पटना: एक जमाने में यह डायलाग काफी मशहुर हुआ था कि पुरे घर को बदल डालेंगे. इसी तर्ज पर बिहार भाजपा को करने की तैयारी है. नए साल में बिहार भाजपा बदली- बदली सी दिख सकती है. यह बदलाव संगठन से लेकर केंद्र सरकार में बिहार कोटे तक में दिख सकता है.
विधान सभा चुनाव में भाजपा को बिहार से बड़ी उम्मीद थी. लेकिन सारी उम्मीद पर पानी फिर गया. 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बड़ी सफलता मिली थी लेकिन विधानसभा चुनाव में वाजी पलट गया.सारी ताकत लगाने के बाद भी सरकार बनाने की बात तो दुर पार्टी पिछले विधानसभा चुनाव का भी प्रदर्शन नहीं दोहरा पायी. विधानसभा चुनाव में पूरा प्रबंधन दिल्ली के नेताओं के हाथ में था इसलिए बिहार के नेताओं पर हार का ठीकरा नहीं फोड़ा जा सका लेकिन पार्टी ने इसे गंभीरता से लिया है. खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हार को काफी गंभीरता से लिया है. वे खुद बदलाव का पक्ष में है. पार्टी के अंदरखाने में वदलाव को लेकर चर्चा शुरु हो गयी है. यह वदलाव प्रदेश संगठन में तो दिखेगा ही केंद्रीय मंत्रिमंडल पर भी इसका असर दिख सकता है.
विधायक दल का नेता प्रेम कुमार को बनाया जाना बदलाव की ही संकेत माना जा रही है. हालांकि विधायक दल की बैठक में यह संकेत दे दिया गया कि नंदकिशोर यादव केंद्रीय संगठन में जगह दी जाएगी.श्री यादव को उपाध्यक्ष या महासचिव बनाया जा सकता है.
लक्ष्य लोकसभा चुनाव 2019 पर
प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है. जानकार बताते हैं कि प्रदेश अध्यक्ष किसी अगड़े को बनाया जायेगा, लेकिन अध्यक्ष की टीम में पिछड़ों व अति पिछड़ों को मौका दिया जायेगा. बिहार भाजपा प्रभारी भी किसी नये नेता को बनाया जा सकता है. पार्टी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी की भी नयी भूमिका तय किये जाने की चर्चा है. सूत्रों के अनुसार मोदी को राज्यसभा में भेजकर केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जायेगा. कांग्रेस के मजबूत होने से पार्टी के समक्ष अगड़े वोट को जोड़े रखने की चिंता है. एक चर्चा यह है कि अश्विनी चौबे या कीर्ति आजाद में से किसी एक को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है. बिहार के कुछ मंत्रियों को मंत्रिमंडल से हटाकर संगठन में भेजा जा सकता है.
प्रेमरंजन पटेल को पार्टी में बड़ी भूमिका दिये जाने की चर्चा है. चुनाव परिणाम का बाद पार्टी ने यह माना कि अगड़ों के साथ- साथ पिछड़ों में भी पैठ बढ़ा कर ही सत्ता की दौड़ में शामिल हुआ जा सकता है. पार्टी जमे – जमाये लोगों की जगह नये लोगों व नये सहयोगियों के भरोसे 2019 को लोकसभा चुनाव में परचम लहराना चाहती है.