आइजीआइएमएस के शिशु रोग विभाग की ओर से रविवार को बच्चों में कूल्हे की बीमारी और इसके रोकथाम को लेकर एक सेमिनार का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन आइजीआइएमएस के डायरेक्टर डॉ एनआर विश्वास ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. सेमिनार में बिहार के अलावा यूपी, दिल्ली सहित कई राज्यों से डॉक्टरों ने हिस्सा लिया.
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उलटा पैदा हुए बच्चों में हो सकती है कूल्हे की बीमारी
पटना: बच्चों के कमर या कूल्हे की हड्डियों में परेशानी को नजर अंदाज करना ठीक नहीं है. यदि बच्चा उलटा पैदा हुआ है, तो जन्म के दो महीने बाद ऑर्थोपेडिक सर्जन को दिखाएं. ऐसा नहीं करने पर बच्चे को कूल्हे की बीमारी हो सकती है. यह जानकारी ऑर्थोपेडिक्स के विशेषज्ञ डॉ जॉन मुखोपाध्याय ने दी. […]
पटना: बच्चों के कमर या कूल्हे की हड्डियों में परेशानी को नजर अंदाज करना ठीक नहीं है. यदि बच्चा उलटा पैदा हुआ है, तो जन्म के दो महीने बाद ऑर्थोपेडिक सर्जन को दिखाएं. ऐसा नहीं करने पर बच्चे को कूल्हे की बीमारी हो सकती है. यह जानकारी ऑर्थोपेडिक्स के विशेषज्ञ डॉ जॉन मुखोपाध्याय ने दी.
आइजीआइएमएस के शिशु रोग विभाग की ओर से रविवार को बच्चों में कूल्हे की बीमारी और इसके रोकथाम को लेकर एक सेमिनार का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन आइजीआइएमएस के डायरेक्टर डॉ एनआर विश्वास ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. सेमिनार में बिहार के अलावा यूपी, दिल्ली सहित कई राज्यों से डॉक्टरों ने हिस्सा लिया.
दर्द की दवा से बच्चों के लिवर पर असर : शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ संतोष कुमार ने बताया कि छोटे बच्चों में थोड़ा भी दर्द होता है तो अभिभावक दर्द की दवा दे देते हैं. लेकिन, बिना डॉक्टर की सलाह के दवा खाने से बच्चों के लिवर व किडनी पर असर पड़ता है. इससे बच्चों का लीवर कमजोर हो जाता है और खाना नहीं पचता है. नतीजतन बच्चे उलटी कर देते हैं. अभिभावकों को इन बातों पर ध्यान देना होगा.
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