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हजम कर गये कैंटीन का सामान

पटना: श्रम संसाधन विभाग से संचालित सरकारी कैंटीन में करोड़ों रुपये के गबन का मामला उजागर हुआ है. विभाग ने निगरानी से जांच कर दोषी कर्मियों पर कार्रवाई का अनुरोध किया है. श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिव सुभाष शर्मा ने वित्त विभाग से भी वर्ष 2000 से लेकर अब तक की अवधि का स्पेशल […]

पटना: श्रम संसाधन विभाग से संचालित सरकारी कैंटीन में करोड़ों रुपये के गबन का मामला उजागर हुआ है. विभाग ने निगरानी से जांच कर दोषी कर्मियों पर कार्रवाई का अनुरोध किया है.

श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिव सुभाष शर्मा ने वित्त विभाग से भी वर्ष 2000 से लेकर अब तक की अवधि का स्पेशल ऑडिट कराने का अनुरोध किया है. इस मामले में पटना के श्रम अधीक्षक सह प्रबंधक बिहार सचिवालय भोजशाला जयंत कुमार समेत 10 कर्मियों को निलंबित किया जा चुका है. उनके अनुरोध पर वित्त विभाग ने विशेष अंकेक्षण टीम गठित करने की कार्रवाई भी शुरू कर दी है. एक -दो दिनों में टीम के गठन से संबंधित आदेश जारी हो जायेगा.

इन जगहों पर संचालन : सचिवालय कर्मियों की सुविधा के लिए श्रम संसाधन विभाग बिहार सचिवालय, विश्वेश्वरैया भवन, सिंचाई विभाग, विधानसभा व विधान परिषद में कैंटीन चलाती है.

खरीदारी का नहीं मिला कागजात : जांच रिपोर्ट के मुताबिक 2012-13 और 2013-14 के जून माह तक 29 किलो काजू, 630 पीस लाइफ ब्यॉय साबुन, 496 बोतल टोमेटो सॉस, 11 क्विंटल अरहर दाल, 90 क्विंटल चावल, 37.09 क्विंटल मांस की खरीदारी की बात सामने आयी है, लेकिन इसका कोई कागजात जांच टीम को नहीं मिला.

सामान का नहीं मिला स्टॉक : पुराना सचिवालय भोजशाला में केंद्रीय स्तर पर खरीदे गये समान का भंडारण होता है. वहां से अन्य कैंटीन को समान की आपूर्ति की जाती है. भंडार में 10.87 क्विंटल चाय, 61.39 क्विंटल चीनी, 17364 लीटर दूध, 66 किलो कॉफी और 22.32 क्विंटल मैदा का स्टॉक रहना चाहिए था, लेकिन वह भंडार में नहीं मिला. सभी सामान की कीमत 17.40 लाख रुपये होती है, जिसका कोई हिसाब नहीं मिला. चाय-कॉफी की बिक्री की कुल राशि एक करोड़ 40 लाख रुपये में से कितनी राशि ट्रेजरी में जमा की गयी. उसका ब्योरा प्रबंधक व कर्मचारियों ने नहीं दिया. चाय के लिए निर्धारित फॉमरूला की गणना करने पर 70 लाख रुपये का गबन सामने आ रहा है. इसके अतिरिक्त 83.5 क्विंटल सरसो तेल एवं आलू की अधिक खरीदारी की बात सामने आयी है. हलवाई शाखा में 31.5 लाख रुपये की हेराफेरी मिली.

चार गुना गैस की अधिक खपत : रसोई गैस की खपत तीन से चार गुना अधिक दिखायी गयी है. एक कैंटीन में एक गैस सिलिंडर औसतन दो से तीन दिन तक चलता है, लेकिन वहां दो से तीन सिलिंडर की खपत बतायी गयी है. इस प्रकार सभी कैंटीन में काफी मात्र में गैस का दुरुपयोग हुआ है. आपूर्तिकर्ताओं से सांठगांठ कर फर्जी रूप से सामान की खरीदारी दिखायी गयी है.

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