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लालकेश्वर के खाते में मिला डेढ़ करोड़ का ट्रांजेक्शन

कार्रवाई. उषा सिन्हा के चार खातों की भी डिटेल एसआइटी को मिली, सभी एकाउंट पटना के लालकेश्वर प्रसाद के तीन खाताें की जानकारी बैंक ने एसआइटी को दी है. पटना : पूर्व बिहार बोर्ड अध्यक्ष लालकेश्वर के खाता में एक करोड़ का ट्रांजेक्शन हुआ है. लालकेश्वर प्रसाद के तीन खाताें की जानकारी बैंक द्वारा एसआइटी […]

कार्रवाई. उषा सिन्हा के चार खातों की भी डिटेल एसआइटी को मिली, सभी एकाउंट पटना के

लालकेश्वर प्रसाद के तीन खाताें की जानकारी बैंक ने एसआइटी को दी है.

पटना : पूर्व बिहार बोर्ड अध्यक्ष लालकेश्वर के खाता में एक करोड़ का ट्रांजेक्शन हुआ है. लालकेश्वर प्रसाद के तीन खाताें की जानकारी बैंक द्वारा एसआइटी को दी गयी है. जिसमें से एक खाता नालंदा का है और दो खाता पटना का है. यह खाता यूनियन बैंक, पीएनबी और एसबीआइ में है.

तीनों खातों में से एक खाते में डेढ़ करोड़ का ट्रांजेक्शन हुआ है, जबकि अन्य खातों में पांच से छह लाख रुपये है. इसी प्रकार उनकी पत्नी उषा सिन्हा के चार खातों की भी डिटेल एसआइटी को मिली है. उनके सभी खाते पटना के है. एक खाता की जानकारी कुछ दिन पूर्व ही एसआइटी को मिल चुकी है. जिसमें उनके खाते में भी एक करोड़ का ट्रांजेक्शन था.

इसके अलावा कई अन्य बैंकों में भी उनके खाते है, हालांकि उसके संबंध में फिलहाल डिटेल नहीं मिली है. अपराध अनुसंधान विभाग इकाई भी इसमें लगा है और तमाम खातों में कितनी रकम है, और कब-कब पैसे डाले या निकाले गये है, इस पर जांच चल रही है. इसके साथ ही इस बात की भी छानबीन की जा रही है कि उसमें किसने और किस माध्यम से पैसे डाले थे. इधर लालकेश्वर के दामाद विवेक कुमार का इश्तेहार भी शनिवार को पुलिस को मिल गया और उसे रविवार को इसके पाटलिपुत्र, नेहरू नगर आवास पर लगा दिया जायेगा.

फिलहाल विवेक कुमार फरार है.

कोलकाता से मंगायी गयी एडमिट कार्ड की सूची, बिना रजिस्ट्रेशन के ही परीक्षा फॉर्म भरने का मामला

पटना : बिना रजिस्ट्रेशन व अन्य प्रक्रिया के 53 छात्रों द्वारा लिये गये एडमिट कार्ड और उसके माध्यम से परीक्षा देने के मामले के प्रकाश में आते ही उन सभी के नाम-पता की जानकारी लेने की एसआइटी ने कवायद शुरू कर दी है. इसके

लिए एसआइटी की ओर से कोलकाता के राजा वसंत राय रोड में स्थित मेसर्स एस बसु कंपनी से विशुनदेव राय को जारी किये गये तमाम छात्रों के एडमिट कार्ड की

लिस्ट मंगा ली गयी है. इसके साथ ही इस लिस्ट में उन 53 छात्रों की खोजबीन की जा रही है. विशुनदेव राय कॉलेज द्वारा 645 छात्रों के आवेदन इंटर काउंसिल में एडमिट कार्ड के लिए तमाम प्रक्रिया पूरी

कर भेजी गयी थी, लेकिन इस कॉलेज के नाम पर 698 छात्रों के एडमिट कार्ड बने थे. पुलिस ने कोलकाता से इसलिए सूची

मंगवायी है, ताकि उन 53 छात्रों की पहचान की जा सके. पुलिस यह आशंका जता रही है कि एडमिट

कार्ड तो कोलकाता की कंपनी की ओर से ही बनायी गयी होगी, क्योंकि इस कंपनी को ही एडमिट कार्ड से लेकर अंक पत्र तैयार करने की जिम्मेवारी मिली हुई थी. कंपनी से सूची आ गयी है और एसआइटी की टीम उनमें से 645 छात्रों को अलग करने में लगी है, जिनकी पूरी

प्रक्रिया के तहत आवेदन इंटर काउंसिल को आये थे और उसके अनुसार ही कोलकाता की कंपनी को एडमिट कार्ड बनाने के लिए

भेजा गया था.

परीक्षा विभाग के कर्मियों ने किया था गोलमाल

आशंका है कि एडमिट कार्ड के मामले में परीक्षा विभाग के कर्मियों ने ही गोलमाल किया है. इसमें उसने यह गड़बड़ी की होगी, जिसे तमाम छात्रों की जानकारी को कोलकाता भेजने की जिम्मेवारी मिली होगी. उसने ही 53 छात्रों की अलग लिस्ट बना कर एडमिट कार्ड बनाये जाने वाली मूल कॉपी में जोड़ दिया होगा. हालांकि पुलिस ने वहां से जो लिस्ट मंगायी है, उसका पूरा अध्ययन करने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकती है. क्योंकि, 643 छात्रों के आवेदन की जांच करना और फिर लिस्ट से मिलान करना काफी कठिन काम है और इसमें काफी समय लग सकता है. हालांकि एसआइटी की टीम ने मिलान करना शुरू कर दिया है.

