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छात्रवृत्ति घोटाले में पटना के डीपीओ हुए निलंबित

पटना : प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में पटना के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (योजना व लेखा) ब्रजनंदन सिंह को निलंबित कर दिया गया है. उन्हें शिक्षा विभाग के निदेशक प्रशासन राजेंद्र राम ने निलंबत कर दिया है. पटना के जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल के निर्देश के बाद हुई जांच में डीपीओ ब्रजनंदन सिंह पर आरोप […]

पटना : प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में पटना के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (योजना व लेखा) ब्रजनंदन सिंह को निलंबित कर दिया गया है. उन्हें शिक्षा विभाग के निदेशक प्रशासन राजेंद्र राम ने निलंबत कर दिया है. पटना के जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल के निर्देश के बाद हुई जांच में डीपीओ ब्रजनंदन सिंह पर आरोप साबित हुए थे. इन पर आरोप था कि फर्जी स्कूलों की सूची को उन्होंने एप्रुवल दिया था. इसके बाद उन स्कूलों के खाते में 1.38 करोड़ रुपये ट्रांसफर किये गये थे. इसके बाद पटना डीएम ने कार्रवाई के लिए विभागीय अनुशंसा की थी.
15 खाताधारियों पर एफआइआर छात्रवृत्ति घोटाले में रिपोर्ट शुक्रवार को आने के बाद शनिवार को 15 खाताधारियों पर एफआइआर दर्ज की गयी थी. जिला कल्याण पदाधिकारी एसपी चौरसिया ने गांधी मैदान थाने में केस दर्ज किया था.
इसमें कांति देवी कल्याणपुर पटना, भाेला कुमार बीएमदास रोड पटना, गौतम कुमार व अशोक कुमार माधोपुर जहानाबाद, कुमार विकास सरिस्ताबाद, सुमित गुप्ता बाकरगंज, मंटू यादव सोनियावां, सरोज कुमार सैदाबाद, रुपेश कुमार एनआइटी नागपुर, राजीव रंजन मीठापुर, गोपाल कुमार, श्रवण कुमार व प्रमोद कुमार मखनियां कुआं, कविता देवी और सुरुचि देवी के साथ ही अन्य शामिल थे.
पटना : छात्रवृत्ति घोटाले के सबसे बड़े दोषी क्लर्कों पर अभी तक कानूनी शिकंजा नहीं कस सका है. घोटाले में जांच रिपोर्ट आने के बाद भी मुख्य दोषियों पर एफआइआर नहीं हो सकी है.
15 खाताधारियों पर एफआइआर होने के बाद कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी. अभी तक शिक्षा और कल्याण विभाग के तीन क्लर्क साफ तौर पर बचे हुए हैं, जबकि डीडीसी की जांच रिपोर्ट ने शिक्षा और कल्याण विभाग के तीन लिपिक को दोषी करार दिया था. इसमें कल्याण के एक और शिक्षा के दो क्लर्क शामिल थे. क्लर्कों पर कार्रवाई नहीं होना कई सवाल खड़े कर रहा है. इधर सूत्रों ने बताया कि अबतक इस संबंध में जिलाधिकारी से कोई पत्राचार नहीं किया गया है. इसीसे आदेश के इंतजार में यह कार्रवाई लटकी पड़ी है.
इसके पहले 11 मार्च को पांच लाेगों पर केस किया गया था. इसमें क्लर्क मनोज कुमार पर केेस किया गया था. उसके साथ बैंक में फर्जीवाड़ा करते पकड़े गये निधि कुमारी, अविनाश कुमार, गिन्नी देवी और पंकज कुमार पर एफआइआर की गयी थी. इसके बाद जिला कल्याण पदाधिकारी ने आइडीबीआइ कंकड़बाग और उमा कांम्पलेक्स से जांच करायी जिसके बाद फर्जीवाड़े का प्रकरण पुष्ट तौर पर सामने आया था.

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