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कैल्शयम की कमी से बढ़ रहे हड्डी रोग के मरीज

कैल्शयम की कमी से बढ़ रहे हड्डी रोग के मरीजकाॅफी विद् डॉक्टर : प्रभात खबर व पारस एचएमआरआइ की पहलफोटो सरोज देंगे – हड्डी रोग और ज्वाइंट रिप्लेसमेंट पर हुई चर्चा- डॉ जॉन मुखोपाध्याय और निशिकांत कुमार ने किया मरीजों की समस्या को दूर- पटना सहित पूरे बिहार से सैकड़ों की संख्या में जुटे लोग, […]

कैल्शयम की कमी से बढ़ रहे हड्डी रोग के मरीजकाॅफी विद् डॉक्टर : प्रभात खबर व पारस एचएमआरआइ की पहलफोटो सरोज देंगे – हड्डी रोग और ज्वाइंट रिप्लेसमेंट पर हुई चर्चा- डॉ जॉन मुखोपाध्याय और निशिकांत कुमार ने किया मरीजों की समस्या को दूर- पटना सहित पूरे बिहार से सैकड़ों की संख्या में जुटे लोग, रोग की पहचान व उपाय पाकर हुए संतुष्ट संवाददाता, पटनाआपकी उम्र जैसे-जैसे बढ़ती है, वैसे ही हड्डी भी पुरानी होती जाती है. बढ़ती उम्र का कारण है कि बिहार सहित पूरे भारत में हड्डी रोग के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. वहीं, दूसरा कारण जागरूकता और कैल्शियम की कमी भी है. कैल्शियम की कमी के कारण यंग एज में भी हड्डी कमजोर हो जाती है, जिससे फ्रैक्चर या ज्वाइंट पेन की समस्या बन जाती है. यह कहना है पारस अस्पताल के हड्डी रोग व ज्वाइंट रिप्लेसमेंट विशेषज्ञ डॉ जाॅन मुखोपाध्याय का. शनिवार को प्रभात खबर और पारस एचएमआरआइ की ओर से आयोजित काफी विद् डॉक्टर की शृंखला में हड्डी और ज्वाइंट रिप्लेसमेंट रोग पर चर्चा के दौरान डॉ मुखोपाध्याय ने पटना सहित पूरे बिहार से आये सैकड़ों की संख्या में जुटे लोगों को सलाह दी. डॉ मुखोपाध्याय ने लोगों को ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के प्रति जागरूक किया. कार्यक्रम का संचालन तुलिका मिनी ने किया.हड्डी रोग में केवल दवा की काफी नहीं लोगों की समस्या और उपाय बताते हुए डॉ जॉन मुखोपाध्याय ने कहा कि बैक पेन और ज्वाइंट पेन में लोग नाॅर्मल दर्द की दवा खाकर काम चला लेते हैं. उन्होंने कहा कि दवा का असर कुछ देर के लिए रहता है. जैसे ही असर खत्म हो जाये, तो दर्द फिर से शुरू हाे जाता है, नतीजा बाद में एक बड़ा रोग जन्म ले लेता है. उन्होंने कहा कि हड्डी रोग के इलाज में केवल दवाओं की कोई भूमिका नहीं है. किसी भी मरीज के हड्डी टूटने, घुटने में खराबी आने और पीठ की नस दबने पर सिर्फ नश्तर चलाना ही इलाज है. हड्डी की बीमारी में दवाओं से अधिक फिजियोथिरपी की भूमिका अहम होती है. डॉ मुखोपाध्याय ने कहा कि अधिकांश हड्डी रोग के इलाज में ऑपरेशन ही एकमात्र इलाज होता है. किसी भी व्यक्ति की हड्डी टूट जाये, घुटने में खराबी हो अथवा कहीं का नस पर दबाव हो जाये, तो इसे किसी भी दवा से दूर नहीं किया जा सकता है. इसके लिए समय पर डॉक्टर से मिलकर चेकअप कराना चाहिये, ताकि सही रोग का पता चल जाये.शराब और स्मोकिंग ने बढ़ाया गठिया रोग कार्यक्रम में सबसे अधिक संख्या गठिया रोग से पीड़ित मरीजों की थी. सवाल पूछे जाने के बाद पारस अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ निशिकांत कुमार ने कहा कि इन दिनों यंग एज में भी गठिया रोग के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. उन मरीजों की संख्या अधिक है, जो स्मोकिंग और शराब का सेवन अधिक करते हैं. स्मोकिंग व शराब के सेवन से गठिया रोग का जन्म होता है. वहीं, महिलाओं की बच्चेदानी के ऑपरेशन के बाद आस्टोप्रोसेस रोग की शिकायतें अधिक होती हैं, एेसे में ज्वाइंट पेन और बैक पेन की समस्या बढ़ जाती है. बच्चेदानी का ऑपरेशन कराने वाली महिलाओं को रेगुलर दवा का सेवन करना चाहिये.हड्डी के मुख्य रोग कमर में बहुत दर्द होना, जोड़ों का दर्द और सरवाइकल स्पांडलाइसिस हड्डियों के रोगों से संबंधित कॉमन प्राॅब्लम है. इसके अलावा हड्डी रोगों में कुछ तो जन्मजात होते हैं, कुछ उम्र के साथ पैदा होते हैं और कुछ अनियमित जीवनयापन के कारण होते हैं. इसलिए होता है हड्डी व ज्वाइंट का रोग- अधिक आयु का होना- शरीर का वजन कम होना- अंग्रेजी दवा का अधिक सेवन करना – थायराइड हारमोन का होना- कोर्टिकोस्टराइड दवायें लंबे समय तक उपयोग करना.- तम्बाकू और शराब का अधिक सेवन करनाऐसा करें तो रहेंगे चुस्त-दुरुस्त – मांस की बजाय हरी पत्तेदार सब्जियों का अधिक मात्रा में सेवन करें.- शराब और धूम्रपान का सेवन कम करें.- रोजाना धूप में बैठें, ताकि विटामिन मिलता रहे.- प्रतिदिन एक हजार एमजी कैल्शियम और 500 एमजी मैग्नेशियम उपयोग करें.- प्रतिदिन एक चम्मच शहद का सेवन करें.- वसा रहित पाउडर का दूध कैल्शियम की आपूर्ति के लिये सही है. इससे हड्डियां ताकतवर बनती हैं. इसके अलावा गाय या बकरी का दूध भी लाभकारी है.

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