प्राथमिकी में 53 छात्र भी बनाये जायेंगे आरोपित

उन सभी के नाम व पता की जानकारी मिलने के बाद उन तमाम 53 छात्रों को प्राथमिकी में आरोपित बनाया जायेगा और उनकी गिरफ्तारी की जायेगी. उनके पकड़े जाने के बाद भी और भी मामलों का खुलासा हो सकता है कि उन्होंने किस तरह से बिना रजिस्ट्रेशन व अन्य प्रक्रिया के एडमिट कार्ड प्राप्त करने में सफलता हासिल की.

पुख्ता सेटिंग की थी, पकड़ाने की नहीं थी गुंजाइश

बिना रजिस्ट्रेशन व अन्य कागजात के एडमिट कार्ड प्राप्त करने की साजिश पूरा पुख्ता थी. इसमें कहीं से भी पकड़ाने की कोई गुंजाइश नहीं थी. छात्रों ने एडमिट कार्ड प्राप्त कर लिया और उसके आधार पर परीक्षा भी दे दी. संभवत: परीक्षा में भी सेटिंग कर अच्छे अंक प्राप्त कर लिये और फिर अंकपत्र भी प्राप्त कर लिया. बताया जाता है कि कोलकाता से अंकपत्र आने के बाद उसकी एक कॉपी व अन्य जानकारी इंटर काउंसिल में भी रखी जाती है. अगर बाद में किसी प्रकार की चेकिंग भी होती है, तो वे आसानी से वहां से बच निकलेंगे, क्योंकि उनके अंकपत्र की एक कॉपी वहां होगी.

मैट्रिक मूल्यांकन में कारनामा, जितना लिखा, उतना भी नहीं दिया अंक

पटना : इंटर के मूल्यांकन और रिजल्ट में ही केवल गड़बड़ी नहीं हुई है, बल्कि मैट्रिक के मूल्यांकन में भी गड़बड़ी की गयी है. शिक्षकों ने मैट्रिक के मूल्यांकन में किस कदर लापरवाही की है, यह मामला अब सामने आ रहा है.

मैट्रिक की चल रही स्क्रूटनी में ऐसी-ऐसी उत्तरपुस्तिकाएं निकल कर सामने आ रही हैं, जिन से पता चलता है कि छात्रों ने जितना लिखा है, उतने भी अंक नहीं दिये गये हैं. स्क्रूटनी के दौरान ऐसी 150 उत्तरपुस्तिकाएं अलग-अलग विषयों की मिली हैं. जांच के दौरान शिक्षकों ने उत्तरपुस्तिका में कम अंक देने की शिकायत की है. शिक्षकों का कहना है कि इन उत्तरपुस्तिकाओं में छात्रों ने काफी सटीक जवाब दिया है, लेकिन मूल्यांकन के दौरान शिक्षकों ने लापरवाही की और पूरे अंक नहीं दिये. मामला अब बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष के पास ले जाया जायेगा.

कदाचार जांच समिति लेगी फैसला : जिन उत्तर पुस्तिकाओं में उत्तर के मुताबिक अंक नहीं दिये गये हैं, उन्हें अलग रखी जा रही हैं. ऐसी मिली 150 उत्तर पुस्तिकाओं को कदाचार जांच समिति के पास रखा जायेगा. जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर अंक देने का फैसला लिया जायेगा. स्क्रूटनी में उत्तरपुस्तिकाओं के अंकों की री-टोटलिंग, अंकों का मिलान होता है.

समिति की ओर नहीं की गयी कोई जांच : समिति की ओर से काेई जांच या चेकिंग उत्तरपुस्तिकाओं की नहीं की गयी. शिक्षकों ने अपनी मरजी से जितना चाहा, उतना अंक दिया. मूल्यांकन के दौरान शिक्षकों को नजर रखने के लिए स्क्रूटनाइजर को भी नियुक्त किया गया था. केंद्रों पर जैमर और सीसीटीवी कैमरे लगाये गये थे. इसके बावजूद शिक्षकों ने कॉपी जांच में काफी लापरवाही की है.

सीबीएसइ पैटर्न का नहीं रखा जाता मूल्यांकन में ख्याल : परीक्षा समिति के मैट्रिक और इंटर के मूल्यांकन में सीबीएसइ पैटर्न का ख्याल रखने का निर्देश है. सीबीएसइ की तरह स्टेप वाइज मार्किंग का निर्देश भी शिक्षकों को दिया जाता है. लेकिन, वास्तविकता कुछ और है. शिक्षक मूल्यांकन में न तो उत्तर पढ़ते हैं और न ही उसके अनुसार अंक ही देते हैं. बिना प्रश्न को पढ़े, जितना मन करता है, उतना अंक डाल देते हैं.

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