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पटना में सरकार,पर सरकार में पटना नहीं पटना को अब भी उम्मीद ”मंत्री” मिलेगा
पटना: नवगठित राज्य सरकार ने शुक्रवार को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में शपथ ले ली. इसके साथ ही बिहार में नयी सरकार का गठन हो गया है, लेकिन जिस पटना में इस सरकार का गठन हुआ, उस सरकार में ही पटना जिले को जगह नहीं मिली है. पटना जिले के चौदह विधानसभा क्षेत्रों से […]
पटना: नवगठित राज्य सरकार ने शुक्रवार को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में शपथ ले ली. इसके साथ ही बिहार में नयी सरकार का गठन हो गया है, लेकिन जिस पटना में इस सरकार का गठन हुआ, उस सरकार में ही पटना जिले को जगह नहीं मिली है. पटना जिले के चौदह विधानसभा क्षेत्रों से चुन कर आये 14 विधायकों में से किसी एक विधायक को भी नवगठित मंत्रिपरिषद में जगह नहीं मिल सकी है. हालांकि जनता और नेताओं को उम्मीद है िक मंत्रिपरिषद में अब भी कुछ सीटें खाली हैं और ऐसे में अगले विस्तार में पटना को जरूर जगह मिलेगी.
पिछली सरकार में एक
पिछली सरकार में एकमात्र विधायक श्याम रजक मंत्रिपरिषद में पटना जिला का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, मगर इस बार उनको ड्रॉप कर दिया गया है. इससे पहले भाजपा-जदयू के साथ मिल कर बनी सरकार में श्याम रजक के साथ सुशील कुमार मोदी और नंदकिशोर यादव भी मंत्रिपरिषद का हिस्सा बने थे.
छह सीटों पर मिली महागंठबंधन को जीत
जिले की चौदह में से छह सीटों पर महागंठबंधन को जीत मिली है. इनमें राजद ने सर्वाधिक चार सीट जबकि जदयू व कांग्रेस ने एक-एक सीट पर कब्जा जमाया है. भाजपा को सात सीटों पर सफलता मिली, वहीं एक सीट पर निर्दलीय ने जीत हासिल की. पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार भाजपा, राजद व कांग्रेस को एक-एक सीट का फायदा हुआ, जबकि महागंठबंधन के बैनर तले कम सीटों पर चुनाव लड़ने के चलते जदयू को चार सीट का नुकसान हुआ. उसे एकमात्र फुलवारी सीट पर ही सफलता मिली.
तीन-चार नाम चर्चा में
मंत्रिपरिषद के गठन से पहले कई विधायक व विधान पार्षदों का नाम मंत्री पद को लेकर चर्चा में था. उनमें प्रमुख रूप से मनेर से भाई वीरेंद्र, फतुहा से डॉ रामानंद यादव और विधान पार्षद रणवीर नंदन आदि शामिल रहे, लेकिन अंतिम रूप से कोई इसमें जगह नहीं पा सका. निवर्तमान मंत्री श्याम रजक को हटाया जाना सबसे अप्रत्याशित रहा.
किसने क्या कहा
मंत्रिपरिषद तय करना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है. इस पर मैं कुछ नहीं कहना चाहता, लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि पटना के लोगों के विकास के साथ सौतेला व्यवहार न करें. ऐसा पहले भी होता आया है और इस मंत्रिपरिषद से भी वही दिख रहा है.
-नितिन नवीन
मंत्रिपरिषद में हर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व रखने का प्रयास रखना चाहिए. इससे क्षेत्रीय बैलेंस बनाने में और लोगों तक पहुंचने में मदद मिलती है, बाकी मुख्यमंत्री को तय करना है कि वे किसे मंत्री बनायें, किसे नहीं.
-संजीव चौरसिया
मंत्रिपरिषद गठन का पूरा अधिकार सीएम को है. वे पूरी चीजों की विवेचना कर संकल्पों को जमीन पर उतारने के लिए अपनी टीम का गठन करते हैं. क्षेत्रीय आधार देखा जाता है, पर वो जरूरी नहीं है. अभी अनुभवी और नयी ऊर्जा की टीम बनी है और आशा है कि वो सरकार का विजन पूरा करने में कामयाब साबित होगी.
– श्याम रजक
मिलना चाहिए या नहीं, इस पर कोई कमेंट नहीं करूंगा. लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि पटना को जगह मिलेगी जरूर. अभी तीन पार्टियों के कोटे की कुछ सीट खाली है. विस्तार में जगह जरूर मिलेगी.
-भाई वीरेंद्र
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