पटना : पीएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल तीसरे दिन भी जारी रही. इससे इलाज व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी है. बुधवार को भी चार मरीजों की मौत हो गयी. एक मरीज की मौत शिशु सर्जरी विभाग में और तीन की इमरजेंसी वार्ड में हुई है.
इसके अलावा 29 ऑपरेशन नहीं हो सके. सबसे अधिक परेशानी भरती मरीजों को हो रही थी. न तो डॉक्टर उनको देख रहे थे और न ही दवा दी जा रही थी. कई मरीज कष्ट में चीख पुकार रहे थे. हड़ताल की वजह से पीएमसीएच में मरीजों का अाना भी कम हो गया है. इन सब के बावजूद स्वास्थ्य महकमा कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है.
तीसरे दिन भी बंद रहा ओपीडी : हड़ताल की वजह से तीसरे दिन भी ओपीडी सेवा भी बुरी तरह से बाधित रही. बुधवार को कुछ ऐसे मरीज भी पीएमसीएच पहुंचे, जिन्हें हड़ताल के बारे में जानकारी नहीं थी. उनलोगों ने रजिस्ट्रेशन भी कराया. लेकिन, ओपीडी बंद होने के कारण उन्हें बिना इलाज के लौटना पड़ा.
ओपीडी नहीं खुले इसके लिए दो जूनियर डॉक्टर गेट पर डेरा डाले हुए हैं. गरमी में ओपीडी बंद होने के चलते डायरिया, लू, संक्रमण आदि रोग से ग्रसित मरीजों को परेशानी हो रही है. रोजाना यहां डेढ़ से दो हजार मरीज इलाज कराने आते हैं.
इधर हड़ताल, उधर ड्यटी से गायब अन्य कर्मचारी : डॉक्टरों के हड़ताल से स्वास्थ्य कर्मचारियों की भी चांदी हो गयी है. स्थिति यह है कि इमरजेंसी वार्ड में न तो अल्ट्रासाउंड हो रहा और नहीं एक्सरे. दरअसल यहां के कर्मचारी अपना चेंबर छोड़ गायब रहते हैं. जो डॉक्टर बाहर से लाये गये हैं, वे मरीजों को चेक कर अल्ट्रासाउंड कराने के लिए भेज रहे हैं. लेकिन, कर्मचारी नहीं होने की वजह से जांच नहीं हो पा रही थी. ऐसे में मरीजों को अधिक रकम चुका कर बाहर जांच कराने के लिए विवश होना पड़ा.
सीनियर डॉक्टरों की बात नहीं मान रहे : हड़ताल खत्म कराने आये पीएमसीएच के सीनियर डॉक्टर और एचओडी जब जूनियर डॉक्टरों से मिलने गये तो वे हंगामा करने लगे. उनलोगों ने सीनियर डॉक्टरों को वहां से जाने को कहा.
हालांकि काफी समझाने के बाद जूनियर डॉक्टर शांत हुए. उनका कहना था कि जब तक प्रिंसिपल को हटाया नहीं जाता या फिर वह रिजाइन नहीं दे देते तब तक वे हड़ताल खत्म नहीं करेंगे. हड़ताल खत्म कराने को लेकर लेक्चर थियेटर हॉल में जूनियर व सीनियर डॉक्टरों के बीच करीब एक घंटा बात चली. लेकिन, नतीजा कुछ नहीं निकला.
मीडियाकर्मियों से बदसलूकी : पीएमसीएच के जूनियर डॉक्टरों ने बुधवार अनशन क कवरेज करने गये मीडियाकर्मियों से बदसलूकी की. जैसे ही मीडियाकर्मियों ने प्रदर्शन का फोटो लेने ले लिए कैमरा ऑन किया, डॉक्टर उग्र हो गये और एक चैनल के कैमरामैन की माइक छीन ली. मौके पर पहुंचे अन्य मीडियाकर्मियों ने जब माइक देने का आग्रह किया, तो जूनियर डॉक्टर मारपीट करने की धमकी देने लगे.
आइएमए ने की हड़ताल तोड़ने की अपील. प्रदेश में कोई भी ऐसा मेडिकल अस्पताल नहीं है, जहां के डॉक्टर सुरक्षित हैं. यह कहना है आइएमए के अध्यक्ष डॉ सच्चिदानंद कुमार का. पीएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल और इससे मरीजों को हो रही परेशानी को देखते हुए डॉ सच्चिदानंद ने कहा कि हड़ताल खत्म कर देनी चाहिए, डॉक्टरों को सुरक्षा मिले, लेकिन हड़ताल से उन मरीजों को अधिक परेशानी हो रही है, जो बिहार के दूर-दराज जिलों से इलाज कराने यहां आ रहे हैं. उन्होंने हड़ताल तुरंत खत्म करने की अपील की.
