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नियमों की हुई अनदेखी : 27 हजार की सोलर लाइटें खरीदीं 47 हजार में
अनियमितता. पंचायती राज संस्थाओं की ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा, ि बिजली और मानव बल के अभाव में नौ ग्राम पंचायतों में कंप्यूटर की खरीद कर दी गयी. खरीद के छह वर्ष बाद भी सभी कंप्यूटर बेकार पड़े हैं. पटना : पंचायती राज संस्थाओं के अंकेक्षण में पाया गया कि उनके द्वारा नियमों की अवहेलना कर […]
अनियमितता. पंचायती राज संस्थाओं की ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा, ि
बिजली और मानव बल के अभाव में नौ ग्राम पंचायतों में कंप्यूटर की खरीद कर दी गयी. खरीद के छह वर्ष बाद भी सभी कंप्यूटर बेकार पड़े हैं.
पटना : पंचायती राज संस्थाओं के अंकेक्षण में पाया गया कि उनके द्वारा नियमों की अवहेलना कर अपने क्षेत्र में मूल्य से अधिक दर पर स्ट्रीट लाइटों को लगवाया गया. राज्य में इस तरह से 102 स्ट्रीट लाइट लगवाये गये, जिसमें जनता के 17.27 लाख रुपये अधिक भुगतान किये गये. इन सोलर स्ट्रीट लाइटों की खरीद छह ग्राम पंचायतों और एक पंचायत समिति द्वारा किया गया है.
जिन ग्राम पंचायतों द्वारा सोलर स्ट्रीट लाइट की खरीद की गयी, उनमें अतरी, बनगामा उत्तरी, बनगामा दक्षिणी, बरुआर, धनचिहा, झहुरी और पंचायत समिति लौकही शामिल हैं.
महालेखाकार द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार वित्तीय नियमावली में यह प्रावधान किया गया है कि प्रत्येक प्राधिकार जिन्हें जनहित में सामग्री क्रय करने की शक्तियां प्राप्त हैं कि उनके द्वारा चयनित सामग्री तर्कसंगत व आवश्यक विशेषताओं के अनुरूप हो.
बिहार के सभी जिलों में मानक विशेषताओं वाले सौर ऊर्जा उपकरणों की खरीद व स्थापना के लिए बिहार राज्य इलेक्ट्रानिक विकास निगम लिमिटेड (ब्रेडा) को राज्य क्रय संगठन के रूप में अधिसूचित किया गया है. इसकी सूचना भी सभी विभागीय प्रधान सचिवों, प्रमंडलीय आयुक्तों व जिला पदाधिकारियों को दे दी गयी है. इसके बावजूद इन ग्राम पंचायतों द्वारा अगस्त, 2008 से अगस्त, 2011 तक स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं से 102 सोलर स्ट्रीट लाइटों की खरीद की गयी.
ब्रेडा द्वारा निर्धारित मानको एव दरों की तुलना में सोलर लाइटों को बाजार दर पर 42500 रुयये से लेकर 47500 रुपये तक खरीदा गया जबकि ब्रेडा का दर उस अवधि में (2008-2012) तक प्रति इकाई 31492 रुपये से लेकर 26684 रुपये के मध्य था. इस प्रकार 102 सोलर स्ट्रीट लाइटों की खरीद पर 17.27 लाख रुपये अधिक खर्च किया गया. इसी तरह से अंकेक्षण में पाया गया कि बिजली और मानव बल के अभाव में नौ ग्राम पंचायतों में कंप्यूटर की खरीद कर दी गयी.
खरीद के छह वर्ष बाद भी सभी कंप्यूटर बेकार पड़े हैं. मधुबनी जिला के बासोपट्टी के प्रखंड विकास पदाधिकारी ने ग्राम पंचायत बासोपट्टी पश्चिमी, बासोपट्टी पूर्वी, बिरपुर, छतौनी, हत्थापुर परसा, कटैया, खौना, मठिया और महिनाथपुर के लिए कंप्यूटर की खरीद की. मेसर्स गैलेक्सी से प्रत्येक ग्राम पंचायत के 94196 की दर से कंप्यूटर खरीद की गयी. पंचायत सचिवों ने बताया कि फरवरी, 14 से जुलाई, 14 तक पंचायत कार्यालय मेंबिजली ही नहीं है. साथ ही कंप्यूटर आपरेटर भी नियुक्त नहीं हुए. सभी कंप्यूटर पंचायत भवन या मुखिया या सचिवों के आवास पर बेकार पड़े थे.
पटना : राज्य में संचार मीनार एवं संबंधित संरचना नियमावली 2012 प्रभावी है. इसके अनुसार मोबाइल कंपनियों से टावर लगाने के लिए पंजीकरण व नवीकरण के लिए शुल्क लेने की व्यवस्था की गयी है. यह स्थानीय नगर निकायों द्वारा वसूला जाना है. राज्य के 15 शहरी स्थानीय निकायों द्वारा वित्तीय वर्ष 2005-06 से 2012-13 तक 454 मोबाइल टावरों की स्थापना की गयी.
जब 31 मार्च 2013 को शहरी स्थानीय निकायों की जांच की गयी तो पता चला कि मोबाइल टावरों से पंजीकरण व नवीकरण का शुल्क ही नहीं वसूला गया है. इसके कारण शहरी स्थानीय निकायों की 3.66 करोड़ होनेवाली आय की वसूली नहीं की गयी. संचार मीनार एवं संबंधित संरचना नियमावली के तहत नगर निगम क्षेत्र में मोबाइल टावर लगाने का पंजीकरण शुल्क 50 हजार प्रति टावर और नवीकरण शुल्क 15 हजार रुपये सलाना, नगर परिषद क्षेत्र में पंजीकरण शुल्क 40 हजार रुपये प्रति टावर और नवीकरण शुल्क 10 हजार रुपये प्रति टावर सलाना और नगर पंचायत क्षेत्र में पंजीकरण शुल्क 30 हजार रुपये प्रति टावर और नवीकरण शुल्क आठ हजार रुपये प्रति टावर सलाना की दर से वसूला जाना है.
महालेखाकार कार्यालय द्वारा स्थानीय लेखापरीक्षक द्वारा तैयार कराये गये रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन शहरी स्थानीय नगर निकायों द्वारा मोबाइल टावरों से वसूली नहीं की गयी है उनमें 15 शहरी निकाय शामिल हैं.
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