बेटे की हत्या का सदमा, पिता की भी उखड़ी सांस – रात में बेटे, तो अगली सुबह पिता की सजी चिता – कोख और मांग दोनों उजड़ गये लाड़ली देवी के – रो-रो कर बेसुध हो रहा घर-परिवार, घर में छाया मातमी मंजर- व्यवस्था से आक्रोश व घटना से आहत है व्यवसायी का परिवार संवाददाता, पटना लाडली देवी (65) की किस्मत के दो सितारे टूट गये. दरिंदों ने बेटे का कत्ल कर दिया और इस सदमे ने उनकी मांग ही उजाड़ दी. बेटे और पति की जिदंगी चौबीस घंटे के अंदर हाथ से फिसल गयी. बेटा रविकांत (42) और पति सुरेश्वर प्रसाद (75) दोनों चेहरे आंख से ओझल हो गये. घर में मातमी मंजर छा गया है. लाडली को तो काठ मार गया है. उसकी जुबां खामाेश हो गयी है, पर आंखों के पोर से टपकते आंसू ठहरने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. आंचल गीला हो गया है और मन गमगीन. जमीन पर हाथ-पांव फैलाये बैठी लाडली देवी अब बेसुध हो चली हैं. दरअसल सुरेश्वर प्रसाद के घर-परिवार मेें सबकुछ ठीक चल रहा था. लेकिन, वक्त ने ऐसा करवट लिया कि सफलता की ट्रैक पर दौड़ रही जिंदगी ठहर-सी गयी. पीडब्ल्यूडी में ड्राफ्ट मैन से रिटायर्ड सुरेश्वर प्रसाद की शुक्रवार की शाम तबीयत खराब हो गयी थी. उन्हें ठंड महसूस हुआ. घरवालों ने उन्हें बोरिंग कैनाल रोड में मौजूद निजी अस्पताल में भरती कराया. उनका इलाज जारी था. इस बीच शनिवार की सुबह राजापुर पुल पर ज्वेलरी की दुकान चलानेवाले उनके मंझले बेटे रविकांत की सरेराह गोली मार कर हत्या कर दी गयी. इलाके का कुख्यात अपराधी दुर्गेश शर्मा रंगदारी मांग रहा था. डिमांड पूरी नहीं हुई, तो गुर्गों ने कत्ल कर दिया. बेटे की हत्या की खबर जब अस्पताल में सुरेश्वर प्रसाद को मिली, तो वह अंदर से टूट गये. सदमा उनके दिल पर भारी पड़ा. दवा-इलाज से धड़कने वाली सांसें हिम्मत हार गयीं. बेटे की हत्या के अगले दिन रविवार की भोर में उनकी सांसें उखड़ गयीं. इससे सबसे बुरा हाल रविकांत की मां लाडली का है. बेटा और पति दोनों नहीं रहे. एक ही घाट और चौबीस घंटे में दो चिताएं जलीं. गुलबी घाट पर शनिवार की रात रविकांत को बड़े बेटे सौरभ कांत ने मुखाग्नि दी, तो रविवार की दोपहर सुरेश्वर प्रसाद को उनके बड़े बेटे शशिकांत ने. चिता के धुएं संग बह रहा था अांसुओं का सैलाब यूं तो शमशान घाट पर चिताएं ही जलती हैं और गम का माहौल होता है, पर जब दुख और दर्द की हदें पार कर जाएं तो पछतावे और आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है. ठीक यही हाल सुरेश्वर के परिवार का हो गया. गुलबी घाट पर उनके दोनों बेटे शशिकांत और उदय कांत प्रसाद को ये हालात बरदाशत नहीं हो रहे थे. कभी इनसे, तो कभी उनसे लिपट के रो रहे थे. आंसुओं से डूबा चेहरा, तेज बंद मुठियां और गंगा के रेत को पैरों की अंगुलियों से धंसा रहे दोनों भाइयों को समझ में नहीं आ रहा था कि वे क्या करें. महिलाओं व बच्चों के चीत्कार से गमगीन मुहल्ला दाह संस्कार के बाद घर के पुरुष जब 70 फुट राधाकृष्ण मंदिर के समीप अपने घर पहुंचे, तो महिलाओं एवं बच्चों के मुंह से चीत्कार फूट पड़ा. पैतृक गांव सोनपुर से सारे लोग आये हैं, नाते-रिश्तेदार का जमवाड़ा है. सुरेेश्वर की दोनों बेटियां अंजू और मंजू रो-रो कर बेसुध हो रही हैं. मां लाडली देवी को समझा रही हैं, पर खुद रोये जा रही हैं. रविकांत के दोनों बेटे सौरभ कांत और कृष्ण कांत सिर से बाप और दादा का साया उठने के गम में बदहवास हो रहे हैं. पूरे मुहल्ले में करुण क्रंदन. दरवाजे पर ठसाठस भीड़ और आंखों से उमड़ते आंसू माहौल को गमगीन कर रहा है.
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बेटे की हत्या का सदमा, पिता की भी उखड़ी सांस
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