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धनतेरस पर करें जम कर खरीदारी

धनतेरस पर करें जम कर खरीदारीहो रहा सौभाग्य और कल्याणकारी योग का सृजनधरतेरसशुभ मुहूर्त : सुबह 11 से लेकर दोपहर 2 बजे तक, शाम में 5 लेकर से 7़ 30 मिनट तकदीवाली शुभ मुहूर्त : 4़ 45 से लेकर 5.30 बजे तक गोधूलि पूजा तथा 5.30 से लेकर 9.37 बजे तक प्रदोष काल में पूजा […]

धनतेरस पर करें जम कर खरीदारीहो रहा सौभाग्य और कल्याणकारी योग का सृजनधरतेरसशुभ मुहूर्त : सुबह 11 से लेकर दोपहर 2 बजे तक, शाम में 5 लेकर से 7़ 30 मिनट तकदीवाली शुभ मुहूर्त : 4़ 45 से लेकर 5.30 बजे तक गोधूलि पूजा तथा 5.30 से लेकर 9.37 बजे तक प्रदोष काल में पूजा संवाददाता, पटनादीवाली इस बार ढ़ेरों खुशियां लेकर आ रही है. दीवाली और धनतेरस पर ग्रहों की युति कल्याणकारी योग का सृजन कर रहा है. पंडित मार्कण्डेय शारदेय के अनुसार इस बार धनतेरस नौ अक्तूबर (दिन सोमवार) को है. इस दिन चंद्र ग्रह, हस्त नक्षत्र और प्रीति योग है. इस योग में खरीदारी धन बरसाने वाली है. वहीं, दीवाली बुधवार को है, जो स्वयं भगवान विष्णु का दिन माना गया है. इस दिन स्वाति नक्षत्र व राहु का कन्या राशि में होना सौभाग्य योग का सृजन कर रहा है. इस दिन महालक्ष्मी की पूजा करने से न केवल धन-धान्य में वृद्धि होगाी, बल्कि सौभाग्य की भी प्राप्ति होगी. शुभ मुहूर्त पर करें खरीदारी कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि पर धनतेरस मनाया जाता है. रविवार की शाम 4़ 34 बजे से त्रयोदशी तिथि प्रारंभ हो रही है, जो अगले दिन सोमवार को शाम 6़ 43 बजे तक रहेगी. इस दिन खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त दिन में 11 बजे से लेकर दोपहर दो बजे तक हैं. इसके बाद सायंकालीन पांच बजे से लेकर 7़ 30 मिनट तक है. प्रदोष काल में पूजा अति उत्तमदीवाली में अमावस्या तिथि, प्रदोष काल, शुभ लग्न व चौघड़िया मुहूर्त का विशेष महत्व है. दीवाली में सूर्यास्त के बाद पूजा करने का प्रावधान है. शाम 4़ 45 से 5.30 बजे तक गोधूलि पूजा का समय है. फिर इस अवधि से लेकर 9.37 बजे तक प्रदोष काल रहेगा. प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन अति उत्तम माना गया है. खास कर प्रदोष काल के वृष लग्न में पूजन अति शुभ है, जो शाम 5.30 से 7.23 बजे तक है. मिथुन लग्न की पूजा मुहूर्त 7.23 बजे से रात 9.37 बजे तक है.गृहस्थ और व्यापारी की पूजा दीवाली पर गृहस्थ और व्यापारी दोनों वर्गों के लोग पूजा करते हैं. व्यापारी इस दिन बही-खाता बदलते हैं. वहीं, गृहस्थ प्रदोष काल में महालक्ष्मी की पूजा कर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं. शास्त्रों के अनुसार दीवाली में गोधूलि लग्न से आरंभ होनेवाली पूजा महानिशि काल अर्थात अर्ध रात्रि तक की जाती है.

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