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ह्यपढ़ेगा बिहार-बढ़ेगा बिहारह्ण का संदेश देते हुए विदा हुआ बुक फेयर

‘पढ़ेगा बिहार-बढ़ेगा बिहार’ का संदेश देते हुए विदा हुआ बुक फेयर – चार से 15 दिसंबर तक चला बुक फेयर – छह लाख लोग आये मेले में – करीब छह करोड़ का हुआ करोबार – इस बार पटना पुस्तक मेला में युवाओं को दी गयी प्रथामिकता पटनासंस्कृति और ज्ञान के महाकुंभ सीआरडी पटना पुस्तक मेले […]

‘पढ़ेगा बिहार-बढ़ेगा बिहार’ का संदेश देते हुए विदा हुआ बुक फेयर – चार से 15 दिसंबर तक चला बुक फेयर – छह लाख लोग आये मेले में – करीब छह करोड़ का हुआ करोबार – इस बार पटना पुस्तक मेला में युवाओं को दी गयी प्रथामिकता पटनासंस्कृति और ज्ञान के महाकुंभ सीआरडी पटना पुस्तक मेले ने मंगलवार को उदासी के साथ पुस्तक प्रेमियों से विदा ली. चार से 15 दिसंबर पुस्तक मेला पुस्तक प्रेमियों से गुलजार रहा. कई यादों के साथ समेटे 22वां ‘पटना बुक फेयर’ ‘पढ़ेगा बिहार-बढ़ेगा बिहार’ संदेश देते हुए खत्म हुआ. बुक फेयर में हिंदी, अंगरेजी, उर्दू की कई पुस्तकें लोगों ने पसंद की. 12 दिनों तक चले इस मेले में कई स्टॉल लगे थे. मेले में छह लाख लोगों ने शिरकत की और करीब छह करोड़ का कारोबार हुआ. इसके साथ इस दौरान विभिन्न कार्यक्रमों ने लोगों का दिल भी जीता. इस श्रृंखला में जनसंवाद, सृजन बिहार, बाल-पाल, बाल नुक्कड़, कहवा घर, कॉफी हाउस, मुशायरा, नयी सदी की कविताएं, मेड इन इंडिया आदि महत्वपूर्ण कार्यक्रम हुए. मेले के अंतिम दिन बच्चों ने भी प्रस्तुति दी. मेले को सफल बनाने में एचएल गुलाटी, अमित झा, रत्नेश्वर, डॉ ध्रुव कुमार, विनीत के साथ कई युवाओं ने अहम भूमिक निभायी. बिहार के बाहर नाम कमाने वालों को किया गया सम्मानित सीआरडी पटना पुस्तक मेले के अंतिम दिन परिसर के मुख्य प्रेक्षागृह में साहित्य के लिए विद्यापति पुरस्कार अर्चना राजहंस मधुकर, पत्रकारिता के लिए सुरेंद्र प्रताप सिंह पुरस्कार मारिया शकील, रंगकर्म के लिए भिखारी ठाकुर पुरस्कार बुल्लू कुमार और कला के लिए यक्षिणी पुरस्कार अजय शर्मा को दिया गया. सम्मान पाने के लिए केवल मारिया शकील यहां मौजूद नहीं थी. बिहार के वे युवा, जो देश भर में बिहार का नाम रोशन कर रहे हैं, उन्हें प्रख्यात चिकित्सक डॉ बी भट्टाचार्या ने पुरस्कार देकर उनका हौसला बढ़ाया. उन्होंने कहा कि पुस्तक मेला ने लोगों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया है. 30 वर्षों से बिहार वासियों के लिए यह मेला आयोजित करके आयोजकों ने साहित्य, कला और रंगकर्म की बहुत बड़ी सेवा की है. बिहार संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष आलोक धन्वा ने कहा कि डॉ मैनेजर पांडेय के शब्दों में पटना पुस्तक मेला संगम संस्कृति का प्रतीक है. इसमें सारी कलाओं का समावेश है. मौके पर रंगकर्म के निर्णायक मंडल के सदस्य दूरदर्शन के अधिकारी एसपी सिंह ने चयन