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शराब की आदत नहीं छूटी तो होंगे तड़ीपार

नये संशोिधत कानून का मसौदा िवधानमंडल में पेश पटना : राज्य में पांच अप्रैल, 2016 से पूर्ण शराबबंदी को पूरी सख्ती से लागू करने के लिए नया मद्यनिषेध और उत्पाद अधिनियम बनाया गया था. लेकिन, इस कानून में कुछ कमियां रह गयी थीं, जिन्हें दूर करते हुए इसका संशोधित रूप लाया जा रहा है. मॉनसून […]

नये संशोिधत कानून का मसौदा िवधानमंडल में पेश

पटना : राज्य में पांच अप्रैल, 2016 से पूर्ण शराबबंदी को पूरी सख्ती से लागू करने के लिए नया मद्यनिषेध और उत्पाद अधिनियम बनाया गया था. लेकिन, इस कानून में कुछ कमियां रह गयी थीं, जिन्हें दूर करते हुए इसका संशोधित रूप लाया जा रहा है. मॉनसून सत्र में पास होने के बाद यह कानून पूरे राज्य में लागू हो जायेगा. इसके तहत शराब की लत नहीं छूटने पर या संबंधित व्यक्ति की आदत में कोई सुधार नहीं आने पर संबंधित जिले के डीएम उस पियक्कड़ को जिला बदर या तड़ीपार कर सकते हैं. यह कार्रवाई अपराधियों के खिलाफ धारा-66 के तहत की जानेवाली कार्रवाई की तरह की जायेगी.
नये संशोधित अधिनियम में डीएम को यह अधिकार दिया गया है. पहले पियक्कड़ को छह महीने के लिए बांड भरवा कर तड़ीपार किया जायेगा. फिर स्थिति के मद्देनजर अधिकतम दो वर्ष के लिए जिलाबदर किया जा सकता है. इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि डीएम चाहें, तो शराबी व्यक्ति को किसी डॉक्टर की देखरेख में छह महीने के लिए नजरबंद भी कर सकते हैं. इस हालत में शराबी को किसी नशामुक्ति केंद्र में भी नजरबंद करके रखा जा सकता है. फिर भी आदत नहीं सुधरने पर उसे तड़ीपार किया जा सकता है.
शराब बरामद होने पर परिवार के सभी व्यस्क को जेल
नये कानून के तहत अगर किसी घर में शराब बरामद की जाती है, तो उस परिवार के सभी व्यस्क (18 वर्ष से अधिक) सदस्य को जेल भेज दिया जायेगा. इनमें बुजुर्ग और महिला सभी शामिल हैं. पूर्ण शराबबंदी को सख्ती से लागू करने के लिए पहली बार यह सख्त प्रावधानलागू किया जा रहा है. वहीं, किसी पंचायत में शराब की अवैध बिक्री होने पर पहले मुखिया को दोषी बनाने का प्रावधान था. इसे अब खत्म कर दिया गया है. पंचायत में अवैध शराब के कारोबार या बिक्री के मामले में अब मुखिया को दोषी नहीं ठहराया जायेगा.
फंसानेवाले अफसरों को भी कड़ी सजा
संशोधित िबल की सबसे खास बात है कि अगर उत्पाद विभाग का कोई अधिकारी किसी को जबरन या गलत तरीके से फंसाता या तंग करता है, तो उसे भी कड़ी सजा िमलेगी. किसी भी स्तर के संबंधित पदाधिकारी को तीन से सात साल तक की सजा हो सकती है. पहले ऐसे आरोप में यह सजा तीन माह की थी. साथ ही विभागीय कार्रवाई भी होगी.
ये भी बदलाव
अगर किसी गांव में चूलाई की दारू बार-बार पकड़ी जाती है या पकड़ने के दौरान गांववाले विरोध करते हैं, तो पूरे गांव पर सामूहिक जुर्माना हो सकता है. हालांकि, गांववालों को अपना पक्ष रखने की पूरी छूट रहेगी.
सभी जिलों में शराबबंदी कानून के तहत मामलों की सुनवाई के लिए एक विशेष न्यायालय
पुलिस की तरह ही उत्पाद दारोगा व अन्य पदाधिकारी को सीआरपीसी के तहत कार्रवाई करने का अधिकार होगा.
एक बार पकड़े जाने पर अगर वही व्यक्ति दोबारा पकड़ा जाता है, तो पहले से दोगुनी सजा
समय पर जुर्माना नहीं जमा करने पर एफआइआर व तीन साल तक की सजा होगी.

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