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बिहार में बढ़ाना होगा उत्पादन
पूर्वी राज्यों में उत्पादन अधिक, उत्पादकता काफी कम : राधामोहन पटना : केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि देश के पूर्वी राज्यों देश के अन्य राज्यों से उत्पादन अधिक है, पर उत्पादकता काफी कम है. देश में चावल का औसत उत्पादन 25-26 क्विंटल है, तो बिहार में यह […]
पूर्वी राज्यों में उत्पादन अधिक, उत्पादकता काफी कम : राधामोहन
पटना : केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि देश के पूर्वी राज्यों देश के अन्य राज्यों से उत्पादन अधिक है, पर उत्पादकता काफी कम है. देश में चावल का औसत उत्पादन 25-26 क्विंटल है, तो बिहार में यह 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर ही है. गेहूं का औसत उत्पादन प्रति हेक्टेयर 31 क्विंटल है, तो बिहार में यह 22-23 क्विंटल ही है. इसे हमें बढ़ाना होगा. वे पूर्वी क्षेत्र आइसीएआर के 16वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि सात पूर्वी राज्याें का भौगोलिक क्षेत्रफल 22.5 प्रतिशत है, जबकि जनसंख्या 34 प्रतिशत है. इन सातों राज्यों में देश का 31 प्रतिशत पशुधन है.
इसके बावजूद देश के पूर्वी भागों पर पूरे देश की खाद्य सुरक्षा निर्भर है. उन्होंने कहा कि देश के लिए कृषि यांत्रिकीकरण, जलवायु परिवर्तन के असर को कम करना, आद्र भूमि की अधिकता, जनसंख्या का अधिक दबाव, भूमिहीनों की जीविका और एक लाख हेक्टेयर परती भूमि का विकास बड़ी और महत्वपूर्ण चुनौती है. इसके लिए पूर्वी क्षेत्र आइसीएआर द्वारा इससे निबटने के लिए किये जा रहे काम की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि पूर्वी क्षेत्र में जल संसाधन की प्रचुरता है, लेकिन इसका दोहन नहीं किया जा रहा है.
पूर्वी क्षेत्र आइसीएआर, पटना को दूसरे हरित क्रांति की जिम्मेवारी सौंपते हुए उन्होंने कहा कि तिलहन उत्पादन के मामले में भी बिहार काफी पीछे है.
उन्होंने कहा क उच्च पैदावार के लिए राज्य सरकार केंद्र को राष्ट्रीय बीज निगम की स्थापना के लिए एक सौ एकड़ जमीन देगी. अब तक बंगाल और झारखंड ने जमीन उपलब्ध करा दिया है.
इसके लिए बिहार सरकार को दो-दो बार पत्र दिया जा चुका है. सिंचाई सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री सिंचाई योजना की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पैसे की कमी नहीं है. राज्य सरकार योजना बनाये और पैसा ले. किसानों को खेती के लिए अलग से फीडर के लिए बिहार को केंद्र सरकार ने राशि उपलब्ध करा दी है.
कार्यक्रम को स्थानीय विधायक संजीव चौरसिया, डा विशाल नाथ, संस्थान के पूर्व निदेशक आलोक कुमार सिक्का, डा एडी पाठक और आरपी सिंह ने भी संबोधित किया.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यूरिया पर केंद्र सरकार 70 हजार करोड. रुपये अनुदान देती है. इसके बावजूद पिछले साल तक किसानों को यूरिया के लिए परेशान होना पड़ता था. अब केंद्र सरकार ने शत-प्रतिशत यूरिया को नीम कोटेड कर दिया है. इसके साथ ही इसकी कालाबजारी बंद हो गया. 30 प्रतिशत मांग अचानक कम हो गयी. अाइसीएआर के निदेशक बीपी भट्ट ने पिछले 16 साल में संस्थान द्वारा पूर्वी क्षेत्रों के लिए किये काम की जानकरी देते हुए कहा कि कम पानी में धान की खेती, सिंघारा के 22 प्रभेद, टमाटर सहित अन्य सब्जियों के 11 प्रभेद, संस्थान में ही रंगीन मछली का उत्पादन अादि अनके महत्वपूर्ण शोध का काम किया है.
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