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अब नहीं सुनायी पड़ती गौरेये की चहचहाहट
घर के आंगन में अब गौरैये की चहचहाहट अब नहीं सुनाई पड़ती. गौरैया राजकीय पक्षी है, पर सरकार ने इसके संरक्षण के लिए कुछ नहीं किया. मोबाइल टावरों के रेडियेशन ने गौरैयों की फुदफुदाहट पर लगाया ब्रेक, सबसे अधिक गौरैये पटना शहरी क्षेत्र से हुए लुप्त, मुजफ्फरपुर दूसरे नंबर पर. रामनरेश चौरसिया पटना : बे […]
घर के आंगन में अब गौरैये की चहचहाहट अब नहीं सुनाई पड़ती. गौरैया राजकीय पक्षी है, पर सरकार ने इसके संरक्षण के लिए कुछ नहीं किया. मोबाइल टावरों के रेडियेशन ने गौरैयों की फुदफुदाहट पर लगाया ब्रेक, सबसे अधिक गौरैये पटना शहरी क्षेत्र से हुए लुप्त, मुजफ्फरपुर दूसरे नंबर पर.
रामनरेश चौरसिया
पटना : बे के शहरों के फ्लैटों और गुंबजों पर अब सुबह-सुबह गौरैयों की फुदफुदाहट नहीं होती. शहरी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर मोबाइल टाॅवरों ने गौरैयों की फुदफुदाहट पर ब्रेक लगा दिया है.
नतीजा यह है कि शहरों में कीटों की संख्या बेतहाशा बढ़ी है. यही नहीं, प्रदूषण फैलाने वाले बैक्टीरिया भी तेजी से फैल रहे हैं. बिहार में गौरैया को राजकीय पक्षी का दर्जा तो मिला है, पर उसकी सुरक्षा और संरक्षण के मोरचे पर सरकारी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ.
शहरी क्षेत्रों से गौरैयों के विलुप्त होने की सर्वे रिपोर्ट आने पर बिहार सरकार की नींद उड़ी है. सरकार ने अब जा कर गौरैयाें की सुरक्षा और संरक्षण के मोरचे पर काम करना शुरू किया है. वन-पर्यावरण विभाग पहली बार बिहार ‘विश्व गौरैया दिवस’ मनाने जा रहा है. रविवार को सभी जिलों में वन पर्यावरण विभाग ‘विश्व गौरैया दिवस’ का आयोजन करने जा रहा है.
‘विश्व गौरैया दिवस’ का मुख्य कार्यक्रम पटना के संजय गांधी जैविक उद्यान में होगा. संजय गांधी जैविक उद्यान के कार्यक्रम में जाने- माने गौरैया विशेषज्ञ अर्जुन प्रसाद सिंह लोगों को इसके संरक्षण व सुरक्षा के टिप्स बतायेंगे. वन विभाग के पदाधिकारी मानते हैं कि अनाज के दाने छतों पर सुखाने की परंपरा समाप्त हो जाने के कारण शहरी क्षेत्रों से धीरे-धीरे गौरैये लुप्त हो रहे हैं.
यही नहीं, बच्चों के बीच गौरैयों को पॉपुलर बनाने का भी प्रयास नहीं किया गया, यही वजह है कि अब घरों की छत के किसी कोने में इसके घोसलें नजर नहीं आते. ‘विश्व गौरैया दिवस’ पर वन-पर्यावरण विभाग अब अन्य स्वयंसेवी संगठन बच्चों को गौरैयों का घोसला बनाने और पेंटिंग प्रतियोगिताओं का आयोजन करायेंगे. इसके अलावा गौरैयों पर फोटोग्राफी प्रतियोगिताओं का भी आयोजन करवायेगा.
घटती जा रही गौरैयों की संख्या
गौरेया 2010 2016
पटना 90% 10%
मुजफ्फरपुर 80% 20%
सीवान 90% 30%
रक्सौल 80% 30%
हाजीपुर 90% 40%
गौरेया 2010 2016
गया 80% 25%
बेगूसराय 85% 35%
भागलपुर 85% 25%
बिहारशरीफ 80% 25%
छपरा 90% 45%
गौरेया 2010 2016
गोपालगंज 85% 70%
आरा 85% 40%
राजगीर 85% 50%
मुंगेर 90% 35%
मोतिहारी 90% 35%
मधुबनी 95% 40%
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