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निगम को पता ही नहीं कितनों ने भरा जुर्माना

अवैध निर्माण तोड़ने की बजाय अब अर्थ दंड लगाने का हो रहा आदेश, पर नवंबर से अब तक निगरानीवाद के 20 मामलों पर ही फैसला, 550 मामले लंबित पटना : नगर निगम क्षेत्र में बिल्डिंग बायलॉज के उल्लंघन के मामले में नगर आयुक्त जय सिंह की कोर्ट में निगरानीवाद केस की लगातार सुनवाई हो रही […]

अवैध निर्माण तोड़ने की बजाय अब अर्थ दंड लगाने का हो रहा आदेश, पर
नवंबर से अब तक निगरानीवाद के 20 मामलों पर ही फैसला, 550 मामले लंबित
पटना : नगर निगम क्षेत्र में बिल्डिंग बायलॉज के उल्लंघन के मामले में नगर आयुक्त जय सिंह की कोर्ट में निगरानीवाद केस की लगातार सुनवाई हो रही है. नवंबर माह से अब तक 20 मामलों पर अंतिम फैसला भी सुनाया जा चुका है. इसमें आर्थिक दंड लगा कर अवैध हिस्से को वैध करने का आदेश दिया गया था. दोषी बिल्डरों को 30 दिनों के अंदर जुर्माने की राशि पीआरडीए कोष में जमा करानी थी. लेकिन, अब तक कितने और किन-किन बिल्डरों ने जुर्माना भरा है इसकी जानकारी निगम के पास नहीं है.
नहीं तैयार हुई है रिपोर्ट
नगर आयुक्त ने निगरानीवाद केस में फैसला देते हुए कार्रवाई करने निर्देश शहरी योजना के निदेशक व संबंधित कार्यपालक अभियंताओं को दिया है. हालांकि, शहरी योजना शाखा ने अब तक इस बारे में अब तक कोई रिपोर्ट तैयार नहीं की है कि कितने बिल्डरों पर नक्शा विचलन कर निर्माण कराने के विरोध में आर्थिक दंड लगाया है और कितने बिल्डरों ने जुर्माना भर दिया है.
यह स्थिति तब है, जब जुर्माने की राशि को आदेश के 30 दिनों के भीतर जमा करना है, अन्यथा बिल्डर के खिलाफ दोबारा निगरानीवाद केस दर्ज होगा. इस संबंध में शहरी योजना के शाखा के पदाधिकारी कहते है कि कुछ बिल्डरों ने जुर्माना की राशि जमा की है, लेकिन रिपोर्ट तैयार नहीं की गयी है.
इन पर आ गया है फैसला
इंद्रपुरी रोड नंबर-तीन के अशोक कुमार, कंकड़बाग के आजाद नगर रोड नंबर-एक की सावित्री देवी, मां विंध्यवासिनी कंस्ट्रक्शन प्रा लि, एएन कॉलेज चहारदीवारी के पूरब पल्लवी सिंह, सर्वोत्तम मल्टीकॉन प्रा लि, चित्रा डेवलपर्स एंड मार्केटिंग प्रा लि, सर्वोदय डेवलपर्स प्रा लि, बिल्डर संजय सिंह, आआरबी डेवलपर्स प्रालि, सूर्या बिल्डकॉन प्रा लि, एंबीशन होम्स प्रा लि, सूर्या नेस्ट बिल्ड लि, रुकनपुरा के रामनरेश चौधरी, बिल्डर विश्वनाथ प्रसाद का जगवती अपार्टमेंट, द्वारिका मंदिर के समीप शशिवाला केशरी व सकल देव पुजारी, भागवत नगर के रंजन कुमार और बिल्डर आलोक सुल्तानिया आदि.
तब तोड़े गये थे अवैध निर्माण
नगर निगम क्षेत्र में अवैध निर्माण पर रोक लगाने को लेकर वर्ष 2013-14 में 11 सौ से अधिक निर्माणाधीन अपार्टमेंटों को चिह्नित किया गया था. इसमें साढ़े चार सौ अपार्टमेंट पर केस भी दर्ज किया गया. इन केसों की सुनवाई तत्कालीन नगर आयुक्त के कोर्ट में की गयी और दो सौ से अधिक मामलों में फैसला सुनाया. इस फैसले में एक भी बिल्डर को राहत नहीं दी गयी थी और अवैध निर्माण को तोड़ा गया था.
नक्शे की संचिका दें
नगर आयुक्त जय सिंह ने शहरी योजना के निदेशक को सख्त निर्देश दिया है कि निगरानीवाद केस की सुनवाई के दौरान संबंधित मामलों में कंडोनेशन व अर्थ दंड की गणना करने को लेकर प्रमंडल को संचिका भेजनी है. समीक्षा में पाया गया है कि आपके द्वारा प्रमंडल को संचिका उपलब्ध नहीं करायी जा रही है, जिससे दंड की राशि की गणना नहीं हो पा रही है. निगरानी शाखा द्वारा नक्शे की संचिका मांगी जाती है, तो शीघ्र उपलब्ध करायें.
जुर्माना राशि जमा नहीं, तो दोबारा निगरानी केस
निगरानीवाद केस में अंतिम फैसले के आलोक में कार्रवाई करने का आदेश शहरी योजना को दिया गया है. कितने बिल्डरों ने जुर्माना की राशि जमा की और कितनों ने नहीं, इसकी रिपोर्ट शीघ्र लेंगे. अगर, जुर्माना की राशि निर्धारित समय पर जमा नहीं की गयी है, तो दोबारा निगरानी केस दर्ज किया जायेगा.
जय सिंह, नगर आयुक्त, पटना नगर निगम

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