पटना: मकान और जमीन के मामले में बिहार की महिलाएं देश में आगे हैं. बिहार की करीब 59 फीसदी महिलाओं के खुद के नाम से जमीन या मकान है. देश के स्तर पर यह आंकड़ा सिर्फ 40 फीसदी है. स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कराये जा रहे नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएच-4) में यह खुलासा हुआ है. फिलहाल 15 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सर्वे पर आधारित महिलाओं के सशक्तीकरण और उनके स्वास्थ्य से संबंधित आंकड़े हाल ही में जारी हुए हैं.इसके मुताबिक बिहार में महिलाएं पहले से कहीं ज्यादा सशक्त हुई हैं. हिंसा के मामले में कमी आयी है.
एनएफएच-4 के मुताबिक, बिहार की 58.8 फीसदी महिलाओं के नाम जमीन या (और) मकान (खुद या संयुक्त रूप) है.
मेघालय व त्रिपुरा (57.3 फीसदी), कर्नाटक (51.8 फीसदी) तथा तेलंगाना (50.5 फीसदी) इसके ठीक पीछे हैं. मोबाइल का उपयोग करने के मामले में बिहार की महिलाएं कई राज्यों से आगे हैं. राज्य की 40.9 फीसदी महिलाओं के पास मोबाइल है, जिसका उपयोग वह स्वयं करती हैं. हालांकि, ग्रामीण (39.3 फीसदी) महिलाओं और शहरी महिलाओं (50.0 फीसदी) के बीच बड़ा गैप है. आंध्रप्रदेश में 36.2 फीसदी और मध्यप्रदेश में 28.7 फीसदी महिलाओं के पास खुद का मोबाइल है. हरियाणा में 50.5 फीसदी महिलाएं मोबाइल का खुद उपयोग करती हैं. नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे में मोबाइल के उपयोग से संबंधित सूचक को पहली बार शामिल किया गया है.
बैंकों से बिहार की महिलाओं का जुड़ाव पिछले एक दशक में बढ़ा है. 26.4 फीसदी महिलाओं का खुद के नाम से खाता है, जिसका उपयोग वह स्वयं करती हैं. जबकि एक दशक पहले 2005-06 के एनएफएचएस-3 के मुताबिक सिर्फ 8.2 फीसदी महिलाओं के पास बैंक खाता था.
घरेलू मामलों में फैसला लेने में बिहार की महिलाओं की भूमिका पिछले एक दशक में बढ़ी है. 2005-06 के एनएफएचएस-3 में यह आंकड़ा 69.2 फीसदी था, जो 2015-16 में बढ़कर 75.2 फीसदी हो गया है. फैसले में महिलाओं की भूमिका बढ़ने के बावजूद दूसरे राज्यों -पश्चिम बंगाल (89.9 फीसदी), मध्यप्रदेश (82.8 फीसदी) और आंध्रप्रदेश (79.9 फीसदी) से बिहार पीछे है.
विवाहित महिलाओं के खिलाफ हिंसा में आश्चर्यजनक रूप से कमी आयी है. 43.2 फीसदी महिलाएं वैवाहिक हिंसा की शिकार हैं, जबकि एक दशक पहले यह आंकड़ा 59 फीसदी था. एनएफएचएस-4 की अन्य राज्यों की रिपोर्ट आना अभी बाकी है.