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सजा दिलाने की रफ्तार कम क्यों हो गयी: मोदी

पटना : कानून के राज का दावा करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बतायें कि अपराधियों को सजा दिलाने की दर 2010 की तुलना में 2015 में आधी क्यों हो गई? ट्रायल कोर्ट व फास्ट ट्रैक कोर्ट एक-एक कर बंद क्यों हो गए? क्या भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद सजा नहीं मिलने से अपराधियों का […]

पटना : कानून के राज का दावा करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बतायें कि अपराधियों को सजा दिलाने की दर 2010 की तुलना में 2015 में आधी क्यों हो गई? ट्रायल कोर्ट व फास्ट ट्रैक कोर्ट एक-एक कर बंद क्यों हो गए?
क्या भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद सजा नहीं मिलने से अपराधियों का मनोबल नहीं बढ़ा है? उक्त सवाल रुरुवार को सीएम से पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने पूछा है. उन्होंने कहा है कि पहली बार 2005 में एनडीए की सरकार बनने के बाद 2006 में स्पीडी ट्रायल के जरिए अपराधियों को सजा दिलाने में तेजी लाई गई.
2006 में जहां कुल 6,839 लोगों को सजा दी गई, वहीं 2010 में यह संख्या बढ़ कर 14,311 हो गई. मगर भाजपा के सरकार से अलग होने के बाद 2014 में यह संख्या घट कर 5,073 हो गई, वहीं 2015 नवम्बर तक मात्र 4,225 लोगों को ही सजा दिलाई जा सकी. 2010 में 37 अपराध सिद्ध लोगों को फांसी की सजा दी गई, मगर 2014 में मात्र तीन लोगों को ही फांसी की सजा दी जा सकीसजा की अन्य श्रेणियों में भी तेजी से गिरावट आई है.

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