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शास्त्री पक्के इरादों के, तो मोरारजी सबसे कठोर प्रधानमंत्री

शास्त्री पक्के इरादों के, तो मोरारजी सबसे कठोर प्रधानमंत्रीएएन कॉलेज में ‘भारत के प्रधानमंत्री नेहरू से मोदी तक’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजनपटनाभारत के अनेक प्रधानमंत्री बने. सभी की अपनी-अपनी प्रतिभा थी. इसमें नेहरू व्यक्तित्व सोच व आर्थिक सोच काफी बेहतर था. मोरारजी भाई देसाई को सबसे कठोर व्यक्तित्व का प्रधानमंत्री […]

शास्त्री पक्के इरादों के, तो मोरारजी सबसे कठोर प्रधानमंत्रीएएन कॉलेज में ‘भारत के प्रधानमंत्री नेहरू से मोदी तक’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजनपटनाभारत के अनेक प्रधानमंत्री बने. सभी की अपनी-अपनी प्रतिभा थी. इसमें नेहरू व्यक्तित्व सोच व आर्थिक सोच काफी बेहतर था. मोरारजी भाई देसाई को सबसे कठोर व्यक्तित्व का प्रधानमंत्री माना जाता है. इंदिरा गांधी एक ऐसी प्रधानमंत्री रहीं जिन्होंने जन अधिकारों को सीमित कर अपने अधिकारों के केंद्रीकरण पर बल देती रही. यह बातें रविवार को एएन कॉलेज में कॉमन वेल्थ स्टडी यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के प्रो जेम्स मेनोर ने कही. मौका था बिहार पोलिटिकल साइंस एसोसिएशन द्वारा ‘भारत के प्रधानमंत्री नेहरू से मोदी तक’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के आयोजन का. एएन कॉलेज के लाइब्रेरी हॉल में आयोजित कार्यक्रम में प्रो मेनोर ने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री जिनका कार्यकाल संक्षिप्त रहा. लेकिन, वह भारत के एसे प्रधानमंत्री रहे जिनके व्यक्तित्व में पक्के इरादो का समावेश रहा. जय जवान-जय किसान उनका मूल मंत्र भारत की आंतरिक सरक्षा और आर्थिक स्वावलंबन से जुड़ा हुआ था. सॉफ्ट स्कील बल देकर राजीव गांधी ने भारत को संचार की दुनियां से जोड़ने का प्रयास किया. वीपी सिंह भारत की पिछड़ी आबादी के हमदर्द प्रधानमंत्री माने जाते रहे. नरसिंह राव जिनके कार्यकाल में आर्थिक विकास हेतु उदारीकरण को बल मिला. अटल बिहारी वाजपेयी को अंतरदेशीय समस्याओं को सुलझाने में काफी सफता मिली. बीच की कड़िों में गुलजारी लाल नंदा चौधरी चरण सिंह एवं चंद्रशेखर भारत के प्रधानमंत्री रहे जिनका कार्यकाल छोटा रहा. वर्ष 2004 से प्रधानमंत्री के बीच सौहार्द की कमी देखी जा रही है. उन्हें अपने सहयोगी दलों से भी निरंतर परेशानी झेलनी पड़ी है. मनमोहन सिंंह आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ रहे लेकिन, उन्हें अपने ही सहयोगी दलों से निरंतर परेशानी झेलनी पड़ी. भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का व्यक्तित्व अभिया मूलक कहा जा सकता है. सबका साथ-सबका विकास उनका मूल मंत्र है. जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की प्रो रुमकी बासु ने मोदी के ‘मेक इन इंडिया्र को एक अच्छा कदम बताया. उन्होंने कहा इससे विदेशी निवेश के अवरसों देश में पैदा हो रहे हैं. जन-धन योजना और मन की बात तथा स्वच्छ भारत अभियान के द्वारा जन-जन से जुड़े हुये हैं. आइआइपीए के प्रो एमपी सिंह ने कहा कि मोदी ने फेडरल डेमोक्रेसी की अनेक इकाइयों में तनाव रहित कार्यशीलता को जन्म दिया. योजना आयोग का उन्यूलन एवं नीति आयोग का गठन तदर्थवाद को जन्म देता है. प्रो एलएन शर्मा ने भारत के प्रधानमंत्री के कार्यकालापों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि सहिष्णुता- असहिष्णुता को तथ्यहीन एवं पूर्व नियोजित है. पंजित नेहरू की तरह विजू पटनायक, मुलायम सिंह यादव, राम विलास पासवान, लालू प्रसाद यादव, आदि भी वंशवाद के ही पोषक नेता हैं. मौके पर सभी अतिथियों का स्वागत कॉलेज के प्राचार्य प्रो ललन सिंह ने किया. वहीं प्रथम सत्र में धन्यवाद ज्ञापन एएन कॉलेज राजनीति विज्ञान के अध्यक्ष सह बिहार पोलिटिकल साइंस एसोसिएशन के महासिचव प्रो विमल प्रसाद सिंह ने किया. वहीं सेमिनार के दूसरे सत्र में प्रो श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी के साथ कई लोगों ने अपनी बात रखी.

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