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फर्जी कागजात पर जमानत लेनेवाले तीन को कारावास

पटना : पटना के अनुमंडलीय न्यायिक दंडाधिकारी कुमारी विजया ने जाली कागजात के आधार पर उच्च न्यायालय से औपबंधिक जमानत लेने के एक मामले में अभियुक्तों धर्मेंद्र कुमार, रामाशीष शर्मा व मधुसूदन शर्मा को भादवि की विभिन्न धाराओं में दोषी पाते हुए तीन वर्ष का सश्रम कारावास व अर्थदंड की सजा सुनायी. उक्त मामला कोतवाली […]

पटना : पटना के अनुमंडलीय न्यायिक दंडाधिकारी कुमारी विजया ने जाली कागजात के आधार पर उच्च न्यायालय से औपबंधिक जमानत लेने के एक मामले में अभियुक्तों धर्मेंद्र कुमार, रामाशीष शर्मा व मधुसूदन शर्मा को भादवि की विभिन्न धाराओं में दोषी पाते हुए तीन वर्ष का सश्रम कारावास व अर्थदंड की सजा सुनायी. उक्त मामला कोतवाली थाने में तत्कालीन निबंधक द्वारा दर्ज कराया गया था.
सरकारी अभियोजन पदाधिकारी विनोद सिंह ने बताया कि अभियुक्त धर्मेंद्र कुमार, जो हत्या के मामले में घोसी थाना कांड संख्या 240 /10 का अभियुक्त था तथा जेल में बंद था. उसने वर्ष 2011 में पटना हाइकोर्ट में एक पूरक शपथ पत्र दाखिल कर अदालत से निवेदन किया था कि उसकी दादी की मृत्यु हो गयी है. श्राद्ध कर्म में शामिल होने के लिए औपबंधिक जमानत दी जाये. उक्त आवेदन के साथ अभियुक्त द्वारा अपनी दादी के मृत्यु के संबंध में एनएमसीएच द्वारा निर्गत मृत्यु प्रमाणपत्र भी संलग्न किया गया. अदालत ने उक्त आवेदन को स्वीकार करते हुए धर्मेंद्र कुमार को औपबंधिक जमानत प्रदान कर दी थी.
जानकारी मिलने पर हत्याकांड के सूचक नवल किशोर शर्मा ने कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल कर उक्त प्रमाणपत्र को जाली एवं अभियुक्त के दादी के जिंदा रहने का दावा किया. हाइकोर्ट की जांच में अभियुक्त की झूठ पकड़ी गयी. इस पर कोतवाली थाने में मामला दर्ज कराया. अदालत ने धर्मेंद्र को तीन वर्ष का सश्रम कारावास व सात हजार अर्थदंड एवं अभियुक्त रामाशीष शर्मा व मधुसूदन शर्मा को दो-दो वर्षों का सश्रम कारावास व पांच -पांच हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी.

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