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लालू बताएं, चुनाव क्यों नहीं लड़ रहे : मोदी

पटना. पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद जनता को यह बताएं कि वह चुनाव क्यों नहीं लड़ रहे हैं. चुनाव लड़ने से उनपर किसने व क्यों रोक लगायी है. कई बार विधायक और सांसद रहनेवाले लालू प्रसाद क्या पंचायत का चुनाव भी लड़ सकते हैं. क्या लालू प्रसाद बेल पर […]

पटना. पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद जनता को यह बताएं कि वह चुनाव क्यों नहीं लड़ रहे हैं. चुनाव लड़ने से उनपर किसने व क्यों रोक लगायी है. कई बार विधायक और सांसद रहनेवाले लालू प्रसाद क्या पंचायत का चुनाव भी लड़ सकते हैं. क्या लालू प्रसाद बेल पर जेल से बाहर नहीं है इन सारे सवालों पर लालू प्रसाद चुप्पी क्यों साधे हुए हैं.
सच का खुलासा करने की लालू प्रसाद में हिम्मत क्यों नहीं है. मोदी ने कहा कि बिहार की जनता को लालू प्रसाद बता क्यों नहीं रहे हैं कि वे बहुचर्चित हजार करोड़ से ज्यादा के चारा घोटाले में 7 साल के सजायफ्ता है और न्यायालय ने उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगायी है.
फिलहाल बेल पर जेल से बाहर है और कभी भी बेल टूटने पर फिर जेल जा सकते हैं. पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर पलटवार करते हुए कहा है कि गोमांस का मुद्दा भाजपा की ओर से नहीं, लालू यादव की ओर से वोटों के ध्रुवीकरण और साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने की नीयत से उछाला गया. नीतीश कुमार में हिम्मत है तो वे घोषित करें कि बिहार में भी गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की तर्ज पर सख्त कानून बना कर गोवंशीय पशुओं की हत्या रोकेंगे.
लालू प्रसाद को बिहार का खजाना लूटने के आरोप में नीतीश कुमार, शिवानंद तिवारी और ललन सिंह ने जेल भिजवाया. लेकिन आज जेल भेजवाने वाले और जेल जाने वाले दोनों साथ हैं. बिहार की जनता चारा घोटाले को कभी नहीं भूल सकती है, जिसमें न केवल भैंस की सींग में लगाने के लिए लाखों के सरसों के तेल की फर्जी खरीद हुई थी, बल्कि स्कूटर व कार पर सांढ़ ढोये गये थे.
भाजपा नेता ने कहा कि कांग्रेस शासनकाल से शुरू पशुपालन विभाग में लूट लालू प्रसाद के मुख्यमंत्री बनते ही डकैती में बदल गयी थी. 1987–90 के तीन वर्ष में 21.70 करोड़ रुपये बजट आवंटन से ज्यादा निकाल लिये गये थे, परंतु लालू प्रसाद के मुख्यमंत्रित्व के पहले ही साल में 29.29 करोड़ अधिक निकाल लिये गये.
दूसरे साल 70.72 करोड़, तीसरे साल 87.77 करोड़, चौथे साल 125.94 करोड़ रुपये आवंटन से अधिक निकाले गये. कुल मिला कर लालू प्रसाद के मुख्यमंत्री बनने के बाद 606.36 करोड़ रुपये की अवैध निकासी बिहार के खजाने से की गयी. हजार करोड़ रुपये से ज्याद के पशुपालन घोटाले का बड़ा हिस्सा लालू प्रसाद को मिला. इसी लूट के दोषसिद्ध लालू प्रसाद कोर्ट द्वारा सात साल के सजायफ्ता है.
नीतीश कुमार बताएं कि क्या चारा घोटाले के सजायफ्ता लालू प्रसाद के साथ रह कर वह भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा सकते है? भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई या उनकी अवैध संपति जब्त करवा सकते है? क्या यही कारण नहीं है कि भाजपा से गंठबंधन टूटने के बाद दवा, बिजली उपकरणों की खरीद और शराब घोटालों के उजागर होने के बावजूद नीतीश कुमार सीबीआइ जांच कराने से कन्नी काट गये.

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