रिया, पटना
जब तक आपका रेडिएशन नहीं हुआ तब तक आप दूध पिला सकती हैं. लेकिन रेडिएशन के बाद इसको बंद करना होता है. हालांकि सरकार मदर मिल्क बैंक खोलने जा रही है, इससे भी काफी लाभ मिलेगा.
– मेरा बच्चा दूध नहीं पी रहा है. उम्र तीन माह. वह सुस्त भी रहता है इसके लिए क्या करना होगा?
उज्जवल कुमार, बक्सर
अगर बच्चा दूध नहीं पी रहा है, तो मां का दूध निकाल लें और उसको चम्मच के माध्यम से दें. मां का दूध नहीं मिलने से आपका बच्चा सुस्त हो गया है. लेकिन इसे सुधारा जा सकता है.
– मां कैसे समझे की बच्चे को पर्याप्त मात्रा में दूध मिल रहा है कि नहीं?
निधि कुमारी, पटना
अगर बच्चा का वजन लगातार बढ़ रहा है और बच्चा दिन में छह से सात बार पेशाब करता है, तो समझ लेना चाहिए कि उसे पर्याप्त दूध मिल रहा है.
– स्तनपान कब से शुरू करना चाहिए और कब तक जारी रखना चाहिए ? विभा रानी, पटना
जन्म के तुरंत बाद और एक घंटे के अंदर स्तनपान कराना चाहिए और दो साल तक लगातार कराना चाहिए.
– जन्म के समय बच्चे को जन्म घुट्टी, शहद, पानी आदि देना चाहिए या नहीं.
गीता कुमारी, पटना
जवाब : छह महीने तक सिर्फ मां का दूध देना चाहिए उसके बाद, मुलायम खाना दे सकते हैं.
– अगर किसी मां को एचआइवी या फिर जांडिस है, तो क्या उसे बच्चे को दूध पिलाना चाहिए या नहीं?
नेहा कुमारी, पटना
जांडिस में आप लगातार दूध पिलाएं, इससे कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन, कोई मां यदि एचआइवी से पीड़ित है, तो इस हाल में छह महीने दूध पिलाने के बाद उसे बंद कर दें. इसके बाद शिशु को मुलायम खाना दें, इससे बच्चा का स्वास्थ्य ठीक रहेगा.
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