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आंकड़ों का खेल न खेलें बैंकर्स : सीएम

बैठक : बैंकों द्वारा सीडी रेशियो 44.99 बताये जाने पर मुख्यमंत्री ने जतायी नाराजगी सीएम ने कहा कि विकास का टापू नहीं बनना है, बल्कि मुल्क का विकास होना चाहिए. जिसे विकास की इच्छा है, उसे मदद करनी चाहिए, इसलिए हर राज्य के लिए बैंक अलग-अलग रणनीति बनाये. पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार […]

बैठक : बैंकों द्वारा सीडी रेशियो 44.99 बताये जाने पर मुख्यमंत्री ने जतायी नाराजगी
सीएम ने कहा कि विकास का टापू नहीं बनना है, बल्कि मुल्क का विकास होना चाहिए. जिसे विकास की इच्छा है, उसे मदद करनी चाहिए, इसलिए हर राज्य के लिए बैंक अलग-अलग रणनीति बनाये.
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी की बैठक में बैंकों को खरी-खरी सुनायी. उन्होंने कहा कि बैंकर्स आंकड़ों का खेल खेल रहे हैं. ऐसा न खेलें. साख जमा अनुपात में पिछड़ने के बाद एसबीआइ के जीएम अभिजीत दास द्वारा सीडी रेसियो 44.99 बताये जाने पर सीएम ने कहा, बिहार का सीडी रेशियो वित्तीय वर्ष 2015-16 में कम हुआ है. इसे स्वीकार करें. मुख्यमंत्री यहीं चुप नहीं रहे. उन्होंने कहा बैंक रुरल इंटिग्रेटेड डेवलपमेंट फंड की राशि को जोड़ कर आंकड़ा पेश कर रहा है. यह नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव था. चार-पांच महीने बैंक के लोग आराम कर रहे होंगे.
उनकी प्राथमिकी लुढ़क गयी होगी और काम करने में शिथिल पड़ गये होंगे. ऐसा नहीं होना चाहिए. बिहार के विकास में बैंकों की बड़ी भूमिका है. विकास का टापू नहीं बनना है, बल्कि मुल्क का विकास होना चाहिए. जहां विकास की इच्छा है उसे मदद करनी चाहिए, इसलिए हर राज्य के लिए बैंक अलग-अलग रणनीति बनाये. बिहार में काम हो रहा है तभी तो पिछले 10 सालों से ग्रोथ रेट डबल डिजीट है, जो नेशनल से ज्यादा है.
बिहार का ग्रोथ मॉडल न्याय के साथ विकास काहै. बिहार में हर सेक्टर में ग्रोथ हो रहा है. एग्रीकल्चर सेक्टर हो या फिर कोई दूसरा. 2017 में दूसरा कृषि रोड मैप पूरा हो रहा है. 2017-22 तक के लिए सरकार ने आइडिया बनाकर रख लिया है, जिसे लागू किया जायेगा.
सीडी रेशियाे व शिक्षा ऋण में बिहार पिछड़ गया : एसएलबीसी के ताजा आंकड़े बताते हैं कि साख जमा अनुपात (सीडी रेशियो) और शिक्षा ऋण में बिहार पिछड़ गया है. वित्तीय वर्ष 2015-16 में साख जमा अनुपात 42.96 है, जो पिछले वित्तीय वर्ष 44.59 की तुलना में कम है. यही हाल, शिक्षा ऋण का भी है. बैंकों ने 2015-16 में लक्ष्य से 47.83 प्रतिशत ही शिक्षा ऋण उपलब्ध कराया,जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में लक्ष्य के 50.46 प्रतिशत शिक्षा ऋण दिया गया था.
पांच हजार की आबादी पर खुले बैंक की शाखा : सीएम नीतीश कुमार ने कहा किआरबीआइ का गाइडलाइन आया है कि 5000 की आबादी पर एक बैंक की शाखा होना चाहिए. हमलोग भी इसके पक्षधर हैं.
बैंकर्स इसे सीरियसली नहीं ले रहे हैं. हमने बढ़ता बिहार योजना में पांच हजार की आबादी वाले क्षेत्रों का सर्वे काराया तो पता चला कि 39000 ऐसे क्षेत्र हैं. राज्यभर में आरबीआइ के गाइडलाइन का पालन किया जाये तो 39 हजार बैंक की शाखा हो जायेगी, जिससे सारी समस्या दूर हो जायेगी.