जूनियर डॉक्टरों के साथ आया स्वास्थ्य कर्मचारी संघ. बुधवार को जूनियर डॉक्टरों के साथ बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ भी आंदोलन में कूद गया. महामंत्री विश्वनाथ सिंह ने कहा कि संघ हड़ताल का नैतिक समर्थन करता है. उन्होंने कहा कि तुरंत मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू कर देना चाहिए. साथ ही पीएमसीएच सहित सूबे के सभी सरकारी अस्पतालों में स्थायी सुरक्षा व्यवस्था बढ़ायी जानी चाहिए. इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि वह हड़ताली डॉक्टरों की मांगों पर विचार करे.
किसी ने ढाई साल का बेटा खोया, तो किसी के पिता की गयी जान
मेरे बेटे की गलत सर्जरी की गयी. अगर डॉक्टरों ने उसका सही से ऑपरेशन किया होता तो वह जिंदा होता. कितनी दुआ और पूजा-पाठ के बाद मेरा इकलौता बेटा हुआ. अभी वह अपने पैरों पर खड़ा भी नहीं हुआ कि पीएमसीएच के डॉक्टरों ने उसकी जिंदगी छीन ली. यह कहना था बेटे की मौत से सदमे में आये जवाहर यादव का.
भागलपुर के रहनेवाले जवाहर यादव ने अपने ढाई साल के बेटे पीयूष यादव को पीएमसीएच के शिशु सर्जरी वार्ड में भरती कराया था. बुधवार सुबह डॉक्टरों ने उसकी खाने की नली का ऑपरेशन किया. ऑपरेशन के कुछ ही देर बाद बच्चे की मौत हो गयी. यह खबर सुनते ही परिजन उग्र हो गये और वार्ड में ही हंगामा करने लगे. वहीं, इस मामले पर शिशु सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ जेपी गुप्ता ने बताया कि जूनियर डॉक्टर नहीं होने के चलते बच्चे की मौत हुई है.
ऑक्सीजन के अभाव में राघोपुर के राजाराम की मौत
इमरजेंसी वार्ड में बुधवार को तीन मरीजों मौत हो गयी. इसमें राघोपुर के रहने वाले राजा राम (60) भी शामिल हैं. मृतक के पुत्र सुरेश कुमार ने बताया कि हार्ट की बीमारी से ग्रस्त राजा राम को पीएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड में लाया गया था. यहां डॉक्टर भरती लेने के साथ ही ऑक्सीजन लगाने को कहा, लेकिन ऑक्सीजन नहीं मिला. इससे उनकी मौके पर ही मौत हो गयी. सुरेश ने बताया कि ऑक्सीजन रूम में न तो कर्मचारी थी और न ही वार्ड में एक भी डॉक्टर. जो डॉक्टर थे, वे कंट्रोल रूम में बैठे थे. मरीजों की खराब होते स्थिति को वहां देखने वाला कोई नहीं था. इसके अलावा इमरजेंसी वार्ड में दो और मरीजों की मौत हुई है. इसमें एक महिला और एक 14 साल की बच्ची शामिल है.
क्या कहते हैं अधिकारी
भागलपुर की रहनेवाले एक ढाई साल के बच्चे की मौत हुई है. ऑपरेशन के दौरान जूनियर डॉक्टरों का सपोर्ट नहीं मिलने के कारण उसकी मौत हुई. बच्चे को हाइ फीवर था और उसे ऑपेशन के बाद वातानुकूलित वार्ड में भरती करना था.
डॉ जेपी गुप्ता, एचओडी शिशु सर्जरी विभाग.
हम लोग लगातार हड़ताल खत्म कराने के लिए दबाव बना रहे हैं. जूनियर डॉक्टर जिद पर अड़े हैं. बाहर से आये डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं. उन्हें दवाएं भी दी जा रही हैं.
डॉ लखींद्र प्रसाद, अधीक्षक पीएमसीएच.
