पटना : सोमवार को प्राइवेट स्कूल बस ऑपरेटरों व ऑटो चालकों की हड़ताल ने अभिभावकों की जान सांसत में डाल दी है. राजधानी के मिशनरी स्कूलों में चलनेवाले करीब 700 स्कूली बसों व इतने ही ऑटो बंद रहने से करीब 50 हजार बच्चे स्कूल नहीं पहुंच पायेंगे.
हालांकि, वैसे स्कूलों पर, जिनकी अपनी बसें चलती हैं, हड़ताल का प्रभाव नहीं होगा. राज्य स्कूल बस ऑपरेटरों की प्रस्तावित सांकेतिक हड़ताल को स्कूली ऑटो चालकों का भी समर्थन मिल गया है. रविवार को गांधी मैदान में ऑटो मेंस यूनियन की बैठक में स्कूली ऑटो का परिचालन बंद रखने का निर्णय लिया गया. निजी स्कूली बस ऑपरेटरों के मुताबिक शहर में उनकी करीब 700 बसें चलती हैं.
रोज लगभग 35 हजार बच्चों को स्कूल पहुंचाया जाता है. उधर, ऑटो चालकों ने कहा कि 700 स्कूली ऑटो चलते हैं. इन ऑटो में 12 से 15 हजार बच्चे हर दिन सफर करते हैं. प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन ने हड़ताल के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है.
एसोसिएशन के अध्यक्ष शमायल अहमद ने कहा कि प्रशासन को कार्रवाई से पहले स्कूल प्रबंधन व प्राइवेट बस ऑपरेटरों के साथ बातचीत करनी चाहिए थी. लिखित चेतावनी देने के बाद कार्रवाई होती, तो बेहतर होता. हड़ताल से बच्चों की पढ़ाई बाधित होगी. उन्होंने कहा कि सोमवार को कोई स्कूल बंद नहीं रहेगा.
मजबूरी में लिया निर्णय
राज्य प्राइवेट स्कूली बस ऑपरेटर संघ के अध्यक्ष रवींद्र सिंह ने कहा कि मजबूरी में सोमवार को सांकेतिक हड़ताल का निर्णय लेना पड़ा. स्कूल प्रबंधन के साथ ही जिला प्रशासन को भी इसकी जानकारी दे दी गयी है. ओवरलोडिंग के नाम पर स्कूली बसों की हुई जब्ती के बाद हम स्कूल प्रबंधन को वैकल्पिक व्यवस्था कराने की स्थिति में नहीं हैं. प्रशासन सिर्फ प्राइवेट बस पर ही ध्यान देता है, जबकि स्कूल की अपनी बसों की खराब स्थिति या ओवरलोडिंग पर उनका ध्यान नहीं जाता.
2002 में भी अनिश्चिकालीन हड़ताल हुई थी. इस हड़ताल के बाद हुए समझौते में स्पॉट फाइन देने पर गाड़ी रिलीज करने का प्रावधान था, मगर उसको लागू नहीं किया जा रहा.
बच्चों की सुरक्षा से समझौता नहीं
प्रशासन भी नरमी बरतने के मूड में बिल्कुल नहीं दिख रहा. डीटीओ दिनेश कुमार राय ने बताया कि प्रमंडलीय आयुक्त व डीएम के आदेश पर अभियान चलता रहेगा. किसी भी सूरत में ओवरलोडिंग या परिवहन नियमों का उल्लंघन बरदाश्त नहीं किया जायेगा. ओवरलोडिंग को लेकर पहले भी स्कूल प्रबंधन व निजी बस ऑपरेटरों को चेतावनी दी जाती रही है. बच्चों की सुरक्षा के साथ किसी तरह का समझौता नहीं होगा.