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कमाऊ पुत थे, जिनकी सांसें रास्ते में अटकीं
ओवर हेड िबजली तार मानों पटना-गया पैसेंजर ट्रेन पर मौत बन कर टूटी. घटना स्थल से लेकर तरेगना स्टेशन तक बस परिजनों के आंसू, बेबसी और चीत्कार गूंज रहे थे. पटना : छोटी-सी दुनिया थी. मेहनत के बल पर रौशन थी. रोटी-दाल के जुगाड़ में घर से दूर आते थे और जो कुछ कमाते थे […]
ओवर हेड िबजली तार मानों पटना-गया पैसेंजर ट्रेन पर मौत बन कर टूटी. घटना स्थल से लेकर तरेगना स्टेशन तक बस परिजनों के आंसू, बेबसी और चीत्कार गूंज रहे थे.
पटना : छोटी-सी दुनिया थी. मेहनत के बल पर रौशन थी. रोटी-दाल के जुगाड़ में घर से दूर आते थे और जो कुछ कमाते थे उससे परिवार का पेट भरता था. घर से उम्मीद लेकर निकलते थे और शाम को जीने-खाने का जुगाड़ कर लेते थे. विजय कुमार, नरेश प्रसाद व जितेंद्र कुमार के लिए पटना-गया पैसेंजर ट्रेन लाइफ लाइन थी. लेकिन, गुरुवार को इनका मुकद्दर साथ नहीं था. ट्रेन की रफ्तार के साथ नजदीक हो रही मंजिल ने यह दिलासा दिलाया था कि बहुत जल्द तारेगना स्टेशन आ जायेगा और वह सब ट्रेन से उतरकर घर चले जायेंगे. लेकिन वक्त ने कुछ और ही ठान लिया था. घर से पहले रास्ते में मौत खड़ी थी.
ट्रेन नदमा और पोठही के बीच पहुंची थी कि ओवरहेड तार टूटने से बड़ा हादसा हाे गया. तीनाें काल के गाल में समा गये और एक दर्जन से अधिक झुलस गये. घटना होते ही ट्रेन खड़ी हो गयी. चारों तरफ अंधेरा था और जख्मी यात्रियों की चीख उस अंधेरे को चीर रही थी. बगल में मौजूद नीमा गांव के लाेग आनन-फानन में पहुंचे. बचाव कार्य तेज हो गया.
जख्मी हॉस्पटिल पहुंचे और
बाकी जीआरपी थाने. इस बीच विजय कुमार और जितेंद्र कुमार के परिजन घटना स्थल पर पहुंच गये. घर के कमाऊ पुत की दर्दनाक मौत देख कर उनके आंखाें से आसूंओ की धारा फूट पड़ी. परिवार के लोग सड़क पर लोट रहे थे. घटना स्थल से लेकर तरेगना
स्टेशन तक बस आंसू, बेबसी और चीत्कार गूंज रहा था. देर रात तक भीड़भाड़ और लोगों करुण क्रंदन बरबस ही जारी था.
घंटों मची रही अफरा-तफरी:
नदवां और पोठही स्टेशनों के बीच जैसे ही ओवर हेड विद्युत तार टूटा, तो ट्रेन रुक गयी और ट्रेन के छत पर बैठे और गेट पर खड़े यात्रियों के बीच अफरा-तफरी मच गयी. स्थिति यह थी कि तार टूटने के बाद ट्रेन की छत पर बैठे लोगों ने ऊपर से नीचे छलांग लगाना शुरू कर दिया. इसके साथ ही कोच में बैठे यात्री इधर-उधर भागने लगे. इस स्थिति में छलांग लगाने वाले कई लोगों के पैर भी टूट गये.
हिलसा के दामोदरपुर गांव निवासी विजय कुमार अपनी बहन के गांव मसौढ़ी के चपौड़ में रहने थे. इस ट्रेन से विजय रोजाना पटना से आना-जाना करते थे. घटना की जानकारी जैसे ही बहन के परिवार कोपताचली, वे लोग भी घटनास्थल पर पहुंच गये. घटनास्थल पर पहुंच कर पता चला कि विजय की मौत हो गयी है.
इसी दौरान मसौढ़ी जीआरपी ने तीनों शव को उठाना शुरू किया, तो विजय के परिजनों ने हंगामा करना शुरू कर दिया. इस दौरान पुलिस और स्थानीय लोगों में हल्की नोक-झोंक के साथ साथ विरोध भी किया गया. हालांकि, जीआरपी ने तीनों शवों को अपने कब्जा में कर लिया और पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप िदया.
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