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कुख्यात शंभु शर्मा ने किया सरेंडर
बड़ी सफलता. दिल्ली में छिपा था सरगना, सरेंडर के लिए एसएसपी से किया था संपर्क पटना : कुख्यात अपराधी शंभु शर्मा ने शनिवार को पटना के एसएसपी मनु महाराज के समक्ष सरेंडर कर दिया. इसके बाद उसे बुद्धा कॉलोनी व शास्त्रीनगर थानों में उसके खिलाफ दर्ज रंगदारी के मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने […]
बड़ी सफलता. दिल्ली में छिपा था सरगना, सरेंडर के लिए एसएसपी से किया था संपर्क
पटना : कुख्यात अपराधी शंभु शर्मा ने शनिवार को पटना के एसएसपी मनु महाराज के समक्ष सरेंडर कर दिया. इसके बाद उसे बुद्धा कॉलोनी व शास्त्रीनगर थानों में उसके खिलाफ दर्ज रंगदारी के मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने शंभु को जेल भेज दिया. पुलिस ने चार मई को लखनऊ से उसके सहयोगी मंटू शर्मा को पकड़ा था और शंभु को खोज रही थी.
वह जमानत पर रिहा होकर फरार हो गया था और दिल्ली में रह रहा था. शंभु ने दिल्ली से ही एसएसपी मनु महाराज से फोन पर संपर्क किया और सरेंडर करने की इच्छा जाहिर की. एसएसपी ने उसे विश्वास दिलाया कि सरेंडर करने पर उनके पक्ष को भी पूरी तरह से सुना जायेगा.
एसएसपी के समझाने के बाद शंभु शनिवार को उनके गांधी मैदान स्थित कार्यालय में पहुंचा और सरेंडर कर दिया. वहां पुलिस हिरासत में उसने कहा कि उसके नाम पर कई अन्य अपराधी गिरोह रंगदारी की घटना को अंजाम देकर उन लोगों को फंसा रहे हैं, जबकि उन लोगों का कोई हाथ नहीं है. उसने कहा कि एसएसपी द्वारा चलाये जा रहे ऑपरेशन विश्वास पर विश्वास करके उसने सरेंडर किया है, ताकि उसके साथ न्याय हो सके.
गौरतलब है कि पटना के सीपीडब्ल्यूडी ऑफिस में शरद साहू की गोली मार कर हत्या, 2004 में मुजफ्फरपुर नारायण शर्मा की हत्या कर यह गैंग सुर्खियों में आ गया था. 2009 में लीची अनुसंधान में केंद्र में गार्ड की हत्या में भी गिरोह का नाम आया और फिर 2010 में पटना में संतोष कुमार पर जानलेवा हमले में नामजद किया गया. 2011 में वसंत सिंह ठेकेदार की हत्या की गयी. अभी हाल में कोलकाता की कंपनी से रंगदारी मांगने के मामले में भी इन दोनों पर प्राथमिकी दर्ज की गयी. इन लोगों के खिलाफ पटना, मुजफ्फरपुर सहित यूपी में 40 से अधिक हत्या व रंगदारी के मामले दर्ज हैं. इसके पूर्व शंभु को पुलिस की टीम ने देहरादून से पकड़ने में सफलता पायी थी.
अफसरों की मिलीभगत से टेंडर करता था मैनेज
तुरंत मिल जाती थी सूचना
इस संबंध पूछताछ के दौरान ही शंभु ने इस बात को स्वीकार कर लिया कि सीपीडब्ल्यूडी के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से ही वह टेंडर मैनेज करता था. उसे किसी भी बात की सूचना तुरंत ही मिल जाती थी. इसके बाद वह अग्रतर कार्रवाई करता था. इस एवज में वह सूचना देनेवालों को कमीशन भी देता था. इसकी वजह से उन्हें मैनेज करने में कोई प्रॉब्लम नहीं होती थी.
अर्जित की है करोड़ों की संपत्ति
पकड़े गये शंभु-मंटू शर्मा ने अपराध की दुनिया में रह कर करोड़ों की संपत्ति अर्जित की है. उसने मुजफ्फरपुर, देहरादून, लखनऊ व देश की अन्य जगहों में फ्लैट व जमीन खरीद रखी है. हालांकि पुलिस हिरासत में शंभु ने संपत्ति होने की बात से इनकार किया है. सरेंडर करने के बाद अब शंभु हो सकता है कि राजनीति में अपना कदम रखे. हालांकि इस तरह के अब तक कयास ही लगाये जा रहे हैं.
कोशिश है कि बड़े अपराधी भी मुख्य धारा से जुड़ें
नक्सलियों के सरेंडर करने के बाद उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने की फिलहाल योजना है, लेकिन वे प्रयास करेंगे कि बड़े अपराधी भी अगर सरेंडर करते हैं, तो उन्हें भी योजना का लाभ दिलाया जा सके. इससे वे भी समाज की मुख्य धारा से जुड़ सकेंगे और समाज में सिर उठा कर बच्चों व परिवार संग जी सकेंगे.
मनु महाराज, एसएसपी
दोस्त के मर्डर के बाद बन गया अपराधी
शंभु मुजफ्फरपुर के कटरा के धनौत का रहनेवाला है. उसके दोस्त प्रभात की 1994 में अपराधियों ने हत्या कर दी थी और इसके बाद वह अपराधी बन गया. इसके बाद वह 1993 में भुटकुन शुक्ला के संपर्क में आया, इस दौरान आर्म्स एक्ट में जेल भेजा गया. जेल से निकलने के बाद उसने सीपीडब्ल्यूडी में टेंडर मैनेज का खेल शुरू किया. भुटकुन के बाद वह मुन्ना शुक्ला के संपर्क में आया. 1998 में मुन्ना शुक्ला के यहां ही उसकी मुलाकात मंटू शर्मा से हुई. दोनों कम समय में ही शंभु-मंटू गैंग के नाम से चर्चित हो गये. 1999 में मुन्ना शुक्ला से दोनों अलग हो गये और खुद अपने दम पर टेंडर मैनेज करने लगे. बाद में कंपनी व ठेकेदारों के लिए गिरोह खौफ का पर्याय बन गया.
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