पटना: विश्वविद्यालय शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पर बिहार लोक सेवा आयोग ने सवाल उठाये हैं. उसने शिक्षा विभाग द्वारा विश्वविद्यालयवार रिक्तियां भेजे जाने पर आपत्ति जतायी है. आयोग ने कहा है कि शिक्षा विभाग विश्वविद्यालयों से विषयवार रिक्तियां लेकर पहले आरक्षण रोस्टर तैयार करे, फिर उसे समेकित रूप से एक साथ भेजे. आयोग इसके बाद विज्ञापन निकालेगा.
अभ्यर्थी आवेदन में नियुक्ति के लिए प्राथमिकता देंगे. आयोग अभ्यर्थियों द्वारा दी गयी प्राथमिकता के आधार पर मेधा सूची निकालने की अनुशंसा करेगी. इसके अलावा कोई भी अतिरिक्त सूची नहीं बनायी जायेगी, जो साल भर के लिए मान्य होगी. आयोग ने शिक्षा विभाग से पूछा है कि सरकार द्वारा लिये गये बीइटी में पास किये अभ्यर्थियों को एसइटी से छूट होगी या नहीं? ग्रेडिंग सिस्टम के लिए भी विस्तृत ब्योरा विभाग दे. राष्ट्रीय और राज्य पात्रता परीक्षा के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है. ऐसे में जो अभ्यर्थी कभी भी इन पात्रता परीक्षा में पास किया हो वो मान्य होगा? दूसरे राज्यों में आयोजित पात्रता परीक्षा में पास उम्मीदवार के भी आवेदन क्या मान्य होंगे?
कैसी हो नियुक्ति प्रक्रिया : शिक्षा विभाग से पूछा है कि शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया कैसी होगी, यह स्पष्ट करें. आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया नियमावली के अनुसार सीधी नियुक्ति में 50 से कम रिक्तियां रहने पर उससे पांच गुना और 50 से अधिक होने पर चार गुना उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है. अभ्यर्थियों का चयन मेधा सूची के अनुसार किया जाता है. उम्मीद है कि ये प्रक्रिया शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में लागू नहीं हो सकेगी, क्योंकि 55 फीसदी और उससे अधिक अंकों से स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण, नेट-सेट से पास किये हुए और पीएचडी धारक अभ्यर्थी को इसके लिए मान्य माना जायेगा. ऐसी स्थिति में बड़ी संख्या में आवेदन आने के आसार हैं.
रिक्ति से ढाई गुना से अधिक आवेदन आने पर बीपीएससी स्क्रीनिंग टेस्ट ले सकता है. इसके लिए अंतिम निर्णय आयोग रिक्ति और उसके विरुद्ध आनेवाले आवेदन की संख्या देखने के बाद लेगा.