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सामूहिक खेती को मिले बढ़ावा : चौधरी

आद्री रजत जयंती समारोह. शिक्षा मंत्री ने कहा, बिहार में निवेश के लिए उचित माहौल एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) का पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन शनिवार को शुरू हुआ. पहले दिन शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने अपने संबोधन में सामूहिक खेती समेत कई बिंदुओं पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि बिहार में निवेश के लिए […]

आद्री रजत जयंती समारोह. शिक्षा मंत्री ने कहा, बिहार में निवेश के लिए उचित माहौल
एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) का पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन शनिवार को शुरू हुआ. पहले दिन शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने अपने संबोधन में सामूहिक खेती समेत कई बिंदुओं पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि बिहार में निवेश के लिए उचित माहौल उपलब्ध है. अगले चार दिनों में देश-विदेश के कई विद्वान इस सम्मेलन को संबोधित करेंगे.
पटना : आद्री के पांच दिनों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के पहले दिन शिक्षा सह सूचना मंत्री अशोक चौधरी ने अपने संबोधन में सामूहिक खेती पर जोर दिया है. मौर्या होटल सभागार में आयोजित सम्म्ेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जमीन के टुकड़ों को मिलाकर खेती की जाये तो इससे पैदावार भी ज्यादा होती है. बिहार में जमीन की कमी नहीं है. छोटे उद्योगों को जमीन दी जा रही है. उद्योगपतियों के लिए यहां अवसर के द्वार खुले हैं.
वे एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) के रजत जयंती समारोह के अवसर पर चलने वाली व्याख्यान शृंखला ‘विकास और संवृद्धि : अनुभव और सिद्धांत’ शीर्षक से पांच दिवसीय समारोह की शुरुआत में ‘भूमि और समानता’ विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा खेती पर से ज्यादा निर्भरता खत्म होने जैसी स्थिति उभर रही है. इसे बचाना होगा. केरल व पंजाब की तर्ज पर खेती होनी चाहिए.
मंत्री ने कहा कि बिहार में भूमि अधिग्रहण पर लगातार काम हुआ है. भूदान आंदोलन हो या जमींदारी प्रथा समापन, इसमें जमीन को समान रूप से घरों के बीच बांटने की कोशिश की गयी है. राज्य सरकार ऑपरेशन बसेरा चला रही है. इसमें भूमिहीनों को पांच डिसमिस जमीन दी जा रही है. उन्होंने कहा कि बिहार में विकास का नया स्तर बन रहा है. जमीन की कीमत में वृद्धि हो रही है.
बिहार में रखा गया है किसान हित का ख्याल
उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून कांग्रेस के समय से चल रहा है. खेतीहरों की जरूरतों व उनके प्रभाव को वरीयता दी गयी थी. भाजपा ने इसमें बदलाव का प्रयास किया. किसानों से जमीन छीनने का प्रयास किया गया, लेकिन कांग्रेस ने इसका विरोध किया. भाजपा का जो मंसूबा था कि किसानों से जमीन लेकर पूंजीपतियों को दी जाये उस पर रोक लगी है.
बिहार में भूमि अधिग्रहण पर उचित मुआवजा व किसान हित का ख्याल रखा गया है. राज्य सरकार आगे भी किसान के हित में लगातार काम करती रहेगी.
भूमि अधिग्रहण की जटिलता से विकास बाधित : प्रणब बर्धन
आद्री के व्याख्यान माला में ‘भूमि व समानता’ विषय पर बर्कले स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉ प्रणब बर्धन का व्याख्यान हुआ. उन्होंने भूमि व समानता के ज्वलंत मुद्दे को पांच प्रमुख मापदंडों पर केंद्रित किया. भूमि सुधार में सामान्य साम्य संबंधी प्रभाव, भूमि वितरण पर जनसांख्यिक व बाजार विषय के प्रभावों से भूमि सुधार का महत्व, जमीन जोतने वालों की कमी, भूमि व लैंगिक समानता और भूमि व अंतरक्षेत्रीय समानता पर जोर दिया. ऑपरेशन बर्गा के जरिए महत्वपूर्ण भूमि सुधार करने वाले पश्चिम बंगाल में 1982 से 1995 के बीच लगभग 700 किसानों से संबंधित आंकड़ों की उन्होंने चर्चा की. उन्होंने ने कहा कि बंटाइदारी भूमि सुधार का महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है. कृषि उत्पादकता पर बंटाइदारी वाली खेतों का प्रभाव कोई अलग-थलग घटना नहीं है. इससे जमीन मालिकों द्वारा की जाने वाली खेती की उत्पादकता में भी सुधार हुआ है. भूजल विक्रेताओं द्वारा किए गए निवेश के कारण पश्चिम बंगाल में कृषि लागत घटी है.