प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया. चाक्षुष कला के निर्णायक मंडल के सदस्य विनय कुमार ने भी चयन प्रक्रिया के पक्षों पर प्रकाश डाला. समारोह में मेला आयोजन के सचिव अमरेंद्र कुमार झा ने अतिथियों को सम्मानित किया. मौके पर पत्रकार नवेंदु, लेखक रत्नेश्वर, रंगकर्मी अनीश अंकुर, मेले के मीडिया प्रभारी कुमार पंकजेश के साथ अन्य लोग मौजूद थे. मेड इन इंडिया की टीम ने लालू प्रसाद को सौंपा रिक्शा मेड इन इंडिया की पूरी टीम ने अंतिम दिन लालू प्रसाद यादव से मुलाकात कर उन्हें रिक्शा, लालटेन के साथ कलाकारों द्वारा बनायी गयी अन्य कलाकृतियां दीं. द इंडिया आर्ट इंवेस्टमेंट कंपनी के सीइओ प्रशांत सिंह ने कहा कि मेले में करीब एक लाख से अधिक लोगों ने देश के विभिन्न हिस्सों की विलुप्त होती कलाकृतियों को देखा. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी बैलगाड़ी का पहिया उपहार स्वरूप दिया जायेगा. इसमें सभी 12 राज्यों से आये कलाकारों ने अपनी-अपनी कलाकृतियों को उकेरा है. वहीं लालू प्रसाद यादव ने सभी कलाकारों से मुलाकात कर इन्हें शुभकामनाएं दी और हमेशा बिहार आने का निमंत्रण भी दिया. काव्य गाथा कथा साहित्य पर व्याख्यानपटना पुस्तक मेला में बिहार पढ़ेगा, बिहार बढ़ेगा के तत्वाधान में काव्य, गीत, सह कथा साहित्य पर व्याख्यान हुआ. व्याख्यान की अध्यक्षता युवा साहित्यकार आचार्य आनंद किशोर शास्त्री ने की. इस व्याख्यान में साहित्यकार डॉ विनय कुमार विष्णुपुरी ने कहा कि काव्य, गीत और कथा साहित्य समाज को जोड़ती है. हिंदी साहित्य एक वैज्ञानिक विधा है. आचार्य आनंद किशोर शास्त्री ने कहा, हमारी साहित्य की लिपी भी विज्ञान पर आधारित है. मौके पर बीएन विश्वकर्मा के साथ अन्य कलाकार भी मौजूद थे. पिछले साल की तुलना में बेहतर नहीं रहा यह मेला तीन बुक फेयर एक साथ रहने के कारण काफी परेशानी हुई है. पहले काफी बेहतर रहता था, लेकिन इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में किताबों की बिक्री कम हुईअशोक शुक्ला, राजपाल एंड संस के सेल एग्जिक्यूटीव पिछले साल की अपेक्षा इस बार पुस्तक प्रेमियों ने उत्साह नहीं दिखाया. इसके साथ ही साहित्य की किताबों की बिक्री भी हर साल जितनी नहीं हुईडीए पांडेय, राजकमल प्रकाशन के प्रतिनिधिइस बार भी बेहतर रहा. पुस्तक प्रेमियों ने अपनी मन पसंद पुस्तकें खरीदी. वैसे पुस्तक मेला का आयोजन एक साथ तीन-तीन नहीं होनी चाहिए.सुनील शर्मा, किताब घर प्रकाशनपुस्तक मेला काफी बेहतर रहा, लेकिन पिछले बार की अपेक्षा करोबार काफी कम रहा. वैसे मेले का आयोजन काफी बेहतर रहासुरेंद्र सिंह, प्रभात प्रकाशनतीन-तीन पुस्तक मेला एक साथ लगने के कारण थोड़ी परेशानी हुई. लेकिन इसे सरकारी स्तर पर भी सही करने की जरूरत है. साल में अलग-अलग माह में पुस्तक मेला लगे, तो कोई दिक्कत नहीं. अमित झा, मेला संयोजक

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