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मथुरा प्रेस को दिया चार करोड़ का टेंडर

बिहार बोर्ड में खेल. मोटे कमीशन के लिए नियम को दरकिनार कर लिया गया फैसला पुलिस अनुसंधान में यह बात सामने आयी है कि मथुरा प्रेस को नियमों की अनदेखी कर मोटी रकम का टेंडर दिया था. पटना : सारे नियमों को दरकिनार कर मथुरा प्रेस को चार करोड़ के प्रिंटिंग का टेंडर दे दिया […]

बिहार बोर्ड में खेल. मोटे कमीशन के लिए नियम को दरकिनार कर लिया गया फैसला
पुलिस अनुसंधान में यह बात सामने आयी है कि मथुरा प्रेस को नियमों की अनदेखी कर मोटी रकम का टेंडर दिया था.
पटना : सारे नियमों को दरकिनार कर मथुरा प्रेस को चार करोड़ के प्रिंटिंग का टेंडर दे दिया गया. इसमें उत्तरपुस्तिका, किताब आदि की छपाई की गयी थी. इतनी बड़ी रकम के टेंडर को आसानी से मथुरा प्रेस को मिल गया. पुलिस को टेंडर से संबंधित काफी कागजात मिले हैं, जो इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि सारे नियमों को ताक पर रख कर मथुरा प्रेस को टेंडर दिया गया और इसके एवज में मोटा कमीशन लिया गया. पुलिस इसमें यह मान कर चल रही है कि अगर चार करोड़ का दस फीसदी भी कमीशन बना होगा, तो वह 40 लाख रुपये होगा.
सूत्रों के अनुसार पूर्व कुलपति अरुण कुमार का बेटा व लालकेश्वर प्रसाद का दामाद विवेक ही टेंडर से जुड़े हर मामले को देखता था और वह ही इसका मास्टर माइंड था. वह टेंडर दिलवाने से लेकर कमीशन की सारी सेटिंग खुद करता था. पुलिस ने जब उसे पकड़ने के लिए बुधवार को उसके पाटलिपुत्र नेहरू नगर स्थित आवास पर छापेमारी की, तो टेंडर से जुड़े कई कागजात पुलिस के हाथ लगे.
इसके बाद पुलिस की एक टीम कोलकाता व एक टीम मथुरा के लिए रवाना हो गयी. कोलकाता में मथुरा प्रेस का प्रोसेसिंग यूनिट है. पुलिस की टीम वहां से छानबीन कर पटना वापस लौट रही है. वहां से भी पुलिस को टेंडर से जुड़ी कई जानकारियां हाथ लगी हैं. एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि कोलकाता व मथुरा जांच करने के लिए टीम गयी है और वहां भी कई दस्तावेज पुलिस को मिले हैं.
लालकेश्वर प्रसाद सिंह का निजी सचिव विकास चंद्रा स्कूलों-कॉलेजों के एफिलिएशन से जुड़े मुद्दे व परीक्षा में गड़बड़ी की पूरी सेटिंग करता था. वह एक एजेंट की भूमिका में था और सेटिंग के लिए मध्यस्थता करता था. इसके एवज में कमीशन मिलता था. इस गड़बड़ी में चुन्नू नामक पीए की भूमिका सामने आयी है और उसे पकड़ने के लिए पुलिस छापेमारी कर रही है. अभी तक जो जानकारी पुलिस को हाथ लगी है, उसके अनुसार विकास चंद्रा कॉलेजों के संचालनकर्ता से एफिलिएशन के पैसों की डील करता था और मनचाही रकम मिलने के बाद मध्यस्थता कर उसके काम को करा देता था. बताया जाता है कि पूर्व बिहार बोर्ड अध्यक्ष के कार्यकाल में 100 से अधिक कॉलेजों को एफिलिएशन प्रदान किये गये.
लालकेश्वर ने अपने बेटे राहुल राज को प्रोमोशन व सम्मान दिलवाने के लिए यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया में बिहार बोर्ड के 54 करोड़ रुपये जमा करवाये थे. इसके लिए उषा सिन्हा ने ही लालकेश्वर पर दबाव बनाया था. बिहार बोर्ड के पैसे आमतौर पर इलाहाबाद बैंक में जमा होते थे.
सूत्रों के अनुसार बैंक में आठ मार्च काे महिला दिवस का आयोजन हुआ था और उस आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में राहुल राज की मां उषा सिन्हा को मुख्य अतिथि बनाया गया था. पैसे जमा होने के बाद राहुल राज को बैंक की ओर से सम्मान में प्रशस्ति पत्र व मोमेंटो भी दिया गया था. राहुल राज ने मोमेंटो लेती तसवीर अपने फेसबुक वाल पर भी पोस्ट की और बताया कि डिपोजिट करने के लिए उसे सम्मान मिला है.
शराब पीते हुए तसवीर भी की थी पोस्ट : पूरे सूबे में एक अप्रैल के बाद शराबबंदी हो गयी थी. लेकिन राहुल राज ने शराब पीते हुए एक तसवीर 20 अप्रैल को अपने फेसबुक वॉल पर डाली है. जिसमें वह एक महंगी शराब की बोतल को मुंह से लगाये दिख रहा है. यह तसवीर भी काफी चर्चा में रही. टॉपर घोटाले के सामने के बाद यह मामला भी तूल पकड़ लिया है.

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