सीवान साख जमा अनुपात में फिसड्डी : सीवान जिला साख जमा अनुपात में फिसड्डी साबित हुआ है. यहां साख जमा अनुपात 25.59 प्रतिशत है, जो असंतोषजनक है.
वहीं, आंध्रा बैंक की साख जमा अनुपात में उपलब्धी 20.70 फीसदी, जम्मू एंड कश्मीर बैंक की 25.65 फीसदी, पंजाब एंड सिंध बैंक की 21.76 फीसदी और कर्नाटका बैंक की 24.41 फीसदी उपलब्धि है, जो 30 प्रतिशत से भी कम है. इसे भी सरकार ने असंतोषजनक माना है.
किसान क्रेडिट कार्ड में लक्ष्य से ज्यादा, एलायड कृषि एक्टीविटी में पीछे : किसान क्रेडिट कार्ड देने में बैंक निर्धारित लक्ष्य से ज्यादा का टारगेट पूरा किया है, जबकि एलायड एग्रीक्लचरल एक्टीविटी में काफी पीछे रहा है. वित्तीय वर्ष 2015-16 में 15 लाख को किसान क्रेडिट कार्ड देने का लक्ष्य था. बैंकों ने 15,63,197 को किसान क्रेडिट कार्ड उपबल्ध कराया है, जो लक्ष्य का 104.21 प्रतिशत है. 2014-15 में 66.35 फीसदी लक्ष्य पूरा हुआ था.
इन बैंकों में नहीं जमा होगी सरकारी राशि
वित्तीय वर्ष 2015-16 के मार्च 2015 के एसएलबीसी के प्रतिवेदन के आधार पर मापदंड से कम उपलब्धि के कारण कई बैंकों में अस्थायी तौर पर सरकारी राशि जमा नहीं होगी. इसमें आंध्रा बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्रा, विजया बैंक, एसबीबीपी, फेडरल बैंक, जम्मू कश्मीर बैंक, साउथ इंडियन बैंक, कर्नाटका बैंक, बंबई एम को-ऑपरेटिव बैंक, टीयूसीबी, देना बैंक, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, सिंडिकेट बैंक प्रमुख हैं.
पांच -सात लाख को स्टूटेंड क्रेडिट कार्ड का लाभ
वित्तीय वर्ष 2016-17 में पांच से सात लाख छात्र-छात्राओं को स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना का लाभ मिलेगा. बैंकों को अब तक 49 हजार का टारगेट मिलता था, अब सीधे सात लाख हो जायेगा. इसमें स्टूडेंट को 12वीं के बाद पढ़ने के लिए चार लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध कराया जायेगा. 75 प्रतिशत ऋण बैंक से अौर 25 प्रतिशत राज्य सरकार देगी.
अशोक चौधरी, शिक्षा मंत्री
अब तक जॉब लेने वाले लोग अब जॉब क्रियेटर हो रहे हैं. उन्हें उद्योग स्थापित करने के लिए बैंकों को मदद करनी चाहिए.
जय कुमार सिंह, उद्योग मंत्री
गरीबों तक योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पाता है. लंबी प्रक्रिया इसमें बाधक होती है. गरीबों को भी हाउसिंग लोन नहीं मिल पाता है.
महेश्वर हजारी,
नगर विकास मंत्री
सहकारिता बैंकों को भी फिर से लाने का प्रयास किया जा रहा है.
आलोक मेहता,
सहकारिता मंत्री
बैंकों की नीतियों में हो बदलाव
बैंकों की नीतियों में बदलाव होना चाहिए और सरलीकरण होना चाहिए. कुछ बैंकों को छोड़ कर दूसरे बैंकों से स्वयं सहायता समूह को सहायता नहीं मिलती है. ग्रामीण बैंकों की तरह दूसरे बैंकों को भी सहायता देनी चाहिए. 1.50 लाख का पहला किस्त भी सभी बैंकों से नहीं मिलता. इसे बढ़ाना चाहिए.
श्रवण कुमार, ग्रामीण विकास मंत्री
भूमिहीनों को मिले ऋण
बैंकों ने गव्य विकास निगम के 27,182 आवेदनों में से 2,459 आवेदन स्वीकृत किये हैं. वहीं, मत्स्य में मात्र 29 आवेदन स्वीकृत किये गये हैं. बैंकों को इसे बढ़ाना चाहिए. बैंक अनुसूचित जाति को ऋण नहीं देती. कहा जाता है कि जमीन लाओ, तब ऋण देंगे. बैंकों को उन्हें ऋण देना चाहिए.
अवधेश कुमार सिंह, पशु व मत्स्य संसाधन मंत्री

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