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एकेडमिक कैलेंडर लागू हो

निर्देश. कुलपतियों के साथ मैराथन बैठक में राज्यपाल बोले शिक्षा मंत्री ने कहा िक िशक्षकों को कम-से-कम पांच घंटे कैंपस में रहना अनिवार्य पटना : राज्य में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए राज्यपाल सह कुलाधिपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में सोमवार को मैराथन बैठक चली. राज्यपाल ने बैठक में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट […]

निर्देश. कुलपतियों के साथ मैराथन बैठक में राज्यपाल बोले
शिक्षा मंत्री ने कहा िक िशक्षकों को कम-से-कम पांच घंटे कैंपस में रहना अनिवार्य
पटना : राज्य में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए राज्यपाल सह कुलाधिपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में सोमवार को मैराथन बैठक चली. राज्यपाल ने बैठक में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम पर जोर दिया और बैठक में इसी शैक्षणिक सत्र से इसे लागू करने पर भी सभी ने सहमति जतायी.
राज्यपाल ने सभी कुलपतियों और प्रतिकुलपतियों दो टूक कहा कि एकेडमिक कैलेंडर हर हाल में लागू करें. बैठक में राज्यपाल ने सभी कुलपतियों से यह भी कहा कि जो शिक्षक बिना किसी जायज कारण के पांच साल से सेवा नहीं दे रहे हैं उन्हें योगदान करने के लिए नोटिस जारी करें, नहीं तो उनको नौकरी से हटाया जायेगा. सभी विश्वविद्यालयों में बोर्ड आॅफ स्टडी खोलने पर निर्णय हुआ. अभी तक यह सिर्फ पटना विवि में ही लागू है. बैठक में शिक्षा मंत्री डाॅ अशोक चौधरी भी मौजूद थे.
दिया प्रेजेंटेशन : बैठक में कुलपतियों ने अपने-अपने विवि के मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम, हायर एजुकेशन एग्जामिनेशन बोर्ड, एकेडमिक कैलेंडर, शिक्षकों के नियमित वर्ग अध्यापन, नामांकन और परीक्षा प्रक्रिया के कंप्यूटरीकरण, सेमेस्टर-सिस्टम, शिकायत निवारण तंत्र, विश्वविद्यालय और महाविद्यालय में लेखा के अद्यतीकरण , नैक मूल्यांकन आदि विषयों पर प्रेजेंटेशन दिया. जिस पर विस्तार से चर्चा की गयी. राज्यपाल ने कहा कि हर हाल में अकादमिक एवं परीक्षा कैलेंडर सुचारू रूप से लागू होना चाहिए. इससे विद्यार्थियों, अध्यापकों, कर्मचारियों सबको लाभ होगा. समय पर नामांकन, नियमित अध्यापन, परीक्षा, परीक्षाफल एवं समय से डिग्री मिल जाती है तो उच्च शिक्षा के विकास के मार्ग की अधिकतर कठिनाइयां स्वत: दूर हो जायेंगी.
करीब छह घंटे तक चली बैठक में राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में छात्र-कल्याण समिति एवं ‘शिकायत निवारण तंत्र’ को सुदृढ़ रूप में विकसित करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों की प्रोन्नति एवं उनके सेवांत लाभ से जुड़े विभिन्न मामलों के निबटारा के लिए विश्वविद्यालय में स्थायी व्यवस्था हो. राज्यपाल ने स्वरुचि आधारित आकलन पद्धति पर ठोस निर्णय लेने की जरूरत बतायी. उन्होंने कहा कि इसका कार्यान्वयन शीघ्रहोना चाहिए. इससे उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थियों की अभिरुचि के आलोक में उनके ज्ञान-विस्तार में सहायक होगा.
उच्च शिक्षा परीक्षा बोर्ड के गठन पर विचार : बैठक में उच्च शिक्षा परीक्षा बोर्ड बनाने पर भी विस्तार से चर्चा हुई. नालंदा खुला विवि के कुलपति से कहा गया कि इसको लेकर एक पखवारा के भीतर एक सेमिनार का आयोजन करें, जिसमें बोर्ड के गठन पर शिक्षक व छात्रों की राय ली जा सके.
राज्यपाल कोविंद ने विवि के आर्थिक सुदृढ़ीकरण पर जोर दिया, साथ में यह भी कहा कि वित्तीय अनुशासन भी आवश्यक है. उन्होंने विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय परिसर में वाइ-फाइ, इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराने इ -पुस्तकालय की स्थापना एवं उसकी मजबूती पर जोर दिया.
राज्यपाल ने इस बात पर खुशी जाहिर की कि हाल के दिनों में विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोहों के आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुए हैं.
उच्च शिक्षा क्षेत्र में सुधार की जरूरत : बैठक में शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि उच्च शिक्षा क्षेत्र में सुधार की जरूरत है. सुधार निरंतर चलनेवाली प्रक्रिया है. इसके लिए जरूरी है कि चरणबद्ध तरीके से शिक्षा-विकास-योजनाओं को तत्परतापूर्वक कार्यान्वित किया जाये. राज्यपाल के प्रधान सचिव डाॅ इएलएसएन बाला प्रसाद ने एकेडमिक-कैलेंडर के कार्यान्वयन एवं शिक्षकों की नियमित उपस्थिति पर जोर दिया. एक इंटरैक्शन सेशन का भी आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई.
अपने निकट के गांव को गोद ले विवि
राज्यपाल ने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय अपने निकटवर्ती गांव गोद लें और गांव वालों के महत्वपूर्ण सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाएं. विवि और काॅलेज ‘प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’, ‘स्वच्छ भारत अभियान’, ‘विद्युतीकरण योजना’, ‘मेक इन इंडिया’ ‘डिजिटल इंडिया’ और राज्य सरकार के ‘सात निश्चयों’ के सफल कार्यान्वयन में सहायक बन कर अपनी सामाजिक जिम्मेवारी निभा सकते हैं. तंबाकू एवं अन्य नशीले पदार्थों के उपयोग के खिलाफ जनचेतना विकसित करने में भी विश्वविद्यालय व महाविद्यालय के एनसीसी और एनएसएस जैसे संगठन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.
नियमित कक्षा से शिक्षा में होगा सुधार : चौधरी
शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने बैठक में कहा कि विश्वविद्यालय में शिक्षकों को कम-से-कम पांच घंटे रहना चाहिए. शिक्षकों की कक्षाओं में नियमित उपस्थिति से शिक्षा के स्तर में सुधार आयेगा.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय विभिन्न योजनाओं से संबंधित उपयोगिता प्रमाणपत्र ससमय भेजें, ताकि आवंटन प्राप्त करने में कठिनाई न हो. बैठक में शिक्षा मंत्री ने भी विश्वविद्यालयों में एकेडमिक कैलेंडर के कार्यान्वयन पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि ‘नैक एक्रिडिएशन’ के प्रति भी विश्वविद्यालयों को तत्पर रहना चाहिए, ताकि यूजीसी और रूसा से वित्तीय सहायता प्राप्त करने में कठिनाई नहीं हो.

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