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अनट्रेंड शिक्षकों की अनुकंपा पर बहाली पर लगी रोक
बहाली के लिए एनसीटीइ से अनुमति लेगा शिक्षा विभाग तैयार कर रहा प्रस्ताव पटना : प्रदेश में नियोजित शिक्षकों के पद पर अनुकंपा के आधार पर अप्रशिक्षित शिक्षकों की होने वाली बहाली में रोक लगा दी गयी है. अनुकंपा पर भी फिलहाल ट्रेड अभ्यर्थियों की ही नियुक्ति होगी. इस वजह से अनुकंपा पर नियुक्ति की […]
बहाली के लिए एनसीटीइ से अनुमति लेगा शिक्षा विभाग तैयार कर रहा प्रस्ताव
पटना : प्रदेश में नियोजित शिक्षकों के पद पर अनुकंपा के आधार पर अप्रशिक्षित शिक्षकों की होने वाली बहाली में रोक लगा दी गयी है. अनुकंपा पर भी फिलहाल ट्रेड अभ्यर्थियों की ही नियुक्ति होगी. इस वजह से अनुकंपा पर नियुक्ति की आस में कुछ आश्रितों की नियुक्ति नहीं हो पा रही है.
यह रोक एनसीटीइ (नेशनल काउंसिल ऑफ टिचर एजुकेशन) के उस गाइडलाइन के बाद लगी है, जिसमें 31 मार्च 2015 के बाद स्कूलों में अनट्रेंड शिक्षक बहाल नहीं होंगे. शिक्षा विभाग अब एनसीटीइ को प्रस्ताव भेजने जा रहा है और अनुकंपा पर बहाल होने वाले आश्रितों के ट्रेंड की बाध्यता को शिथिल करने की मांग करने जा रहा है.
अररिया जिले में प्राथमिक विद्यालय, डोमीटोला, पलासी के शिक्षक (पुराने वेतनमान वाले) अनिल कुमार दास का निधन इसी साल सिंतबर महीने में हो गया था. उनकी आश्रित रबिता देवी इंटरमीडिएट पास (अनट्रेंड) हैं और उन्होंने अनुकंपा पर नियुक्ति के लिए आवेदन दिया था, लेकिन जिला से कहा जा रहा है कि अप्रशिक्षितों की नियुक्ति पर रोक लगा दी गयी है.
तर्क दिया गया कि एनसीटीइ ने शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में ट्रेड अभ्यर्थियों की बहाली का निर्देश दिया है. 31 मार्च 2015 तक ही अनट्रेंड शिक्षकों की बहाली करनी थी और उसके बाद अनट्रेंड शिक्षकों की बहाली पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया था.
अनुकंपा पर बहाली में अनट्रेंड आश्रितों को आ रही इस परेशानी को देखते हुए शिक्षा विभाग एनसीटीइ की सेवा शर्तों में थोड़ी ढिलाई देने के लिए और अनुकंपा की बहाली में अनट्रेंड अाश्रितों को मौका देने की मांग करने की तैयारी कर रहा है. शिक्षा विभाग प्रस्ताव तैयार कर रहा है और इसी महीने एनसीटीइ को भेजा जायेगा. एनसीटीइ से अनुमति मिलने के बाद ही अनुकंपा पर बहाली में अनट्रेंड आश्रितों की नियुक्ति हो सकेगी.
निगरानी में फंसे दोषियों को सजा दिलाने की रफ्तार धीमी
पटना : निगरानी विभाग राज्य में सभी स्तर के भ्रष्ट लोक सेवकों पर नकेल कसने के लिए मुस्तैद है, लेकिन इसकी रफ्तार बेहद धीमी है. खासकर आय से अधिक संपत्ति (डीए) अर्जित करने के मामलों में कई लोग पकड़े गये हैं, लेकिन संबंधित विभाग ने इन्हें अभी तक निलंबित नहीं किया है. इन पर अन्य विभागीय कार्रवाई करने की रफ्तार भी बेहद धीमी है. कई भ्रष्ट लोक सेवक ऐसे भी हैं, जिनका दोष साबित होने के बाद भी वे सेवा से बर्खास्त नहीं हो रहे हैं. सभी विभागों में ऐसे भ्रष्ट लोकसेवकों की संख्या करीब 150 है.
इन पर कार्रवाई करने के लिए निगरानी विभाग ने कई बार संबंधित विभागों को भी कहा है, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है. कई डीए मामलों में भ्रष्ट लोक सेवकों पर कार्रवाई भी हुई, लेकिन इनकी संपत्ति अभी तक जब्त नहीं की गयी है. ऐसे मामलों पर भी निगरानी विभाग की सख्त नजर है. इन तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए निगरानी विभाग के प्रधान सचिव ने 10 दिसंबर को सभी विभागों के निगरानी पदाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक बुलायी है.
बैठक में ऐसे मामलों पर विचार किया जायेगा. इस दौरान चार प्रमुख एजेंडों पर चर्चा की जायेगी. इसमें निगरानी ब्यूरो समेत अन्य विभागों से यह जानकारी ली जायेगी कि अब तक हुए ट्रैपिंग के मामलों की स्थिति क्या है और इनकी सुनवाई की रफ्तार क्या है. कई मामलों के सुनवाई की रफ्तार बेहद धीमी है. इससे दोषियों को सजा मिलने में काफी देर हो जाती है. विभागों में 40-42 मामले आय से अधिक संपत्ति के हैं, लेकिन इनमें संपत्ति जब्त करने की रफ्तार बेहद धीमी है.
किन विभागों में कितने लोक सेवक ट्रैप केस में फंसने के बाद भी बर्खास्त नहीं हुए हैं. इन पर विभागीय कार्रवाई करने में देरी की मुख्य वजह क्या है. मुकदमे में किन कमियों के कारण कुछ लोक सेवकों की संपत्ति तो जब्त हुई, लेकिन इनका मकान जब्त नहीं हुआ है. इन मामलों में हाल में कार्रवाई हुई वाणिज्य कर के सहायक आयुक्त, मुजफ्फरपुर के इंजीनियर समेत अन्य शामिल हैं.
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