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ऑफिसर्स के घर पर चहचहायेंगी गोरैया

ऑफिसर्स के घर पर चहचहायेंगी गोरैयाशहर में गोरैया को बचाने की पहल के तहत वन विभाग के अधिकारियों के घर के आगे लगेंगे बॉक्सलाइफ रिपोर्टर पटनापटना जू में गोरैया नजर नहीं आती. यहां अभी तक कई तरह के प्रयास किये गये, लेकिन गोरैया को बुलाना मुश्किल है. पटना से गोरैया विलुुप्त होते जा रही है. […]

ऑफिसर्स के घर पर चहचहायेंगी गोरैयाशहर में गोरैया को बचाने की पहल के तहत वन विभाग के अधिकारियों के घर के आगे लगेंगे बॉक्सलाइफ रिपोर्टर पटनापटना जू में गोरैया नजर नहीं आती. यहां अभी तक कई तरह के प्रयास किये गये, लेकिन गोरैया को बुलाना मुश्किल है. पटना से गोरैया विलुुप्त होते जा रही है. ऐसे में बच्चों को अपने राज्य पक्षी के बारे में जानकारी नहीं मिल पाती है. इसलिए शहर में गोरैया को बचाने की एक पहल शुरू होने जा रही है. हाल में वन विभाग ने पटना जू को ऑर्डर जारी किया है कि वे वन विभाग के ऑफिसर्स के घर के आगे गोरैया बॉक्स लगवायें, जिसमें पानी और दाना रखा जायेगा. ऐसे में गोरैया के आने की उम्मीद जगी है. इसके लिए बैठक भी की गयी, जिसमें करीब 100 गोरैया बॉक्स (गोरैया का घर) लगाने की बात हुई है. मुंबई से आया गोरैया का घरवन विभाग के ऑफिसर्स के घर के आगे गोरैया बॉक्स लगाने के लिए कई तरह का काम किया जा रहा है. इसके लिए मुंबई से गोरैया का घर मंगाया गया है, जिसमें सैंपल के रूप में दो डिजाइन के बॉक्स जू में आये हैं. ये बॉक्स लकड़ी के बने हैं. लेकिन इसमें गोरैया सही से टिक पायेगी या नहीं, यह संदेह बना हुआ है. इसलिए इसकी डिजाइन में फेरबदल करने के लिए जू के ही कारीगर को बुलाया गया है, जो जू में सभी तरह का काम शुरू से करते आया है. वह मुंबई से आये गोरैया के बॉक्स को देख कर वैसा ही बॉक्स बनाना चाहता है. इस बारे में जू के अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल मुंबई से दो डिजाइन आयी है. यह सही रहा तो 100 घर का ऑर्डर करना होगा. यह गोरैया को बचाने की एक पहल है. जू में गोरैया बिल्कुल नजर नहीं आती है.रोहतास से बुलाया गया एक्सपर्टपटना जैसे शहर से गोरैया दिन पर दिन विलुप्त होते जा रही है. इसे बचाने की मुहिम में सहयोग करने के लिए रोहतास जिले से गोरैया एक्सपर्ट अर्जुन सिंह को बुलाया गया है, जो सासाराम के मेड़रीपुर गांव के रहनेवाले हैं. पेशे से वे किसान हैं, लेकिन वे अपने घर में 10 हजार से ज्यादा गोरैया पाल रखे हैं. इस वजह से उन्हें राज्य वन्य प्राणी परिषद का मेंबर भी बनाया गया है. इन्हें जू में आमंत्रित किया गया, ताकि वे गोरैया बचाव के इस पहल में अपनी राय दे सकें. उन्होंने मुंबई से आये गोरैया बॉक्स का जायजा लिया और बताया कि इस बॉक्स का मुंह बहुत छोटा है. गोरैया को बैठने के लिए आगे से एक खूंटी लगाना चाहिए. यह घर देखने में बहुत आकर्षक है, लेकिन इसमें गोरैया ठीक से नहीं रह पायेगी. इसके लिए थोड़ी फेरबदल की जरूरत है. अर्जुन प्रसाद से खास बातचीत जब अकेला था, तो गोरैया ने दिया साथअर्जुन सिंह कहते हैं कि मैं एक किसान था. बात 2006 की है, जब मेरी पत्नी का देहांत हो गया