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15 के बाद बदल जायेगी पुलिसिंग की रूपरेखा

एसपी थानों में बनायेंगे टीम डीजीपी ने सभी जिलों के एसपी को दिया थानों में यह नयी व्यवस्था करने का आदेश पटना : राज्य में 15 मार्च के बाद से पुलिसिंग की रूपरेखा या एप्रोच बदल जायेगा. सभी 1064 थानों में विधि-व्यवस्था और अनुसंधान की कमान संभालने के लिए अलग-अलग टीमों का गठन कर दिया […]

एसपी थानों में बनायेंगे टीम
डीजीपी ने सभी जिलों के एसपी को दिया थानों में यह नयी व्यवस्था करने का आदेश
पटना : राज्य में 15 मार्च के बाद से पुलिसिंग की रूपरेखा या एप्रोच बदल जायेगा. सभी 1064 थानों में विधि-व्यवस्था और अनुसंधान की कमान संभालने के लिए अलग-अलग टीमों का गठन कर दिया जायेगा. इसके लिए डीजीपी ने सभी जिलों के एसएसपी और एसपी को आदेश जारी कर दिया है.
इन्हें अपने-अपने जिले में मौजूद थानों में 15 मार्च तक टीमें गठित करने के लिए कह दिया गया है. गौरतलब है कि फरवरी में सीएम ने विधि-व्यवस्था दुरुस्त करने को लेकर दो बार बैठक करके कई अहम निर्देश दिये थे. इनमें थाना स्तर पर अनुसंधान और विधि-व्यवस्था के लिए अलग टीम गठित करना भी शामिल था.इसे अमलीजामा पहनाने के लिए पुलिस महकमे ने कवायद शुरू कर दी है.
ये होंगे इसके मुख्य फायदे : सभी थानों में अनुसंधान और विधि-व्यवस्था के लिए दो अलग-अलग टीमों का गठन करने से लंबित मामलों का निष्पादन तेजी से हो सकेगा. राज्यभर में लंबित मामलों की संख्या करीब 50 हजार है. अनुसंधान करने वाली टीम किसी कांड के अनुसंधान पर ही मुख्य रूप से फोकस करेगी. साथ ही इससे निर्धारित समय सीमा में किसी मामले का हल निकल सकेगा या किसी कांड का ठोस नतीजा सामने आ सकेगा.
अगर कहीं हत्या होती या कोई बड़ा अपराध होता है, तो अनुसंधान टीम इसकी तह तक पहुंच पूरे मामले को उजागर करेगी. वहीं, दूसरी तरफ अगर कहीं हंगामा होता है या हत्या के बाद प्रदर्शन, सड़क जाम या तोड़-फोड़ जैसी विधि-व्यवस्था से जुड़ी अन्य कोई त्वरित समस्या उत्पन्न होती है, तो इसकी कमान विधि-व्यवस्था की टीम संभालेगी.
अभी यह होती है समस्या : वर्तमान व्यवस्था के तहत थानों में कार्य का विभाजन नहीं होने से एक ही पुलिस पदाधिकारी अनुसंधान में लगे या किसी केस के आइओ हैं, तो दूसरी तरफ विधि-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होने पर इसे भी संभाल रहे हैं. कांडों में समुचित तरीके से अनुसंधान नहीं होने के कारण कई बार केस डायरी सही से नहीं लिखि रहती है. इसका फायदा अपराधियों को मिलता है.
अलग-अलग टीमें होंगी गठित
राज्य के सभी जिलों में मौजूद 1064 थानों में किसी कांड के अनुसंधान और विधि-व्यवस्था की देखरेख के लिए अब अलग-अलग टीमें होंगी. दोनों टीमों का काम बिलकुल फोकस होगा. इसमें थानों में मौजूद पुलिस पदाधिकारी से लेकर सिपाही तक का अलग-अलग संख्या में विभाजन किया जायेगा.
किस टीम में कितने लोग होंगे, यह उस थाने की संख्या बल पर निर्भर करेगा, जिसका निर्णय संबंधित जिले के एसपी करेंगे. एसपी को सभी थानों की संख्या बल के मुताबिक टीमों की संख्या का निर्धारण करने के लिए कहा गया है.

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