विकास के मुद्दे पर शोध करता रहा है आद्री : शैबाल गुप्ता
आद्री के सदस्य सचिव शैबाल गुप्ता ने कहा कि कि आद्री की स्थापना 1991 में हुई थी और 1992 से लगातार व्याख्यानमाला का आयोजन हो रहा है. नॉलेज बेस्ड सोसायटी के निर्माण के लिए हम अपनी भागीदारी निभा रहे हैं.
विकास के मुद्दे पर संस्थान शोध कर रहा है. विकास को ही आयाम बनाकर इस साल होने वाली व्याख्यानमाला में चर्चा की जायेगी. शैबाल गुप्ता ने पांच दिनों तक चलने वाले समारोह के कार्यक्रमों की रूप रेखा भी बतायी और अतिथियों का स्वागत किया. आइजीसी इंडिया बिहार के कंट्री डायरेक्टर अंजन मुखर्जी ने डा. प्रणब बर्द्धन के जीवनी पर प्रकाश डाला. वहीं, सत्र की अध्यक्षता करते हुए अर्थशास्त्री लॉड मेघनाद देसाई ने औद्योगिक विकास के लिए भूमि अधिग्रहण के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय अनुभवों पर महत्वपूर्ण सुझाव पेश किए. उन्होंने किसानों की सहकारिता को कृषि उत्पादकता बढ़ाने का एक बेहतर उपाय बताया. अंत में धन्यवाद ज्ञापन आद्री के निदेशक प्रो प्रभात पी घोष ने किया.
मिथिलेश
पटना : पच्चीस साल पहले 1991 में आद्री की स्थापना जब हुई थी तब संस्थान के पास नाम मात्र के संसाधन थे. लेकिन, आद्री की उस टीम के पास बिहार के लिए काम करने का जज्बा था, हौसला था. ढाई दशक में आद्री ने लंबा सफर तय किया. बिहार के विकास में सरकार और राजनीतिक दलों को एक मंच पर एकत्र कर 12 वें ,13 वें और 14 वें वित्त आयोग को ज्ञापन सौंपने में आद्री की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. 2016-17 में आद्री सिल्वर जुबली समारोह मना रहा है.
क्या है आद्री : आद्री एक गैर सरकारी संस्थान है जिसके छाते के नीचे बिहार के विकास से संबंधित कई काम होते हैं. यहां बिहार सरकार की एजेंसी सेंटर फॉर पालिसी रिसर्च एंड पब्लिक फिनांस के साथ मिल कर पिछले 10 सालों से इकाेनॉमिक सर्वे तैयार किया जाता है. सरकार की कई विकास योजनाओं का मूल्यांकन रिपोर्ट करने में आद्री की सहभागिता है. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए आद्री ने एक बड़े सेमिनार का आयोजन किया था. नामचीन हस्तियों ने इसके समर्थन में अपना पक्ष रखा था.
एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) के रजत जयंती समारोह का शिड्यूल 27 मार्च, रविवार
सिल्वर जुबली व्याख्यान
सुदीप्तो मंडल, प्रो एनआइपीएफपी
प्रभात पी घोष, आद्री
कैवन मुंशी, कैंब्रिज विवि
विजय कुमार चौधरी, स्पीकर
उदघाटन सत्र
शैबाल गुप्ता
लार्ड मेघनाद देसाई
ओन्नो रूही, कंट्री डायरेक्टर, विश्व बैंक
अंजन मुखर्जी, कंट्री डायरेक्टर आइजीसी
नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री बिहार
वर्किंग सेशन
जॉर्ज ए कोरेसा, सीनियर इकोनॉमिस्ट, विश्व बैंक
सुधांशु कुमार, एनआइपीएफपी
मनोज मोहनन, ड्यूक विवि
रोनाल्ड अब्राहम
महजबीन जगमग और अपूर्वा बमेजई
शबनम सिन्हा
चिन्मय कुमार, आइजीसी
रहबर अली, आद्री
कात्यायनी सेठ, विश्व बैंक
रुकमिनी बनर्जी, सीइओ प्रथम
यामिनी अय्यर, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च
सिल्वर जुबली व्याख्यान
प्रो सतीश जैन, जेएनयू
प्रो प्रभात पी घोष, आद्री
लक्षमी अययर, हार्वर्ड विवि
28 मार्च, सोमवार
जॉन ब्लोमक्वीस्ट,सीनियर इकोनॉमिस्ट विश्व बैंक
पंकज वर्मा, आइजीसी
डेबोलिना कुंडु, एसो प्रो नेशनल इंस्टीट्यूट आफ अरबन अफेयर्स
प्रीत रस्तोगी, आइएचडी
श्रयाना भट्टाचार्या, इकोनॉमिस्ट विश्व बैंक
केवी राजू, डायरेक्टर डेवलपमेंट मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट, पटना
विकास डिंबले, आइजीसी
आत्सुशी कातो,ओयामा गकुइन विवि
कोइची फुजीता, क्योटो विवि जापान
यामिन मजुमदार
पुलिन बी नायक
एके शिवकुमार
सुनील राय, डायरेक्टर एएन सिन्हा संस्थान
शिशिर देवनाथ, आइएसबी हैदराबाद
फुलोमी धर चक्रवर्ती,
रुचि श्री, जेडीएमसी विवि
बर्ना गांगुली, आद्री
बक्शी अमित कुमार सिन्हा, आद्री
राहुल घई, आइएचएमआरयू
सुजीत कुमार, जेएनयू
सिल्वर जुबली व्याख्यान
दिलीप सिन्हा, पूर्व अधिकारी भारतीय विदेश सेवा
कंथिका सिन्हा, सीनियर फेलो, आइसीएसएसआर आद्री
जीन जोसेफ, प्रोफेसर सीइपीआइआइ
29 मार्च, मंगलवार
शेवोन राय, प्रोफेसर आइजीआइडीआर
शिशिर देबोनाथ, आइएसबी
काजूया वाडा, नागासाकी विवि
अश्मिता गुप्ता, आइएसआइ चेन्नई
आदत्यिा डर,जॉर्ज वाशिंगटन
एस सुब्रमणयम, पूर्व प्रोफेसर एमआइडीएस
अभिमन्यु गहलौत, कंट्री इकोनॉमिस्ट, आइजीसी
मनीष कुमार, आद्री
रंजीत सिंह धुमन, सीआरआरआइडी चंडीगढ
प्रो पंचानन दास, प्रोफेसर यूनिवर्सिटी आफ कोलकाता
प्रांजय गुहा ठकुराता, वरिष्ठ पत्रकार
मनीष गुप्ता, एनआइपीएफपी
मनीष सब्बरवाल, सीइओ टीम लीज सर्विस
मिथिलेश कुमार, जेएनयू
मेघादीप चक्रवर्ती,असिस्टेंट प्रो टिस गुवाहाटी
सुधांशु कुमार और आर कविता राव,एनआइपीएफपी
विमल किशोर साहु और भास्कर ज्योति नियोग, आइआइटी कानपुर
चिन्मयी मल्लिक
अमितावा बोस, पूर्व डायरेक्टर आइआइ एम कोलकाता
अलख नारायण शर्मा, डायरेक्टर आइएचडी
दिलीप एम नचाने कुलाधिपति मणिपुर विवि
30 मार्च, बुधवार
गोपा सब्बरवाल, कुलपति नालंदा अंतरराष्ट्रीय विवि
पिनाकी चक्रवर्ती, प्रो एनआइपीएफपी
बिनायक सेन, प्रो बांग्लादेश इंस्टीट्यूट आफ डेवलपमेंट स्टडीज
पूर्व सांसद एनके सिंह
शैबाल गुप्ता, सदस्य सचिव आद्री
अरविंद पनगढिया, उपाध्यक्ष नीति आयोग
अब्दुल बारी सिद्दीकी, वित्त मंत्री
नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री बिहार
प्रभात पी घोष, डायरेक्टर आद्री

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