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ब्रेन डेड मरीज की किडनी होगी जमा
सुविधा. आइजीआइएमएस में शुरू होगी सुविधा, मरीजों को िमलेगी राहत अस्पताल में कैडेबर किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा को लेकर आइजीआइएमएस प्रशासन ने प्रस्ताव बनाया है. पटना : प्रदेश में किडनी की बीमारी से जूझ रहे मरीजों को अब बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है. इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में अब दिल्ली, मुंबई, तमिलनाडु, गुजरात आदि […]
सुविधा. आइजीआइएमएस में शुरू होगी सुविधा, मरीजों को िमलेगी राहत
अस्पताल में कैडेबर किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा को लेकर आइजीआइएमएस प्रशासन ने प्रस्ताव बनाया है.
पटना : प्रदेश में किडनी की बीमारी से जूझ रहे मरीजों को अब बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है. इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में अब दिल्ली, मुंबई, तमिलनाडु, गुजरात आदि की तर्ज पर कैडेबर किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा अगले तीन-चार माह में शुरू होने की संभावना है. इसमें ब्रेन डेड वाले व्यक्ति के शरीर से किडनी निकाल कर दूसरे रोगियों में प्रत्यारोपित किया जाता है. अभी आइजीआइएमएस में सिर्फ जिंदा व्यक्ति की ही किडनी निकाल कर उसे ट्रांसप्लांट किया जाता है. अब अस्पताल डेड व्यक्ति से भी किडनी निकाल कर दूसरे मरीजों में ट्रांसप्लांट किये जाने की तैयारी में जुट गया है.
अस्पताल में कैडेबर किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा को लेकर आइजीआइएमएस प्रशासन प्रस्ताव बना लिया है. बहुत जल्द प्रस्ताव की सूची स्वास्थ्य विभाग को भेजा जायेगा. विभाग से मंजूरी मिलने के बाद यहां कैबेडर किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा मिलनी शुरू हो जायेगी. कैडेबर ट्रांसप्लांट शुरू करने के लिए स्टाफ, ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर, उपकरण, हृूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन लैब, इंफ्रास्ट्रक्चर, उपकरण, स्टाफ और सुविधा में आनेवाली खर्च की राशि आदि की प्रस्ताव में चर्चा है. हालांकि इस पर अंतिम निर्णय सरकार के साथ होनेवाली बैठक के बाद ही लिया जायेगा.
एक ब्रेन डेड मरीज से बचेंगी पांच जिंदगियां
आइजीआइएमएस में हेड इंज्यूरी से होनेवाली मौत के बाद एक व्यक्ति से पांच लोगों को जिंदगी मिलेगी. दो किडनी, एक हृदय, एक लीवर व एक पैनक्रियाज जमा हो सकेगा. अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि पूरे बिहार में हर साल करीब 100 मरीजों को गुर्दा प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ती है, जबकि करीब 50 हजार मरीज या तो डायलिसिस या इससे जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे हैं.
गौरतलब है कि आइजीआइएमएस में दो ब्रेन डेड के मामले रोजाना आ रहे हैं, ऐसे में इनके अंगदान से काफी राहत मिलेगी. सूत्रों के अनुसार किडनी को सुरक्षित रखे जाने के लिए ल्यूकोसाइट एंटीजन लैब बनेगा.
कैडेबर किडनी ट्रांसप्लांट किडनी विभाग में ही होगा. विभाग में कहां पर ल्यूकोसाइट एंटीजन लैब होगा, कितने स्टाफ की जरूरत होगी, कितना खर्च होगा, इसकी विस्तृत रिपोर्ट एम्स दिल्ली के डॉ वी शीनू ने बनायी है. इनके नेतृत्व में बनी इस योजना को स्वास्थ्य विभाग के समक्ष पेश किया जायेगा. वहीं डॉ वी शीनू ने बताया कि कैडेबर ट्रांसप्लांट से उन मरीजों को अधिक फायदा होगा, जिनको किडनी, लीवर, पैनक्रियाज आदि के लिए भटकना पड़ता है और इसके अभाव में मौत हो जाती है.
क्या कहते हैं अधिकारी
किडनी ट्रांसप्लांट की सफलता के बाद अब यहां कैडेबर किडनी ट्रांसप्लांट शुरू करने की योजना बनी है. अस्पताल प्रशासन ने कागज पर इसकी पूरी तैयारी कर ली है. इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग के साथ बैठक होगी. उम्मीद है कि बैठक के बाद मंजूरी मिल जायेगी.
डॉ एनआर विश्वास, डायरेक्टर, आइजीआइएमएस
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