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एमयू के 12 प्राचार्यों की नियुक्ति वैध, तीन शिक्षकों को राहत नहीं
पटना : पटना हाइकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और न्यायाधीश ज्योति शरण के खंडपीठ ने मगध विश्वविद्यालय के एक दर्जन प्राचार्यों की नियुक्ति को वैध ठहराया है. लेकिन, दो सदस्यीय खंडपीठ ने उन तीन शिक्षकों को राहत नहीं दी है, जिन्हें भविष्य में प्राचार्य के पद पर नियुक्ति के लिए चुना गया […]
पटना : पटना हाइकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और न्यायाधीश ज्योति शरण के खंडपीठ ने मगध विश्वविद्यालय के एक दर्जन प्राचार्यों की नियुक्ति को वैध ठहराया है. लेकिन, दो सदस्यीय खंडपीठ ने उन तीन शिक्षकों को राहत नहीं दी है, जिन्हें भविष्य में प्राचार्य के पद पर नियुक्ति के लिए चुना गया था. एकलपीठ के फैसले के खिलाफ अपील पर इस खंडपीठ ने सुनवाई के बाद अपने फैसले को रिजर्व रखा लिया था, जिसे शुक्रवार को सुनाया गया.
10 दिसंबर, 2015 को न्यायाधीश एके त्रिपाठी के एकलपीठ ने मगध विवि के 15 प्राचार्याें की नियुक्ति को अवैध ठहराया था. साथ ही तत्कालीन कुलपति अरुण कुमार के कार्यकाल में लिये गये फैसलों की निगरानी से जांच का निर्देश दिया था. एकलपीठ ने कहा था कि नियुक्त करनेवाले सफेदपोश लोग हैं. ये अपनी गलती को इस तरह छिपाते हैं कि कुछ चिह्न न छूटे. एकलपीठ के इस फैसले के खिलाफ डाॅ प्रवीण कुमार और अन्य प्राचार्यों ने डबल बेंच में अपील की थी, जिस पर यह फैसला आया.
मगध विवि आठ मई, 2012 को प्राचार्यों की नियुक्ति के लिए वेकेंसी जारी की थी. चयन के लिए तीन सितंबर, 2012 को सेलेक्शन कमेटी का गठन किया गया था. 21 दिसंबर, 2012 को साक्षात्कार हुआ था.
कोर्ट के फैसले से जिन प्राचार्यों को राहत मिली है, उनमें सुधीर कुमार मिश्रा, डाॅ प्रवीण कुमार, शीला सिंह, वेद प्रकाश, शशि प्रताप सिंह, इंद्रजीत प्रसाद राय, डाॅ रेखा कुमारी, डाॅ उपेंद्र प्रसाद सिंह, दिनेश प्रसाद सिन्हा, अरुण कुमार रजक, डाॅ पूनम और डाॅ दलवीर सिंह हैं. वहीं, जिन तीन शिक्षकों को राहत नहीं मिली हैं, उनमें उषा सिन्हा, कृष्ष्णनंदन प्रसाद सिंह और ब्रजेश राय शामिल हैं.
सीबीएसइ स्कूलों में भी चलता है नंबर बढ़ाने का खेल
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