बिहारी कलाकारों द्वारा निर्मित इस फिल्म की मुख्यमंत्री ने प्रशंसा की थी, लेकिन लालू प्रसाद के बेटों की आपत्ति के कारण देसवा जैसी फिल्म बनाने वालों को अपने ही राज्य में अभिव्यक्ति का अधिकार नहीं दिया गया. मोदी ने कहा कि देसवा का प्रदर्शन तकनीकी कारण बताकर अंतिम समय में रोका गया, जिससे मुंबई से चल चुके या पटना पहुंचे निर्माता-निर्देशक समेत कई कलाकारों को अपमान और असुविधा का सामना करना पड़ा. वर्ष 2003 में जब बिहारी निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा ने बिहार में दहशत के माहौल और पुलिस के काम में राजनीतिक हस्तक्षेप पर गंगाजल जैसी प्रभावशाली फिल्म बनायी थी, तब भी लालू–राबड़ी परिवार के लोगों ने फिल्म प्रदर्शन का विरोध किया था.
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पटना फिल्म फेस्टिवल में नहीं दिखी देसवा : मोदी
पटना: भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर देशद्रोही नारेबाजी का समर्थन करने वाले नीतीश कुमार की सरकार ने हाल में संपन्न पटना फिल्म फेस्टिवल के दौरान भोजपुरी फिल्म देसवा का प्रदर्शन नहीं होने दिया, क्योंकि फिल्म में लालू–राबड़ी के पिछले शासनकाल […]
पटना: भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर देशद्रोही नारेबाजी का समर्थन करने वाले नीतीश कुमार की सरकार ने हाल में संपन्न पटना फिल्म फेस्टिवल के दौरान भोजपुरी फिल्म देसवा का प्रदर्शन नहीं होने दिया, क्योंकि फिल्म में लालू–राबड़ी के पिछले शासनकाल में व्याप्त जंगलराज की स्थिति को अभिव्यक्ति दी गयी थी.
नीतीश कुमार और लालू प्रसाद अभिव्यक्ति की आजादी के चैंपियन बन रहे हैं, लेकिन वे अपने राजकाज के खिलाफ बनी फिल्म को अभिव्यक्ति का अधिकार नहीं देते. लोग जानते हैं कि यहां हर साल दुर्गापूजा पंडालों में कार्टून और मूर्तियों के माध्यम से राजनीतिक-सामाजिक विषयों पर कलाकार अपनी भावनाएं व्यक्त
करते थे.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूजा पंडालों से अभिव्यक्ति का यह अधिकार छीन लिया.
पंडालों में कार्टून और कटाक्ष करने वाली सामग्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया.
भाजपा नेता ने कहा कि नीतीश कुमार एक तरफ अभिव्यक्ति की आजादी की बात करते हैं, तो दूसरी तरफ वे उन वामपंथी दलों के हिमायती हैं, जिनके शासन वाले राज्यों में दूसरी विचारधारा को कुचल दिया जाता है. वे बतायें कि क्या जेएनयू में केवल वामपंथी संगठनों को अभिव्यक्ति की आजादी मिलनी चाहिए. जेएनयू में वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और योगगुरु रामदेव के कार्यक्रम क्यों नहीं होने दिया गया.
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