था. उस समय घर के हालात बहुत खराब थे. एक ही साल कई तरह की घटनाएं सामने आयीं. ऐसे में मैं टूट चुका था. एक बेटी है, जो पढ़ने के लिए बाहर रहती है. एक दिन मैं अपने आंगन में खाना खा रहा था, तभी एक गोरैया थाली के पास ही आ गिरी. उसे चोट लगी थी. मैंने उसकी तरफ थाली से चावल फेंका. वह खाने लगी, लेकिन उड़ नहीं पायी. काफी देर तक वह आसपास मंडराती रही. इसके बाद दूसरे दिन भी दो गोरैया मेरे आंगन में आयी. मैं चावल देता रहा. हर दिन उसी समय गोरैया आती गयी और धीरे-धीरे मैं उनमें उलझता चला गया. फिर, मैं छत पर जा कर दाना फेंकने लगा और हर दिन गोरैया की संख्या बढ़ते गयी.प्रयास से ज्यादा प्यार की जरूरतइन दस सालों में हमारे घर दस हजार से ज्यादा गोरैया आ चुकी हैं. कभी-कभी छत पर से एक साथ उड़ती हैं. शुरुआत में दो-चार गोरैया थीं, लेकिन गोरैया प्रजाति में वृद्धि बहुत जल्दी होती है. ऐसे में दिन प्रति दिन गोरैया की संख्या बढ़ती गयी. मैं अब खेती से ज्यादा इन गोरैया पर ध्यान देता हूं. इनके लिए हर दिन नियमित रूप से दाना- पानी का प्रबंध करता हूं. गोरैया को बचाने के लिए प्रयास से ज्यादा प्यार की जरूरत है. जब तक दिल में इसके लिए दिलचस्पी नहीं होगी, कोई गोरैया को नहीं बचा सकता.कोशिश करें तो हर जगह आ सकती है गोरैया शुरुआती दौर में मुझे लोग पागल कहते थे. मैं छत पर जब गोरैया को निहारते रहता था, तो कई लोग मुझे कहते थे कि समय क्यों बरबाद कर रहे हो, लेकिन मैंने हार नहीं मानी. आज के समय कई जगह लोग कहते हैं कि गोरैया खत्म होते जा रही है. लेकिन मेरा मानना है कि अगर हम कोशिश करें, तो गोरैया हर जगह आ सकती है. इसके लिए लोगों को हर दिन सुबह 5.30 से 6 बजे के बीच छत पर पानी और दाना रखना चाहिए. ये बिना सोचे कि गोरैया आयेगी, खायेगी या नहीं. लेकिन ऐसा नहीं होता, एक न एक दिन वह जरूर आती है और जब एक बार आने लगाी, तो वह हर दिन आती है. ऐसे में उसकी संख्या बढ़ने लगती है. घर को बना दिया चिड़ियाघरअर्जुन सिंह का घर बहुत बड़ा है. वे कहते हैं कि पहले मेरा घर बिना प्लास्टर का था, लेकिन गोरैयों की वजह से मैंने अपने आगे की दीवार का प्लास्टर कराया. गोरैया को रखने के लिए दीवार में बड़े-बड़े होल लगाये. कई जगह घोंसला बनाया. मेरा घर चिड़ियाघर के नाम से फेमस है. जब घर के चारों तरफ एक साथ गोरैया उड़ती हैं, तो यह दृश्य बड़ा अच्छा लगता है. अभी साल में सभी गोरैया को खिलाने में 15 क्विंटल दाना खत्म हो जाता है. मैं किसान हूं, अनाज हमारे खेतों में पैदा होता है.मिला नाम और शोहरतजब मैं अकेला था, उस समय कई तरह की कठिनाइयां सामने आयी थीं. पारिवारिक के साथ-साथ आर्थिक समस्या भी सामने आयी थी, लेकिन मेरा मानना है कि मैं जो हूं गोरैया की वजह से हूं. एक कम पढ़ा-लिखा इनसान मुख्यमंत्री के पास भी चला जाता है. मुझे जू में भी बुलाया गया, तो गोरैया की वजह से. मैं राज्य वन्य प्राणी परिषद का मेंबर हूं, वह भी गोरैया की वजह से. मेरे घर में बहुत बरक्कत हुई है. मुझे गोरैया की सेवा करना बहुत पसंद है. अब गांव के कई लोग अपने घर में भी गोरैया पालने की चाहत रखते हैं.

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