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लापरवाही: निगम में केंद्र प्रायोजित योजनाओं का बुरा हाल, फाइलों में लटकीं योजनाएं, खाते में पड़े-पड़े सड़ रहे 150 करोड़ रुपये

पटना : नगर निगम अपने मूल काम सफाई और पेयजल को पूरा करने में काफी पीछे है. इसकी सुस्ती केंद्र प्रायोजित योजनाओं को लेकर भी रही है. निगम के खाते में 150 करोड़ से अधिक केंद्र प्रायोजित योजनाओं की राशि पड़ी रहने के बावजूद योजनाएं फाइलों में लटकी हैं. भले ही नीतियां शहर के लोगों […]

पटना : नगर निगम अपने मूल काम सफाई और पेयजल को पूरा करने में काफी पीछे है. इसकी सुस्ती केंद्र प्रायोजित योजनाओं को लेकर भी रही है. निगम के खाते में 150 करोड़ से अधिक केंद्र प्रायोजित योजनाओं की राशि पड़ी रहने के बावजूद योजनाएं फाइलों में लटकी हैं. भले ही नीतियां शहर के लोगों की सुविधा को बेहतर करना हो, लेकिन निगम की लेटलतीफी इसमें आड़े आ रही है. हालात ऐसे हैं कि लगभग सात वर्षों से जेनुआरएम योजना के तहत मिली राशि खाते में पड़ी है.

इसके अलावा निगम को राजीव गांधी योजना के तहत शहरी गरीबों को आवास देने की योजना बीते वित्तीय वर्ष में ही पूरी करनी थी, जो अब तक लटकी हुई है. इसके साथ ही अब दो नयी योजनाओं स्वच्छ भारत मिशन और हाउस फाॅर आॅल पर निगम को काम करने की जिम्मेवारी मिली है. इसके अलावा निगम को इस वित्तीय वर्ष से अमृत मिशन योजना पर भी काम करना है, लेकिन निगम अब तक किसी भी योजना पर कुछ भी ठोस काम नहीं हो पाया है. खाते में राशि होने के बावजूद योजनाएं फाइलों में ही लटकी हुई हैं. ऐसे में शहर के लोगों को केंद्र प्रायोजित योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

जेनुआरएम

कचरे में ठोस कचरा प्रबंधन

नगर निगम को जेनुआरएम के तहत वित्तीय वर्ष 2007-2008 में ठोस कचरा प्रबंधन के लिए 18 करोड़ 29 लाख रुपये मिले थे. इस मद से निगम को शहर की सफाई, कचरा उठाव के लिए उपकरण खरीद से लेकर कचरा निष्पादन के लिए काम करना था. लेकिन, निगम बीते सात वर्षों में इस राशि को खर्च नहीं कर पाया. खाते में पड़े पैसे सूद के माध्यम से 41 करोड़, 38 लाख से अधिक हो गये. हालांकि नगर निगम ने बीते वर्ष सात करोड़ 80 लाख से उपकरणों की खरीद की है. लेकिन, अभी भी 33 करोड़ 58 लाख से अधिक राशि पड़ी हुई है. इसका उपयोग सफाई और विकास कामों में नगर निगम खर्च कर सकता है. शहर की सफाई बेहतर हो सकती है.

शहरी गरीब आवास योजना

खाते में 100 करोड़, नहीं बन रहे घर

राजीव गांधी शहरी गरीब आवास योजना के तहत नगर निगम को स्लम बस्ती में रहने वालों को घर देने की योजना थी. नगर निगम ने शहर के तीन स्लम बस्तियों में रहने वाले चिह्नित किये गये थे. इसके लिए वित्तीय वर्ष 2015-16 तक लगभग 100 करोड़ की राशि खर्च करनी थी. खाते में राशि पड़ी है, लेकिन निगम की ओर से अब तक किसी भी स्तर का मकान नहीं बनाया गया है. अगर इस वित्तीय वर्ष में निगम काम पूरा नहीं करता, तो राशि लौट जायेगी.

स्वच्छ भारत मिशन

हर माह बनने हैं 6800 शौचालय

स्वच्छ भारत मिशन के तहत नगर निगम को हर माह 6800 शौचालय का निर्माण करने की योजना है. नगर विकास व आवास विभाग की ओर से इस योजना को पूरा करने के लिए गाइड लाइन जारी की है. प्रत्येक शौचालय निर्माण पर निगम 12 हजार की राशि लाभुक को देनी है. वर्ष भर में 68 हजार शौचालय का निर्माण किया जाना है. यानी कुल इस वित्तीय वर्ष में निगम को आठ लाख 16 हजार की राशि खर्च करनी है.

जमीन और अधिकारियों की कमी

पुरानी योजनाओं को पूरा करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है. जमीन के अभाव से इसमें परेशानी हो रही है. निगम में अधिकारियों की भारी कमी है. वहीं नयी याेजनाओं को पूरा करने का मापदंड काफी कठिन है. कई बार लोगों के पास आवश्यक कागजात नहीं होते हैं. फिर भी हमारा प्रयास है कि निगम बोर्ड से कोई जनहित के मामले नहीं लटके.

अफजल इमाम, मेयर

अमृत मिशन

पार्क का निर्माण, पेयजल पर भी काम

केंद्र की अमृत मिशन योजना के तहत नगर निगम को कंकड़बाग अंचल में लगभग डेढ़ किमी लंबा पार्क बनाना है. इसमें निगम को एक करोड़ की राशि खर्च करनी है. पार्क की डीपीआर बनाने की जिम्मेवारी नगर निगम ने पर्यावरण विभाग को दी है, लेकिन बीते दो माह के अधिक समय होने के बाद नगर निगम ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की है. इसके अलावा शहर के 54 वार्डों में पेयजल की सुविधा के लिए जलमीनार व पाइप लाइन की सप्लाइ की जानी है. नगर विभाग व आवास विभाग ने इसके लिए डीपीआर बनाने का निर्देश दिया है, लेकिन इस पर भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

हाउस फॉर आॅल

अब तक महज 413 घरों की स्वीकृति

शहरी गरीबों के लिए नयी योजना प्रधानमंत्री हाउस फाॅर ऑल के तहत शहरी गरीबों को आवास देना है. निगम में यह योजना बीते वर्ष जून से ही शुरू है. निगम की लेटलतीफी के कारण अब जाकर कुल 413 घरों के निर्माण की स्वीकृति मिली है. एक घर के निर्माण के लिए दो लाख देने का प्रावधान है. निगम को केंद्र से मिली राशि के आधार पर आठ करोड़ 62 लाख खर्च किये जाने हैं. साथ ही आगे इस योजना का लाभ लोगों को मिले, इस पर भी काम करना है.

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