पटना : निगरानी ब्यूरो की जांच के आदेश के बाद अनुसूचित जाति -जन जाति कल्याण विभाग में खलबली मची है. विभाग की ओर से दी जाने वाली पोस्ट मैट्रिक और इंजीनियरिंग कालेज की छात्रवृत्ति मामले की सभी फाइलों को निगरानी ब्यूरो ने तलब किया है. जल्द ही इसकी छानबीन शुरू हो जायेगी. सूत्रों के मुताबिक होली बाद जांच में तेजी आयेगी. फिलहाल जांच से स्कॉलरशिप पाने वाले छात्रों की परेशानी बढ़ गयी है.
बताया जा रहा है कि छात्रवृत्ति भुगतान पर निर्णय अभी विभाग की ओर से नहीं बल्कि सरकार के स्तर पर होगा. अकेले 2015 में विभाग ने विभिन्न राज्यों के 154 तकनीकी संस्थानों को रजिस्टर्ड किया है. इनमें सबसे अधिक 48 आंध्र प्रदेश के संस्थान हैं. छोटे से प्रदेश हरियाणा के 36 संस्थान विभाग से रजिस्टर्ड हैं जहां बिहार के एससी-एसटी छात्रों के पढ़ने पर उनकी फीस की रकम का भुगतान किया जाता है.
सूत्रों के अनुसार निगरानी जांच में विभाग के आधा दर्जन अधिकारियों की गर्दन फंस सकती है. पूरे मामले में एक रैकेट काम कर रहा है जो छात्रों के चयन से लेकर उनको कॉलेज में नामांकन तक कराने का काम को अंजाम देता था. जानकार बताते है कि सही तरीके से जांच हो तो बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता का मामला सामने आयेगा और पशुपालन घोटाले से भी बड़ा घोटाला सामने आ सकता है . बताया जा रहा है कि अभी लगभग 20 हजार छात्रों को स्कॉलरशिप मिल रही है. विभाग में नामांकित होने के लिए 500 कॉलेज आये थे.
लेकिन नामांकित हुए सिर्फ 274.उन्हीं कॉलेज को नामांकित किया गया जिन्होंने निर्धारित शुल्क के आलावा सुविधा शुल्क दिया. बड़ी संख्या में एेसे कॉलेज को नामांकित किया गया जहां पर्याप्त सुविधा भी नहीं थी. तकनीकी कॉलेज में नामांकन के लिए मेला लगाया गया था. जांच को देखते हुए विभाग ने अघोषित रूप से स्कालरशिप पर रोक लगा दी है.स्कॉलरशिप भुगतान रुक जाने से तकनीकी संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों की परेशानी बढ़ गयी है.