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नाम की सुरक्षा, लुट रहे बैंक
क्यों लुटे बैंक : सुरक्षा उपकरण पर लाखों का खर्च, मेंटेनेंस तक नहीं पटना : कहने को बैंकों में तमाम तरह की सुरक्षा व्यवस्थाओं का दावा किया जाता हो, लेकिन हकीकत उलट है. लाख सुरक्षा उपायों के बावजूद प्रदेश में बैंक लूट की घटनाएं बढ़ रही हैं. आखिर ये सुरक्षा किस काम की. सुरक्षा व्यवस्था […]
क्यों लुटे बैंक : सुरक्षा उपकरण पर लाखों का खर्च, मेंटेनेंस तक नहीं
पटना : कहने को बैंकों में तमाम तरह की सुरक्षा व्यवस्थाओं का दावा किया जाता हो, लेकिन हकीकत उलट है. लाख सुरक्षा उपायों के बावजूद प्रदेश में बैंक लूट की घटनाएं बढ़ रही हैं. आखिर ये सुरक्षा किस काम की. सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर बैंक अलग से लाखों रुपये खर्च करते हैं. सिक्यूरिटी गार्ड से लेकर अलार्म तक लगाया जाता है. बावजूद उनको लुटने से बचाया नहीं जा पा रहा.
कई ऐसे बैंक हैं, जो सुरक्षा मानकों का ध्यान नहीं रखते हैं. बैंकों में सुरक्षा व्यवस्था का मॉक ड्रिल या अलार्म का मेंटेनेंस तक नहीं होता. बैंकों के सुरक्षा के नाम पर किये गये उपाय सिर्फ कागज पर ही हैं. सारी सुरक्षा व्यवस्था लचर नजर आती हैं.
बैंकों के उपाय
– बैंक शाखाओं के कारोबार के अनुसार गन मैन सिक्यूरिटी गार्ड होते हैं. ये गार्ड बैंक द्वारा नियुक्त या प्राइवेट कंपनी के होते हैं.
– बैंक शाखा और एटीएम में सीसीटीवी कैमरे लगाये जाते हैं.
– अलार्म सिस्टम लगाये जाते हैं, इसका स्विच बैंक के खास स्टाफ के पास होता है. सायरन बजते ही नजदीकी थाने को मालूम चल जाता है. उच्च गुणवत्ता वाले अलार्म सिस्टम में नजदीकी थाने के पास मैसेज भी चला जाता है.
– स्मोक डिटेक्टर्स लगाये जाते हैं.
– शाखा के इंट्री गेट पर ऊपर और नीचे जंजीर लगी होती है, इससे एक बार में एक ही आदमी और झुक कर प्रवेश कर सकता है.
– स्ट्रांग रूम में 10-12 इंच की आरसीसी दीवार होती है. इसे काटा या तोड़ा नहीं जा सकता है. स्ट्रांग रूम का मेन गेट भी आठ से 10 इंच का मोटा होता है. स्ट्रांग रूम की दो सेटों में चाबी होती है. बंद करने और खोलने, दोनों समय में दोनों चाबी की जरूरत होती है.
– रात में स्ट्रांग रूम छूने पर अलार्म बजने लगेगा.
– जिस काउंटर से नकद राशि का लेन-देन होता है. वह पूरी तरह से पैक रहता है.
– सीसीटीवी का डीवीआर गायब या चोरी होने पर अब ऑनलाइन बैकअप की सुविधा मिल गयी है.
– हर दिन थाने से पुलिस आकर विजिट करते हैं.
खामियां
– सुरक्षा गार्ड से सुरक्षा का काम न लेकर उनसे चपरासी का काम लिया जाता है. वे एक टेबल से दूसरे टेबल पर कागज पहुंचाने में लगे रहते हैं.
– समय-समय पर सीसीटीवी की जांच नहीं होती है. अधिकांश बैंक शाखा में दो से चार कैमरे खराब रहते हैं.
– अलार्म सिस्टम का मॉक ड्रिल नहीं होता है, जिससे समय पर वह काम नहीं करता है.
– कई शाखाओं के प्रवेश गेट पर जंजीर नहीं लगायी जाती है. इससे कोई भी व्यक्ति आसानी से अंदर-बाहर हो जाता है.
– कई शाखाओं में नकद लेन-देन काउंटर को खुला रखा जाता है. इससे घटनाएं की आशंकाएं काफी बढ़ जाती हैं.
आदेश मिलते ही निकल पड़े थानेदार
पटना : अचानक ही 10 बजे वायरलेस पर यह प्रसारित किया जाता है कि बैंकों को चेक करने खुद थानाध्यक्ष जाएं. इसके बाद तमाम थानाध्यक्ष मंगलवार को खुद ही बैंकों को चेक करने के लिए निकल गये. बैंक लूट की हो रही घटनाओं को लेकर एसएसपी ने यह निर्देश दिया है कि बैंक खुलने के बाद थानाध्यक्ष खुद बैंक को चेक करें.
आमतौर पर यह होता आया है कि बैंक के खुलने के बाद थाने का कोई दारोगा भी अपने थाना क्षेत्र के बैंक को चेक करता था, लेकिन अब सीधे चेक करने की जिम्मेवारी थानाध्यक्ष को दे दी गयी है और संबंधित डीएसपी को बैंकों की सुरक्षा की मॉनीटरिंग करने का निर्देश दिया गया है.
15 को एसएसपी की मीटिंग
सुरक्षा को लेकर एसएसपी ने सभी थानों से वहां की स्थिति की रिपोर्ट भी मांगी है. वहां सुरक्षा को लेकर क्या कमी है और क्या किया जा सकता है, इसकी पूरी रिपोर्ट मांगी गयी है. बताया जाता है कि 15 दिसंबर को बैंक के अधिकारियों के साथ एसएसपी मीटिंग करेंगे और सुरक्षा से संबंधित विषयों पर चर्चा होगी.
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