पटना : अस्पतालों से फेंके गये मेडिकल कचरे के साथ ही अब इंसीलेटर में जले मेडिकल कचरे की भी जांच की जायेगी. इसको लेकर केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने स्वास्थ्य विभाग को गाइडलाइन भेजी है. बोर्ड को आशंका है कि मेडिकल कचरा जलने के बाद उसका सही निबटान नहीं होने पर उससे बीमारी फैल सकती है, इसलिए ऐसे जले हुए कचरे का सैंपल लेकर अब उसकी भी जांच करायी जायेगी और उससे पैदा होनेवाली बीमारियों का पता लगाया जायेगा.
इसके लिए राज्य प्रदूषण बोर्ड सभी मेडिकल कॉलेज व निजी अस्पतालों में प्रतिदिन निकलनेवाले कचरे व उसके निबटान की पूरी रिपोर्ट बना कर केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड को भेजेगी. इसके बाद केंद्र की एक टीम आकर कार्यशाला आयोजित करेगी और उसमें बताया जायेगा कि मेडिकल कचरे का निबटारा अस्पताल कैसे करे. जिससे वातावरण स्वस्थ बना रहें.
मेडिकल कचरे को खत्म करने के लिए परिसर में पूरी व्यवस्था है. प्रदूषण बोर्ड की टीम आयी थी और उसने इंसीलेटर से निकलनेवाले लिक्विड को भी ले गये हैं. मेडिकल कचरे से कोई बीमारी नहीं फैले और अस्पताल में भरती मरीजों को स्वस्थ वातावरण मिले, इसके लिए प्रदूषण बोर्ड की ओर से पहल की जा रही है.
डॉ एसएन सिन्हा पीएमसी, प्राचार्य
जहां-तहां डंप हो जाते हैं कचरे
बिहार के सभी मेडिकल कॉलेजों में इंसीलेटर की सुविधा अब तक पूरी नहीं हुई है. ऐसे में अस्पतालों से निकलने वाले कचरे घरेलू व सड़क पर के कूड़ाें के साथ कहीं-कहीं डंप हो जाते हैं और बाद में उसे निगम के माध्यम से कहीं फेंक दिया जाता है. पीएमसीएच, आइजीआइएमएस में इंसीलेटर काम करता है. लेकिन, इन दोनों अस्पतालों पर लोड बहुत है. इस कारण से कहीं और का कचरा लाकर यहां जलाना मुश्किल है. ऐसे में विभाग ने कहा है कि बाकी मेडिकल कॉलेजों में भी इंसीलेटर की व्यवस्था हो और निजी अस्पताल को भी इससे जोड़ा जाये. इसे लेकर विभाग ने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है.