इस्तीफा नहीं दूंगा, जांच कराये सरकार : सिन्हा
जूनियर डॉक्टरों के कहने पर मैं इस्तीफा नहीं दूंगा. इस मामले पर राज्य सरकार जांच कराये और मैं दोषी पाया जाऊंगा तो जो फैसला सरकार सुनायेगी, वह मुझे स्वीकार होगा. यह कहना है पीएमसीएच के प्रिंसिपल डॉ एसएन सिन्हा का. इंजीनियरिंग छात्रों व जूनियर डॉक्टरों के साथ मारपीट के बाद हड़ताल पर गये डॉक्टरों के बारे में उन्होंने बताया कि हड़ताल के पीछे कोई बड़ी साजिश रची जा रही है. सरकार सीसीटीवी फुटेज देखे और मुझ पर फैसला सुनाये. प्रिंसिपल ने बताया कि अस्पताल में कुछ ऐसे सीनियर व जूनियर डॉक्टर हैं जो चाहते हैं कि कैंपस की व्यवस्था नहीं सुधरे.
जू. डॉक्टरों की जायज मांगों पर विचार को तैयार : प्रधान सचिव
पीएमसीएच समेत सभी मेडिकल कॉलेज अस्तपतालों में इलाज की व्यवस्था चरमरा गयी है. पीएमसीएच में बुधवार को भी चार मरीजों की मौत हो गयी, जबकि 29 ऑपरेशन टल गये. आइजीआइएमएस में भी 200 जूनियर डॉक्टर हड़ताल में चले गये, जिससे 30 आॅपरेशनों को टालना पड़ा. इस बीच स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन ने दो टूक कहा कि सरकार जूनियर डॉक्टरों के आगे नहीं झुकेगी. उन्होंने कहा कि उनकी जायज मांगों पर विचार होगा. उनको पूरी सुरक्षा मिलेगी. लेकिन, उनकी गलत मांगों को सरकार नहीं मानेगी. उन्होंने कहा है कि इमरजेंसी सेवा के लिए अलग से कैडर बनेगा, ताकि विपरीत परिस्थिति में परेशानी नहीं हो. जल्द ही इस दिशा में कदम उठाया जायेगा. वे बुधवार को हड़ताल को लेकर पत्रकारों से बात कर रहे थे.
प्रधान सचिव श्री महाजन ने कहा कि अभी एस्मा लगाने की स्थिति नहीं आयी है. बिना जांच के पीएमसीएच के प्राचार्य पर कोई कार्रवाई नहीं होगी. इमरजेंसी सेवा चालू रखने के लिए डाॅक्टर प्रतिनियुक्ति किये गये हैं. जरूरत पड़ने पर सरकार गंभीर मरीजों का इलाज अपने खर्चे पर निजी अस्पतालों में भी करायेगी. इमरजेंसी सेवा बाधित करनेवालों पर कार्रवाई होगी.
उन्होंने डाॅक्टरों की सुरक्षा के लिए सरकार कृतसंकल्प है. डाक्टरों पर हमला करनेवालों के खिलाफ प्रोफेशनल प्रोटेक्शन एक्ट के तहत कार्रवाई होगी. सरकार वार्ता के लिए हमेशा तैयार है. उन्होंने कहा, हड़ताली जूनियर डाॅक्टरों से कई बार मेरी और विभाग के सचिव से बात हुई है. उनकी मांग प्राचार्य को निलंबित करने की है, लेकिन वे लिखित शिकायत देने को तैयार नहीं हैं. अगर वे लिखित शिकायत करेंगे, तो विभाग किसी सक्षम अधिकारी से इसकी जांच करायेगा.
उन्होंने कहा कि डाॅक्टरों पर हुआ हमला गलत है. हमलावरों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई होगी. पीएमसीएच में पुलिस पिकेट था, लेकिन पंचायत चुनाव की वजह से परेशानी हुई थी. अब हर हाल में वहां पुलिस रहेगी. 75 की जगह अब वहां 150 सुरक्षाकर्मी रहेंगे. हड़ताली डाॅक्टरों से काम पर लौट आने की अपील करते हुए महाजन ने कहा कि अधिक दिन तक सरकार इंतजार नहीं करेगी. इमरजेंसी में वीडियोग्राफी होगी. इलाज को जो बाधित करेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी. हड़ताल पर जाने का निर्णय गलत है. मरीजों का इलाज करते वे अपनी बात रख सकते थे.
महाजन ने कहा कि हड़ताल को लेकर सरकार गंभीर है. हमारी पहली प्राथमिकता इमरजेंसी सेवा को बहाल रखने की है. इसके लिए फिलहाल पीएमसीएच में 37 और एनएमसीएच में 10 डाॅक्टरों की प्रतिनियुक्त की गयी है. राज्य के अन्य अस्पतालों में भी यही व्यवस्था की जा रही है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में विभाग के सचिव जीतेंद्र श्रीवास्तव भी मौजूद थे.