नयी दिल्ली : पश्चिम बंगाल की सीएम व तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा कि नीतीश कुमार तीसरे मोरचे का नेतृत्व करने के लिए सबसे उपयुक्त नेताओं में से एक हैं. ममता बनर्जी मंगलवार को दिल्ली में थीं. तीसरे मोरचे के गठन और उसके संभावित नेता के बारे में पूछे जाने पर ममता बनर्जी ने कहा कि अभी देश में कई नेता हैं, जो बेहतरीन काम कर रहे हैं.
नीतीश कुमार इनमें सबसे अहम नाम हैं. उन्होंने अपने को इस मोरचे का बैकबेंचर बताया. मंगलवार की देर शाम नीतीश कुमार की ममता से मुलाकात भी हुई. बताया जाता है कि इस दौरान तीसरे मोरचे को किस तरह आगे बढ़ाया जाये, इस पर चर्चा हुई. सूत्रों के अनुसार दोनोें ने तय किया कि बड़े मुद्दों पर दोनों दल संसद में मिल कर हमला बोलेंगे.
इससे पहले एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी नीतीश कुमार को 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष एक साझे उम्मीदवार के रूप में अागे करने की वकालत की थी.
अभी न्यायपालिका समेत कई क्षेत्रों में दलितों को हक दिलाना बाकी : नीतीश
लखनऊ. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को यूपी में नये सियासी समीकरणों का संकेत दिया.
कहा कि देश में दलितों को उनका हक दिलाने के िलए अभी बहुत लड़ाई लड़नी बाकी है और मौका मिला, तो हम बीएस-4 के साथ मिल कर इस लड़ाई को आगे बढ़ायेंगे. हाल में बसपा से अलग हुए बीएस-4 अध्यक्ष आरके चौधरी की ओर से यहां बिजली पासी किले में आयोजित छत्रपति शाहूजी महाराज के जयंती समारोह में नीतीश ने कहा कि बिहार में हमारी सरकार ने महादलितों के लिए आरक्षण में आरक्षण की व्यवस्था लागू कर हर दलित को उसका हक दिलाने की कोशिश की है, लेकिन अभी बहुत कुछ हासिल करना बाकी है. अभी न्यायपालिका समेत अनेक क्षेत्रों में दलित वर्ग के लोग अपने अधिकार से वंचित हैं.
प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जदयू द्वारा गंठबंधन बनाये जाने की अटकलों के बीच नीतीश ने कहा, हम चाहते हैं कि एक ऐसा संगठन खड़ा हो, जो अपने स्वार्थ के बजाय जनता के स्वार्थ के लिए काम करे. चौधरी जी जब तक सबको न्याय न मिल जाये, तब तक संघर्ष करिए. हम आपके साथ हैं. हम मिल कर आगे बढ़ेंगे. अवसर मिला, तो हम मिल कर काम करेंगे.’
दलितों के प्रति चिंता को राम मनोहर लोहिया और भीमराव अांबेडकर की साझा भावना करार देते उन्होंने कहा कि हम लोहिया के विचारों को मानते हैं. अांबेडकर और लोहिया के बीच वैचारिक मेल था. दोनों ही समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों तक को अधिकार दिलाने के पक्षधर थे.
नीतीश ने कहा कि चौधरी ने बसपा छोड़ने से पहले हुई एक मुलाकात के दौरान मुझे आज हुई रैली का न्यौता दिया था. उन्होंने कहा कि छत्रपति शाहूजी महाराज ने पहली बार अपने राज्य में आरक्षण का प्रावधान किया था. आज संविधान में आरक्षण की जो व्यवस्था है, उनकी प्रेरणा इसी मिसाल से मिली थी.
नीतीश कुमार ने कहा कि राम मनोहर लोहिया हमेशा से ही महिलाओं को समाज में आगे लाने के पक्षधर रहे. लेकिन, यूपी की समाजवादी पार्टी की सरकार न महिलाओं के सम्मान की रक्षा कर पा रही है और न ही उन्हें अधिकार दिला पा रही.
सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव का नाम लिये बिना नीतीश ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में लोहिया के आदर्शों की चर्चा करनेवालाें ने उन्हें हराने का भी प्रयास किया.
नीतीश कुमार को तीन घंटे तक प्रशासन की अनुमति का इंतजार करना पड़ा. प्रशासन की अनुमति दोपहर तीन बजे मिली, तो मंच पर आये नीतीश कुमार ने शराबबंदी को लेकर सपा सरकार को घेरा.
उन्होंने कहा कि रैली में आने से यूपी सरकार मुझे रोक ले, लेकिन यहां शराबबंदी लागू कर दे, तो हमें बहुत खुशी होगी. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लोहिया, जेपी, आंबेडकर, संत रविदास और कबीरदास की बात पर गौर करके इस राज्य में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लागू करें. जिस चीज से समाज नष्ट होता हो, उससे मिलनेवाले राजस्व का कोई मतलब नहीं है. बिहार में लोग 10 हजार करोड़ रुपये की शराब पी लेते थे. शराबबंदी लागू होने के बाद उसी धन का सदुपयोग हो रहा है. यूपी में 25 हजार करोड़ की शराब पी जाती है. सोचिए, इस राज्य में शराबबंदी होने पर कितना धन बचेगा. जदयू अध्यक्ष ने कहा कि मेरे यूपी आने-जाने से बहुत से लोगों को परेशानी हो रही है.
इससे पहले नीतीश के रैली स्थल पर पहुंचने को लेकर उहापोह की स्थिति रही. बीएस-4 के अध्यक्ष आरके चौधरी ने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन ने बिजली पासी किले में क्षमता से ज्यादा भीड़ जुटने की संभावना के कारण सुरक्षा के मद्देनजर नीतीश को वहां जाने की इजाजत नहीं दी. चौधरी ने बताया कि मैंने स्वयं नीतीश की सुरक्षा की जिम्मेदारी ली, जिसके बाद जिला प्रशासन ने उन्हें रैली में शामिल होने की अनुमति दी.
उन्होंने मायावती पर बसपा को गर्त में ले जाने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘पार्टी संस्थापक कांशीराम ने भी मायावती पर धन बटोरने की हवस हावी होने की बात कही थी. कांशीराम की स्वयंभू उत्तराधिकारी मायावती द्वारा बसपा के समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी करके चुनाव के टिकट बेचे जाने के खिलाफ पार्टी में आक्रोश पैदा हो चुका है.