पटना: पांच हजार में स्पलेंडर व 10 हजार में पल्सर बेच रहे थे. शायद आपको विश्वास नहीं हो रहा होगा, लेकिन यह हकीकत है. बाइक चोर चुराये गये वाहनों को सस्ते मूल्य पर बेचते थे. मंगलवार को पकड़े गये बाइक चोर ने पुलिस के समक्ष यह खुलासा किया है.
कंकड़बाग पुलिस ने सूचना के आधार पर बाइक चोर गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है. उनकी निशानदेही पर तीन बाइक, कई चाबियां व नंबर प्लेट भी बरामद किये गये हैं. पूछताछ के दौरान गिरोह के सदस्यों की पहचान पालीगंज के इंदिरा नगर निवासी राजीव रंजन, फतेहपुर कॉलोनी निवासी अभय कुमार, नालंदा के इस्लामपुर निवासी राजेंद्र प्रसाद के रूप में हुई है. पुलिस उनसे लगातार पूछताछ कर रही है और उनके अन्य आपराधिक रिकॉर्ड खंगाल रही है.
गुप्त सूचना पर कार्रवाई
कंकड़बाग पुलिस को मंगलवार की दोपहर सूचना मिली कि गिरोह के सदस्य तिवारी बेचर के समीप एक मकान में बाइक चुराने की योजना बना रहे हैं. पुलिस ने सूचना के आधार पर उक्त मकान को घेर लिया. पुलिस को देख कर बाइक चोर दीवार कूद कर भागने लगे. पुलिस के जवानों ने उक्त चोरों को दौड़ कर पकड़ लिया. पूछताछ के दौरान चोरों ने दूसरे मकानों में छुपा कर रखी गयी तीन बाइक बजाज पल्सर, पैशन प्रो और हंक बरामद की. बाइक की चाबी व नंबर प्लेट भी बरामद किये गये. पुलिस ने बताया कि गिरोह नये स्पलेंडर बाइक को महज पांच हजार में बेच देते थे. वहीं, स्टाइलिस्ट और महंगे हंक, पल्सर बाइक को 10 हजार रुपये में बेचते थे.
जल्द ही होंगे गिरफ्त में
बाइक चोरों से पूछताछ चल रही है. जल्द ही गिरोह के अन्य सदस्य पुलिस की गिरफ्त में होंगे. साथ ही पुलिस नकली कागजात के आधार पर बाइक बेचने की भी जांच कर रही है. पुलिस गिरफ्तार चोरों के पिछले आपराधिक रिकॉर्ड को भी खंगाल रही है.
– अरुण कुमार गुप्ता, थानाध्यक्ष, कंकड़बाग
ढाई मिनट में बदल देते थे नंबर प्लेट
बाइक चोर शातिर किस्म के थे. वह किसी क्षेत्र में बाइक चुराने के बाद किसी एकांत स्थान पर चले जाते थे और उपलब्ध औजार के द्वारा मात्र ढाई मिनट में नंबर प्लेट चेंज कर देते थे. पुलिस के अनुसार, उसके बाद उक्त बाइक पर बैठ कर वह ग्राहक की तलाश करते थे. ग्राहक तैयार होने पर तत्काल बाइक का सौदा तय कर देते थे.
दूसरे जिलों में जा कर बेचते थे
गिरोह के सदस्य बाइक चुराने के बाद उसे दूसरे जिलों में बेचते थे. इसके लिए वे स्थानीय परिचितों का सहायता लेने के साथ बाइक मैकेनिक का भी सहारा लेते थे. इसके लिए कमीशन भी दिया जाता था. पुलिस को शक है कि अधिक पैसा कमाने के लिए बाइक चोर गाड़ियों का फर्जी कागजात भी तैयार करते थे. पुलिस इसके लिए बाइक चोर गिरोह से पूछताछ कर रही है.